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आइसीसी का एक्शन संदिग्ध!

* पश्चिम ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी ने गेंदबाजों का एक्शन परखने वाले तरीके पर उठाये सवाल नयी दिल्ली : संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन वाले स्पिनरों को बाहर का रास्ता दिखाने को आतुर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आइसीसी) का इस मामले में एक्शन संदेहास्पद होता जा रहा है. पिछले करीब 20 साल से गेंदबाजों का एक्शन जांचने में आइसीसी का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 16, 2014 6:39 AM

* पश्चिम ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी ने गेंदबाजों का एक्शन परखने वाले तरीके पर उठाये सवाल

नयी दिल्ली : संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन वाले स्पिनरों को बाहर का रास्ता दिखाने को आतुर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आइसीसी) का इस मामले में एक्शन संदेहास्पद होता जा रहा है. पिछले करीब 20 साल से गेंदबाजों का एक्शन जांचने में आइसीसी का साथ देने वाली पश्चिम ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी ने आइसीसी के नये तरीकों पर सवाल उठाये हैं. यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का कहना है कि आइसीसी इस बार सही तकनीक और उचित तरीके का इस्तेमाल नहीं कर रही है और इसका खामियाजा कई स्तरीय स्पिनरों को भुगतना पड़ा है.
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी में बायोमैकेनिक्स की एसोसिएट प्रोफेसर जैकलीन एंडरसन ने आइसीसी के तरीकों पर कुछ सवाल उठाये हैं. उनका कहना है कि आइसीसी के नये तरीके में गेंदबाज के हाथ से गेंद रिलीज होने के पल का सही अंदाजा नहीं लगाया जा रहा है. इसमें बहुत बारीकी से काम करना होता है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में जब उन्होंने सईद अजमल के एक्शन का परीक्षण किया था, तब गेंद रिलीज होने का पल का अंदाजा अगर 1-2 फ्रेम या 0.004-0.008 सेकेंड भी गलत होता, तो उनका एक्शन गलत साबित हो जाता.
आइसीसी के नये तरीके में इतनी बारीकी से काम नहीं हो रहा है. उन्होंने साथ ही गेंदबाज की बांह पर उचित जगह मार्कर न लगाये जाने की भी शिकायत की है. उनके मुताबिक गेंदबाज के कोहनी को मोड़ने और इसे सीधा करने दोनों का असर चकिंग में होता है. आइसीसी दोनों पहलू पर एक साथ ध्यान नहीं दे रही है. एंडरसन ने अब भी 2डी इमेजनरी का प्रायोग जारी रखने के लिए भी आइसीसी की आलोचना की है.
* आइसीसी ने किया बचाव
हालांकि आइसीसी ने अपनी तकनीक और तरीके का बचाव किया है. उसका कहना है कि वह आधुनिकतम सुविधाओं का सहारा ले रहा है. आइसीसी ब्रिसबेन, कार्डिफ और चेन्नई के सेंटरों पर संदिग्ध एक्शन पर बायोमैकेनिक्स टेस्ट करवा रही है. आइसीसी के मुताबिक पर्थ स्थित यूनिवर्सिटी आइसीसी की आलोचना इसलिए कर रही है, क्योंकि अब आइसीसी उसकी सेवा नहीं ले रही है.
* बीसीसीआइ भी आइसीसी की राह पर
आइसीसी की तरह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) बी संदिग्ध एक्शन वाले गेंदबाजों के खिलाफ सख्ती से पेश आ रहा है. बीसीसीआइ ने हाल में संपन्न हुई चैंपियंस लीग ट्वेंटी-20 में वेस्टइंडीज के स्टार गेंदबाज सुनील नारायण को एक्शन के लिए चेतावनी दी. बोर्ड ने इसके अलावा घरेलू क्रिकेट में भी हर स्तर पर संदिग्ध एक्शन वाले गेंदबाजों से कड़ाई से निबटने का फैसला किया है.
* इन गेंदबाजों पर पड़ी है मार
सईद अजमल (पाकिस्तान), मोहम्मद हफीज (पाकिस्तान), अदनान रसूल, सुनील नारायण (वेस्टइंडीज), सूर्यकुमार यादव (भारत), केन विविलयम्सन (न्यूजीलैंड), सचित्र सेनानायके (श्रीलंका), सोहाग गाजी (बांग्लादेश), प्रोस्पर उत्सेया (जिंबाब्वे).
* जून में क्रिकेट समिति की बैठक के बाद बदला माहौल
संदिग्ध एक्शन वाले गेंदबाजों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पहले से होती रही है. लेकिन इससे अधिक सख्ती से निबटने का फैसला आइसीसी की जून में हुई बैठक में लिया गया. आइसीसी के जनरल मैनेजर (क्रिकेट ऑपरेशंस) ज्योफ एलार्डिस ने कहा कि लंबे समय से इसकी जरूरत थी. पानी से सिर से ऊपर बह रहा था.
आइसीसी की पहले की कोशिशें रंग नहीं ला रही थी. इसलिए जून में हुई क्रिकेट समिति की बैठक में इस मामले से कड़ाई से निबटने का फैसला किया गया है. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि इस कदम के पीछे भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंगलैंड के शक्तिशाली बोर्ड का हाथ है. उन्होंने कहा कि क्रिकेट समिति में शामिल कई देशों के सदस्यों ने संदिग्ध एक्शन को गंभीर मसला बताया और इससे निबटने पर जोर दिया.
* दिग्गजों की राय में अंतर
इस मसले पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दिग्गजों की राय बंटी हुई है. वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान विवियन रिचर्ड ने इस क्रैकडाउन की टाइमिंग पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा कि कुछ महीनों में क्रिकेट वर्ल्ड कप होनेवाला है और ऐसे समय परसंदिग्ध एक्शन के नाम पर स्पिनरों को टारगेट करना निराशाजनक है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने इसे जरूरी कदम बताया है. उन्होंने कहा कि संदिग्ध गेंदबाजी की समस्या बहुत पहले से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मौजूद है. आइसीसी को इसे पहले ही खत्म करना चाहिए था. देर से ही सही आइसीसी उचित कमद उठा रही है. श्रीलंका के पूर्व स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने गेंदबाजों को नियम के दायरे में रहते हुए गेंदबाजी करने की सलाह दी है.

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