ओपनर बैट्समैन की कमी से जूझती रही है टीम इंडिया
क्रिकेट का वास्तविक स्वरूप टेस्ट मैच में देखने को मिलता है. जहां बैट्समैन अपनी हर शॉट को पूरे मन से खेलते हैं और गेंदबाज अपनी बॉल को फेंकते वक्त उस गेंद में अपना तमाम कौशल लगा देते हैं. लेकिन विगत कुछ वर्षों से इस फॉरमेट के खेल का क्रेज घटता जा रहा है. एक वो […]
क्रिकेट का वास्तविक स्वरूप टेस्ट मैच में देखने को मिलता है. जहां बैट्समैन अपनी हर शॉट को पूरे मन से खेलते हैं और गेंदबाज अपनी बॉल को फेंकते वक्त उस गेंद में अपना तमाम कौशल लगा देते हैं.
लेकिन विगत कुछ वर्षों से इस फॉरमेट के खेल का क्रेज घटता जा रहा है. एक वो दौर भी था, जब लोग टेस्ट मैच देखने के लिए पांच दिनों तक लगातार स्टेडियम में जमे रहते थे, लेकिन अब तो टेस्ट के दौरान स्टेडियम में भीड़ एकट्ठा करना मुश्किल है. यही कारण है कि टेस्ट मैच के प्रति खिलाडि़यों में भी उत्साह कम होता जा रहा है. लोग फटाफट क्रिकेट के दीवाने हो गये हैं. लेकिन इसका असर खिलाडि़यों के प्रदर्शन पर साफ नजर आ रहा है.
वे क्रीज पर जमकर खेल ही नहीं सकते हैं और न ही उनके शॉट में वो खूबसूरती होती है, जो सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकार,चेतन चौहान और अजहरुद्दीन जैसे खिलाडि़यों के शॉट में होती थी. टेस्ट मैच में भारतीय टीम की रैंकिंग भी अब छठी हो गयी है.
इंग्लैंड दौरे के दौरान जिस प्रकार भारतीय क्रिकेट का गिरता प्रदर्शन सामने आया, उससे कई सवाल उठे. उनमें से एक सवाल यह भी है कि आज भी भारत को एक आदर्श ओपनर जोड़ी टेस्ट टीम में नहीं मिल पायी, जिसका भारत को वर्षों से इंतजार है. अगर वर्तमान टीम की बात करें, तो अभी शिखर धवन और मुरली विजय ओपनर बैट्समैन के रूप में मैदान पर उतरते हैं. लेकिन इसे एक आदर्श जोड़ी करार नहीं दिया जा सकता, क्योंकि ओपनर के रूप में दोनों का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है.
कुछ वर्ष पूर्व वीवीएस लक्ष्मण और गौतम गंभीर जब ओपनर बैट्समैन के रूप में खेल रहे थे, तो ऐसा महसूस हुआ था कि अब टीम को एक अच्छी ओपनिंग जोड़ी मिल गयी है. वीवीएस लक्ष्मण हार्ड बॉल को बखूबी खेलते थे. इसमें कोई दो राय नहीं है कि इनका प्रदर्शन अच्छा भी रहा, लेकिन यह जोड़ी भी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पायी. इनके बाद टीम इंडिया एक बार फिर ओपनर बैट्समैन की तलाश में है.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सुनील गावस्कर की तरह ओपनर बैट्समैन टीम इंडिया को कभी नहीं मिला. लेकिन सुनील गावस्कर के काल में भी दूसरे बैट्समैन को लेकर दुविधा बनी रहती थी. सुनील गावस्कर के साथ जिस जोड़ी को सबसे अच्छा माना गया वह चेतन चौहान की थी. चेतन चौहान ने गावस्कर के साथ कई मैचों में पारी की शुरुआत की थी. इस जोड़ी की विशेषता यह थी कि सुनील गावस्कर शतक लगाने में महारथी थे लेकिन चेतन चौहान कभी शतक नहीं लगा पाये थे.
गावस्कर के साथ गुड़प्पा विश्वनाथ ने भी कई मैचों में पारी की शुरुआत की, लेकिन इस जोड़ी को ओपनर के रूप में वह सफलता नहीं मिली, जो चेतन चौहान और गावस्कर को मिली थी. सुनील गावस्कर जब मैच की ओपनिंग के लिए आते थे, तो क्रिकेट के जानकार आश्वस्त रहते थे कि उन्हें क्लास का खेल देखने को मिलेगा. गावस्कर की स्ट्रेट ड्राइव की खूबसूरती आज भी लोगों के जेहन में है.