भारत में क्यों वसीम अकरम और ब्रेट ली नहीं जन्म लेते?

यह दृश्य है भारत के एक छोटे शहर का, जहां के एक मुहल्ले में बच्चों की टीम क्रिकेट मैच खेल रही है. एक बच्चा तेजी से अपने रनअप पर दौड़ता हुआ बॉलिंग करने के लिए आता है, लेकिन बॉलिंग प्वाइंट तक पहुंचने से पहले ही उसे टीम का कप्तान रोक देता है और उसे सलाह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2014 2:21 PM

यह दृश्य है भारत के एक छोटे शहर का, जहां के एक मुहल्ले में बच्चों की टीम क्रिकेट मैच खेल रही है. एक बच्चा तेजी से अपने रनअप पर दौड़ता हुआ बॉलिंग करने के लिए आता है, लेकिन बॉलिंग प्वाइंट तक पहुंचने से पहले ही उसे टीम का कप्तान रोक देता है और उसे सलाह देता है कि फास्ट नहीं स्पिन बॉल फेंकों. उसकी बात सुन बच्चा थोड़ा निराश होता है, लेकिन फिर अपनी बॉलिंग रनअप की ओर चला जाता है. यह बानगी है, उस सोच की संभवत: जिसके कारण भारत में फास्ट बॉलर की कमी है.

अगर हम भारतीय क्रिकेट की समीक्षा करें, तो हम यह पायेंगे कि फास्ट बॉलरों की कमी से टीम इंडिया हमेशा जूझती रही है. यही वजह है कि जब मिडियम पेसर कपिल देव टीम में शामिल हुए तो पाकिस्तानी फास्ट बॉलर इमरान खान ने कहा था कि ऐसे बॉलर तो हमारे देश में गली-मोहल्लों में मिलते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि कपिल देव ने इमरान को उनके बयान का सटीक जवाब अपने प्रदर्शन से दिया था, लेकिन इसमें कोई दो मत नहीं है कि हमारे देश में तेज गेंदबाजों की कमी है.

आज भी हमारे देश में इमरान खान, वसीम अकरम और ब्रेट ली जैसे फास्ट बॉलर नहीं उभरते. अगर फास्ट बॉलर की बात करें तो हमारे देश में कपिल देव, जवागल श्रीनाथ, जहीर खान और चेतन शर्मा के अलावा किसी का भी नाम सामने नहीं आता है. वर्तमान में ईशांत शर्मा, मो शमी और भुवनेश्वर कुमार जैसे खिलाड़ी उभरे हैं. लेकिन अगर हम स्पिन की बात करें तो बिशन सिंह बेदी, अनिल कुंबले, रवि शास्त्री, मनिंदर सिंह, आर अश्विन, हरभजन सिंह जैसे कई शीर्ष गेंदबाज हमारे सामने हैं. वर्तमान में भी कई नये लड़के सामने आ रहे हैं जिनमें कुलदीप यादव जैसे लड़के हैं.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि टीम इंडिया की शक्ति उसकी बल्लेबाजी है. भारतीय टीम हमेशा बल्लेबाजों की बदौलत की मैच जितती है. लेकिन यहां सवाल यह है कि आखिर क्यों हमारे देश में फास्ट बॉलर नहीं पनपते हैं? हमारे देश में शुरुआत से ही नवाब पटौदी, सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, सचिन तेंदुलकर, मो. अजहरुद्दीन और विराट कोहली जैसे बल्लेबाज हुए.
विशेषज्ञों की बात करें, तो उनका कहना है कि हमारे देश में फास्ट बॉलर नहीं पनपते यह एक सच्चाई है. इसके पीछे का सच यह हो सकता है कि यहां रोल मॉडल की कमी है. हमारे देश में रोल मॉडल बल्लेबाज रहें हैं. साथ ही यहां प्रशिक्षकों की भी कमी है. हमारे देश के बच्चों का खान-पान जिस तरह का है उनके पास ऊर्जा की कमी है. यही कारण है कि अगर वे फास्ट बॉलिंग करते हैं, तो ज्यादा दिनों तक अपने प्रदर्शन को कायम नहीं रख पाते हैं और टीम से आउट हो जाते हैं. यही कारण है कि युवा फास्ट बॉलिंग की ओर आकर्षित नहीं हो पाते हैं.

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