एक भारतीय क्रिकेट प्रेमी आखिर क्यों और कैसे पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल के उस बयान को सच्चा मान सकता है और सचिन तेंदुलकर के उस खुलासे को झुठला सकता है, जिसमें उन्होंने ग्रेग चैपल पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने सचिन को यह ऑफर दिया था कि वे टीम के कप्तान बन जायें, ताकि दोनों मिलकर भारतीय क्रिकेट पर राज कर सकें.
सचिन के इन आरोपों को झूठा बताते हुए ग्रेग चैपल ने ऑस्ट्रेलियाई मीडिया को सफाई दी है कि मैंने कभी भी सचिन से यह नहीं कहा था कि आप कप्तान बन जायें और भारतीय क्रिकेट पर कब्जे के लिए हम दोनों साथ आ जायें. चैपल ने कहा कि सचिन के आरोप सरासर झूठे हैं.
मैं जबतक भारतीय टीम का कोच रहा मात्र एक बार सचिन के घर पर गया था, जब वे चोटिल थे. लेकिन मैंने उनका हालचाल लिया था न कि उन्हें टीम पर कब्जा करने के लिए कोई ऑफर दिया था. उन्होंने कहा कि मेरा यह उद्देश्य कतई नहीं है कि मैं कोई वाक्युद्ध शुरू करूं . लेकिन सचिन के आरोपों से मैं आश्चर्यचकित हूं. मैंने ऐसी कोई योजना कभी नहीं बनायी, जिसका उद्देश्य राहुल द्रविड़ को हटाकर सचिन को कप्तान बनाना था.
सचिन ने अपनी किताब में लिखा है कि चैपल का व्यवहार रिंग मास्टर की तरह था, जो अपने आइडिया दूसरों पर लादते वक्त यह एकदम नहीं सोचते थे कि वह व्यक्ति उस आइडिया के साथ अच्छा महसूस कर रहा है या नहीं.
चैपल के बयान पर क्यों किया जाये यकीन : सचिन और चैपल के बयानों पर गौर करें, तो यह बात साफ है कि दोनों में से कोई एक झूठ बोल रहा है. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिस सचिन ने देश का सिर कई बार ऊंचा किया और समूचे विश्व में अपने देश का मान रखा, उस सचिन को छोड़ भारतीय क्यों ग्रेग चैपल के बयान पर यकीन करेंगे.
सचिन एक प्रेरक व्यक्त्वि के रूप में पूरे भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जाने जाते हैं. जबकि ग्रेग चैपल का भारतीय टीम के कोच के रूप में कार्यकाल विवादों से पूर्ण रहा है. सौरव गांगुली के साथ भी चैपल के विवाद जगजाहिर हैं. उसके बाद ही टीम इंडिया पूरी तरह से बिखर गयी थी और उसका प्रदर्शन गिरता गया था.