विश्व कप ने सचिन के करियर को सुनहरा बनाया : वसीम अकरम
दुबई : पाकिस्तान के महान तेज गेंदबाज वसीम अकरम का मानना है कि सचिन तेंदुलकर का दो दशक से अधिक लंबा केरियर सुनहरा रहा, लेकिन अगर वह 2011 विश्व कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा नहीं होते तो अधूरा होता. विश्व कप शुरु होने से सौ दिन पहले आइसीसी के लिये अपने कॉलम में […]
दुबई : पाकिस्तान के महान तेज गेंदबाज वसीम अकरम का मानना है कि सचिन तेंदुलकर का दो दशक से अधिक लंबा केरियर सुनहरा रहा, लेकिन अगर वह 2011 विश्व कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा नहीं होते तो अधूरा होता.
विश्व कप शुरु होने से सौ दिन पहले आइसीसी के लिये अपने कॉलम में अकरम ने लिखा, निजी तौर पर मेरा मानना है कि विश्व कप जीत से पेशेवर क्रिकेटरों का कैरियर मुकम्मिल होता है. इसकी मिसाल सचिन तेंदुलकर की प्रतिक्रिया है जो उन्होंने मुंबई में 2011 विश्व कप जीतने पर व्यक्त की थी. छह प्रयासों में यह उनकी पहली सफलता थी.
उन्होंने कहा , यह एक विनम्र और शालीन क्रिकेटर के पूर्ण संतोष पा लेने की अभिव्यक्ति थी जो विश्व कप जीतने को लालायित था. दो अप्रैल 2011 को तेंदुलकर ने अपना नाम महानतम और सबसे मुकम्मिल क्रिकेटर के रुप में इतिहास में दर्ज करा लिया.
अकरम 1992 विश्व कप जीतने वाली पाकिस्तानी टीम के सदस्य थे और 1999 विश्व कप में कप्तान रहे. वह 1987 में सेमीफाइनल और 1996 में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने वाली पाकिस्तानी टीम में भी थे.
अकरम ने कहा, दूसरी ओर आधुनिक क्रिकेट के कई महान खिलाडियों को विश्व कप की सफलता मयस्सर नहीं हुई. ब्रायन लारा, राहुल द्रविड, सौरव गांगुली और जाक कैलिस से पूछो जो बतायेंगे कि उनके सुनहरे कैरियर में क्या कमी रह गई.
उन्होंने कहा, इसी तरह माइक गैटिंग से पूछिये जो बतायेंगे कि 1987 विश्व कप फाइनल में रिवर्स स्वीप शाट खेलने का उन्हें कितना मलाल है. इसी तरह 1999 में हेडिंग्ले में स्टीव वॉ का कैच छोड़ना हर्शल गिब्स को आज तक अखर रहा होगा. अकरम ने कहा, इसी तरह वकार युनूस कैरियर की शुरुआत में फिटनेस समस्याओं को कोस रहे होंगे जिनकी वजह से उन्हें 1992 विश्व कप शुरु होने से पहले ही पाकिस्तान लौटना पड़ा था.