नयी दिल्ली : भारत की सीमित ओवरों की टीम के उप कप्तान रोहित शर्मा के लिए 2019 काफी सफल रहा जिसमें वह टेस्ट सलामी बल्लेबाज की भूमिका में भी सफल रहे.
सलामी बल्लेबाज के तौर पर 2019 में सभी प्रारूपों में 2442 रन बनाने वाले रोहित ने कहा कि अब खेल को लेकर उनकी सोच बदल गई है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 12 साल बिताने वाले रोहित ने कहा, मैं क्या सोचता हूं इसे लेकर मैं अलग तरह का रोहित हूं.
अपने परिवार- मेरी पत्नी (रितिका) और बेटी (समाइरा)- के कारण मैं अपने जीवन में काफी अच्छी स्थिति में हूं. मैं इसे लेकर चिंतित नहीं हूं कि बाकी लोग क्या बातें कर रहे हैं. अपने करियर के दौरान सराहना और आलोचना दोनों का सामना करने वाले 32 साल के रोहित ने कहा कि वह अब आलोचनाओं के बारे में अधिक नहीं सोचते.
उन्होंने कहा, उन्होंने (पत्नी और बेटी ने) मेरे जीवन को प्यार और खुशी से भर दिया है और मैं इसी में रहने का प्रयास करता हूं. यह नहीं सोचता कि कोई मेरे बारे में क्या टिप्पणी कर रहा है. रोहित ने कहा, मैं उस उम्र को पार कर गया हूं कि किसी के मेरे बारे में अच्छा या बुरा कहने पर प्रतिक्रिया दूं. ईमानदारी से कहूं तो अब यह अधिक मायने नहीं रखता.
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में सलामी बल्लेबाज के रूप में शुरुआत करते हुए रोहित ने दोहरा शतक जड़ा था जिससे भारत को वह लय मिली जिसकी उसे वीरेंद्र सहवाग के जाने के बाद लंबे अर्से से तलाश थी. रोहित से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ईमानदारी से कहूं तो मैंने काफी पहले टेस्ट मैचों के बारे में सोचना छोड़ दिया था.
यह पूछे जाने पर कि ऐसा क्यों था, रोहित ने कहा, पहले मैं टेस्ट मैचों में सफलता के बारे में काफी सोचता था. मैं काफी अधिक सोचता था कि ऐसा क्यों हो रहा है, मैंने यह शाट क्यों खेला. प्रत्येक टेस्ट पारी के बाद मैं हमारे वीडियो विश्लेषक के पास जाता, उसके साथ बैठकर वीडियो देखता और फिर और अधिक भ्रमित हो जाता। असल में मैं जो कर रहा था वह सही चीज नहीं थी.
उन्होंने कहा, तकनीक के बारे में काफी अधिक सोचने से मैं खेल का लुत्फ नहीं उठा पा रहा था. मेरे दिमाग में सिर्फ यही था कि मुझे टेस्ट क्रिकेट में अच्छा करना है. इसलिए 2018-19 ऑस्ट्रेलिया शृंखला से पहले मैंने स्वयं से कहा कि जो होना है वो होगा और मैं अपनी तकनीक के बारे में नहीं सोचूंगा.
कई लोगों का मानना था कि टेस्ट क्रिकेटर के तौर पर दक्षिण अफ्रीका शृंखला रोहित के पास अंतिम मौका था, लेकिन वह स्वयं ऐसा नहीं मानते. उन्होंने हालांकि स्वीकार किया कि उन्हें मौके का फायदा उठाना था. उन्होंने कहा, मुझे पता था कि मैं 22 या 23 साल का नहीं हूं जिसे टेस्ट क्रिकेट में मौके मिलते रहेंगे.
मुझे पता था कि मुझे हर बार क्रीज पर उतरते हुए खुद को साबित करना होगा. मैं खुशकिस्मत था कि मुझे वह मौका मिला जिसका कई लोगों को इंतजार था. रोहित को युवा ऋषभ पंत के प्रति सहानुभूति है जिन्हें प्रदर्शन के निरंतरता नहीं होने के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.
उन्होंने कहा, मैं पंत को भी यही बता रहा था. वह सिर्फ 21 साल (22 साल) का है और लोग उसे प्रत्येक मैं में शतक बनाने और ऐसा-वैसा करने के लिए कह रहे हैं. मेरे कहने का मतलब है थोड़ा तो धीरज रखो. मैंने ऋषभ से कहा कि एक दायरा बनाओ और सुनिश्चित करो कि कोई इसके अंदर नहीं आ पाये. लोग आपके बारे में बात करना चाहते हैं , उन्हें बाहर ऐसा करने दें और अपने दायरे के अंदर आप वह करें जो करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, क्या पता इससे ऋषभ की मदद हो. कम से कम इसने मेरे लिए काम किया. विश्व कप के सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद सीनियर खिलाड़ियों के अपने परिवारों को तय सीमा से अधिक इंग्लैंड में ठहराने का मुद्दा उठा और रोहित दुखी है कि परिवारों को इस मामले में घसीटा गया.