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सचिन ने आत्मकथा में किये कई अहम खुलासे पर फिक्सिंग मामले में साधी चुप्‍पी

मुंबई : सचिन तेंडुलकर की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माइ वे’ को भव्य समारोह में इस महान क्रिकेटर के कुछ पूर्व साथियों, सेलीब्रिटीज और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में विमोचित किया गया. सचिन ने आत्मकथा की पहली प्रति अपनी मां रजनी को दी थी. सचिन ने तालियों की गड़गडाहट के बीच आत्मकथा का खुद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2014 9:19 AM

मुंबई : सचिन तेंडुलकर की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माइ वे’ को भव्य समारोह में इस महान क्रिकेटर के कुछ पूर्व साथियों, सेलीब्रिटीज और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में विमोचित किया गया. सचिन ने आत्मकथा की पहली प्रति अपनी मां रजनी को दी थी. सचिन ने तालियों की गड़गडाहट के बीच आत्मकथा का खुद विमोचन किया.

विमोचन के दौरान सचिन ने अपने मेंटोर और बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर को अपनी बेटी सारा की मौजूदगी में किताब की प्रति दी. आचरेकर व्हीलचेयर पर आये थे. किताब के विमोचन से पहले कार्यक्रम के होस्ट हर्षा भोगले ने तीन पैनल चर्चा की. पहली पैनल चर्चा में पूर्व भारतीय कप्तानों सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, रवि शास्त्री और मुंबई के पूर्व क्रिकेटर वासु परांजपे ने हिस्सा लिया. इसके बाद राहुल द्रविड़, सौरभ गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण ने भी हिस्सा लिया.

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* फिक्सिंग पर नहीं थी पुख्ता जानकारी
फिक्सिंग प्रकरण पर लिखने से बचनेवाले सचिन ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को नहीं छेड़ने का फैसला किया. ऐसी चीज के बारे में टिप्पणी करना अनुचित होता, जिसके बारे में मुझे पूरी जानकारी नहीं थी. हालांकि फिक्सिंग के दौर में वह भारतीय ड्रेसिंग रूम का हिस्सा थे. 90 के दशक के अंतिम समय में यह विवाद हुआ था, जिसके बाद पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया, जबकि अजय जडेजा जैसे क्रिकेटरों को भी सजा हुई.
तेंडुलकर ने कहा, मेरे पास कुछ साक्ष्य होते, अगर इसके बारे में बात करने के लिए मेरे पास कुछ विस्तृत जानकारी होती, जो इस पर बात करना सही रहता और लोग इसकी सराहना करते. लेकिन अगर मैं सिर्फ बोलना शुरू कर दूं, तो इसकी कोई अहमियत नहीं रहती. उनसे जब पूछा गया कि इस दौरान क्या कुछ खिलाडि़यों ने जानबूझ कर कमतर प्रदर्शन कियास तो उन्होंने कहा, नहीं. कुछ खिलाड़ी विफल रहे, लेकिन विफल कौन नहीं रहता है.
* टीम की कप्तानी में नहीं आया मजा
सचिन तेंदुलकर ने भारतीय टीम की कप्तानी इसलिए छोड़ी, क्‍योंकि टीम की अगुआई करने का दबाव व्यक्ति के रूप में उन्हें प्रभावित कर रहा था. वह अपने परिवार के साथ मौजूद रहने के दौरान इससे अलग नहीं हो पा रहे थे. तेंडुलकर ने कहा, कप्तानी के दौरान जिस भी हार का मैंने सामना किया, वह मुझे पीड़ा पहुंचा रही थी. मैदान के बाहर भी जब मैं अपने परिवार के साथ था, तो मैं इससे नहीं उबर पा रहा था. इससे मैं परेशान होने लगा था. इसलिए मुझे लगा कि अगर एक खिलाड़ी के रूप में मैं योगदान दे पाऊं और अगले कप्तान को सुझाव दूं, तो बेहतर होगा.
* ऑस्ट्रेलियाई दौरे का बहिष्कार करना चाहते थे सचिन
सचिन तेंडुलकर ने ऑस्ट्रेलिया (2007-08) में मंकीगेट कांड के दौरान अपने गुस्से और उन्हें जो विश्वसघात महसूस हुआ, उसके बारे में बात की. उन्होंने खुलासा किया कि जब विवाद अपने चरम पर था, तब वह दौरे का बहिष्कार करना चाहते थे. उस विवाद के कारण भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट रिश्ते खटाई में पड़ने की स्थिति में पहुंच गये थे.
ऑस्ट्रेलियाई टीम ने तब शिकायत की थी कि एंड्रयू साइमंड्स के लिए सिडनी टेस्ट के दौरान हरभजन सिंह ने नस्ली टिप्पणी की थी. तेंडुलकर ने अपनी किताब में लिखा है, अनिल कुंबले (तत्कालीन कप्तान) और मैं अगुआई कर रहे थे और यह सर्वसम्मत फैसला था कि यदि भज्जी पर प्रतिबंध लगे रहता है, तो हम दौरे का बहिष्कार करेंगे.
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साइमंड्स कुछ समय से हरभजन को उकसाने की कोशिश कर रहा था और आखिर में इस भारतीय का धैर्य भी जवाब दे गया. सचिन ने कहा, मैं साफ कर देना चाहता हूं कि यह घटना इसलिए हुई, क्योंकि एंड्रयू साइमंड्स लगातार भज्जी को उकसाने की कोशिश कर रहा था. मैं भज्जी को शांत करने के लिए उसकी तरफ जा रहा था, तब मैंने उसे साइमंड्स के लिए कहते सुना तेरी मां की. ऐसी प्रतिक्रिया उत्तर भारत में हम अपना गुस्सा दिखाने के लिए अक्सर करते हैं और मेरे हिसाब से यह खेल का हिस्सा था.

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