नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एन श्रीनिवासन को भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड का चुनाव लड़ने से रोकने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने सालाना आम सभा में 20 नवंबर को हिस्सा लेने से रोक और 30 सितंबर से पहले बोर्ड के चुनाव कराने में असफल रहने के कारण इसके पदाधिकारियों के पद पर बने रहने को गैरकानूनी घोषित करने से आज इंकार कर दिया.
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मसले पर गौर करने से पहले वह न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल समिति की जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष का इंतजार करेगी. यह समिति आइपीएल में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण की जांच कर रही है और उसे 10 नवंबर तक अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल करनी है.
न्यायाधीशों ने कहा, जांच समिति की रिपोर्ट का इंतजार कीजिये. चुनाव के लिये स्थिति स्पष्ट होने दीजिये. हमने पिछले आदेश (सितंबर 2013) में उन्हें चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी लेकिन यह भी कहा था कि वह अगले आदेश तक पद (अध्यक्ष) ग्रहण नहीं करेंगे. न्यायाधीशों ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (कैब) से कहा, उस समय तक आप खामोश रहिये.
इस समय हमारा वार्षिक आम सभा से कोई सरोकार नहीं है. कृप्या न्यायमूर्ति मुदगल समिति की रिपोर्ट पेश किये जाने का इंतजान कीजिये. यह संगठन चाहता था कि वार्षिक आम सभा की बैठक को 30 सितंबर के बाद स्थगित किये जाने को गैरकानूनी घोषित किया जाये.
कैब की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नलिनी चिदंमबरम ने यह भी कहा कि चूंकि वार्षिक आमसभा की बैठक 30 सितंबर से पहले नहीं हुयी है, इसलिये किसी भी पदाधिकारी को बीसीसीआई की कार्य समिति में पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि श्रीनिवासन को न्यायालय ने बीसीसीआइ के अध्यक्ष के रुप में काम नहीं करने का निर्देश दिया था तो फिरी वह आगामी चुनाव कैसे लड सकते हैं. लेकिन न्यायालय ने कहा कि शीर्ष अदालत के पिछले साल के आदेश ने स्पष्ट किया था कि यह व्यवस्था अगले आदेश तक ही है और बीसीसीआई का चुनाव लडने के अयोग्य नहीं है.
न्यायालय ने न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट मिलने से पहले ही श्रीनिवासन के चुनाव लडने पर पाबंदी लगाने के कैब के सचिव आदित्य वर्मा के अनुरोध पर सवाल उठाया. न्यायाधीशों ने कहा, अत: आप यह अर्जी दायर कर रहे हैं कि उन्हें चुनाव नहीं लडने दिया जाये जबकि उनके उपर तलवार लटकी हुयी है. कल किसे पता है कि उन्हें आरोप मुक्त भी किया जा सकता है. यदि चुनाव हुये तो उनके अधिकार का क्या होगा.
यह महसूस करते ही कि कैब को कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है, चिदंबरम ने न्यायालय से आग्रह किया, उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति देने के बारे में कोई सकारात्मक आदेश नहीं दिया जाये. पहले यह मामला दस नवंबर के लिये सूचीबद्ध था लेकिन बीसीसीआइ ने न्यायालय को सूचित किया कि सहकारी समिति के रजिस्ट्रार ने वार्षिक आम सभा की बैठक 20 नवंबर को करने की अनुमति दे दी है.
इस मामले की सुनवाई शुरु होते ही न्यायाधीशों ने कैब से कहा कि उसका सरोकार तो सिर्फ आईपीएल के पिछले संस्करण में स्पाट फिक्सिंग और सट्टेबाजी से जुडे मसले तक ही है. कैब ने इस अर्जी में दवा किया था कि श्रीनिवासन ने सात सितंबर को चेन्नई में अनौपचारिक रुप से बीसीसीआइ के सदस्यों को इकट्ठा किया था और वह खुद तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के प्रतिनिधि के रुप में इसमे शामिल हुये तथा उन्हें इस बात के लिये राजी किया कि बोर्ड की वार्षिक आम सभा की बैठक सितंबर, 2014 में नहीं होगी. न्यायमूर्ति मुद्गल समिति इस प्रकरण में श्रीनिवासन और 12 प्रमुख खिलाडियों की भूमिका की जांच कर रही है. समिति ने 29 अगस्त को सीलबंद लिफाफे में अपनी अंतरिम रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी थी.