नरेंद्र मोदी और सचिन तेंदुलकर की मुलाकात के मायने
आज क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस मुलाकात की वजह स्वच्छ भारत अभियान को बताया जा रहा है. एक महान क्रिकेटर अगर देश के प्रधानमंत्री से मिलता है, तो उस मुलाकात पर वैसी नजर नहीं रहती है, जैसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सचिन तेंदुलकर […]
आज क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस मुलाकात की वजह स्वच्छ भारत अभियान को बताया जा रहा है. एक महान क्रिकेटर अगर देश के प्रधानमंत्री से मिलता है, तो उस मुलाकात पर वैसी नजर नहीं रहती है, जैसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सचिन तेंदुलकर के मुलाकात पर है.
कारण यह है कि सचिन को कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद के तौर पर मनोनीत किया था और वे कांग्रेस राज के दौरान ही राज्यसभा के सांसद बने थे और नरेंद्र मोदी को कांग्रेस पार्टी कतई पसंद नहीं करती है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सचिन वैसे खिलाड़ी हैं, जो अभी तक किसी तरह के विवाद में नहीं आये हैं. कांग्रेस ने खेल के प्रति उनके योगदान को देखते हुए उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया, तो इससे सचिन का मान बढ़ा और उन्होंने इस सम्मान को स्वीकार भी किया.
लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि सचिन ने उस वक्त भी यह कहा था कि खेल या कहें क्रिकेट उनका पहला प्यार है. यही वजह है कि जब कांग्रेस ने उनकी लोकप्रियता को भुनाने के लिए उनसे चुनाव प्रचार करने को कहा था, तो उन्होंने मना कर दिया था.
इसलिए अगर यह माना जाये कि सचिन तो देश के लिए बने है और खेल के प्रति योगदान देने के अलावा वे किसी तरह की राजनीति में नहीं पड़ना चाहते ,तो सही होगा. सचिन की छवि पाक साफ है,उन्होंने शराब का विज्ञापन करने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि इससे उनकी छवि पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और उनसे प्रेरणा लेने वाले लोग भ्रमित हो जायेंगे.
कहने का आशय यह है कि सचिन सही गलत को भांपकर निर्णय लेते हैं. तो क्या यह माना जाये कि सचिन के लिए नरेंद्र मोदी एक ऐसे आदर्श व्यक्ति हैं जिनके आह्वान पर वे स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े हैं. तो क्या यह मान लिया जाये कि नरेंद्र मोदी अब सर्वस्वीकार्य हो गये हैं.
ऐसा मात्र इसलिए नहीं कहा जा रहा है क्योंकि सचिन तेंदुलकर उनके अभियान में उनके साथ हैं, बल्कि इसके अन्य कई उदाहरण भी हमारे सामने हैं. मसलन शशि थरुर भी नरेंद्र मोदी के फैन हो गये हैं और स्वच्छ भारत अभियान के दूत बन गये हैं. नरेंद्र मोदी से उनकी नजदीकी के कारण ही कांग्रेस पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया है. नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी माने जाने वाले दिग्विजय सिंह ने भी उनकी तारीफ की है.
अब अगर नरेंद्र मोदी की पुरानी छवि की बात करें, तो उनके सिर पर एक कलंक है कि उन्होंने गुजरात दंगा होने दिया और साथ ही यह भी कि वे अल्पसंख्यकों के हितैषी नहीं है. इस कलंक के कारण ही अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से मना कर दिया था. लेकिन ज्यों ही परिस्थिति बदली नरेंद्र मोदी अमेरिका के लिए स्वीकार्य हो गये और उन्हें वीजा के साथ अमेरिका आने का निमंत्रण भी मिला. अब नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे से लौट भी चुके हैं और बराक ओबामा ने उन्हें भरपूर सहयोग देने का वादा भी किया है.
नरेंद्र मोदी अब देश के ही नहीं विश्व के नेता बनते जा रहे हैं. जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, उनमें यह परिवर्तन आया है कि वे ज्यादा नम्र और कर्तव्यनिष्ठ हो गये हैं. अब वे देश को जोड़ने की और उसे विकास के पथ पर ले जाने की बात करते हैं. वे सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए चिंतित हैं.ऐसे में क्या यह मान लिया जाये कि नरेंद्र मोदी के पाप अब धुल गये?