22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कप्तानी छिन जाने पर नाराज थे सचिन

नयी दिल्ली : महान बल्लेबाज और भारत रत्‍न सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्‍मकथा में एक और बड़ा खुलासा किया है. उन्‍होंने कहा कि 1997 में कप्तानी से हटाये जाने के बाद वह काफी गुस्से में थे. उन्‍हें कप्‍तानी से हटाये जाने से काफी पीड़ा हुई थी. सचिन ने इस बात का खुलासा करते हुए इसे […]

नयी दिल्ली : महान बल्लेबाज और भारत रत्‍न सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्‍मकथा में एक और बड़ा खुलासा किया है. उन्‍होंने कहा कि 1997 में कप्तानी से हटाये जाने के बाद वह काफी गुस्से में थे. उन्‍हें कप्‍तानी से हटाये जाने से काफी पीड़ा हुई थी. सचिन ने इस बात का खुलासा करते हुए इसे ‘अनौपचारिक’ तथा बहुत लज्जाजनक और अपमानजनक करार दिया है.

अपनी आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माइ वे’ में तेंदुलकर ने श्रीलंका के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की ड्रॉ श्रृंखला को याद किया है जिसके बाद उन्हें कप्तान पद से हटाया गया था. इस किताब का प्रकाशन हैचेट इंडिया ने किया है. तेंदुलकर ने लिखा है, श्रृंखला के अंत में, मुझे बेहद अनौपचारिक तरीके से कप्तान पद से हटा दिया गया.

बीसीसीआइ से किसी ने भी मुझे फोन करने या कप्तान पद से हटाने के बारे में सूचित करना उचित नहीं समझा. मुझे मीडिया से किसी ने बताया कि मैं अब कप्तान नहीं रहा. इस 41 वर्षीय क्रिकेटर ने कहा कि इस पद से हटाये जाने के बाद और बेहतर क्रिकेट खेलने के लिये उनकी प्रतिबद्धता बढी.
उन्होंने कहा, असल में मैं तब अपने दोस्त के साथ साहित्य सहवास में था. यह सुनकर मैंने काफी अपमानित महसूस किया लेकिन जिस तरह से सारी चीजें हुई उससे मेरी आने वाले वर्षों में बेहतर क्रिकेटर बनने के संकल्प को मजबूती मिली. तेंदुलकर ने लिखा है, मैंने खुद से कहा कि बीसीसीआइ मुझे कप्तानी छीन सकता है लेकिन जहां तक मेरी क्रिकेट का सवाल है तो कोई भी ऐसा नहीं कर सकता. तेंदुलकर ने भले ही बेहतर करने की कसम खायी लेकिन उन्होंने कहा कि उसकी पीडा अब भी है.
उन्होंने कहा, कप्तानी के मेरे कार्यकाल के दौरान कुछ खिलाड़ी मुझे स्किप कह कर बुलाते थे, इसलिए ढाका में अगले टूर्नामेंट के दौरान जब एक खिलाड़ी स्किपर चिल्लाया तो मैं स्वत: ही जवाब देने के लिये मुड गया. तब मुझे वास्तव में बुरा लगा कि मैं अब भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान नहीं हूं.
तेंदुलकर ने लिखा है, अब मुझे केवल अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना था और टीम के लिये कुछ मैच जीतने थे. इसलिए मैंने यही किया. तेंदुलकर ने इसके साथ ही खुलासा किया कि वह अच्छा प्रदर्शन करने पर इतना अधिक ध्यान दे रहे थे कि जब उन्होंने बांग्लादेश में एक मैच के दौरान साइटस्क्रीन पर हलचल के कारण एकाग्रता भंग होने से अपना विकेट गंवाया तो वह पवेलियन लौटते समय बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष अशरफुल हक पर चिल्ला पडे थे.
उन्होंने कहा, मैं तब किसी पर चिल्लाया था जो उसके बाद अच्छा दोस्त बन गया. यह घटना जिससे हम दोनों को शर्मिंदगी हुई 1998 में ढाका में सिल्वर जुबली इंडिपेंडेंस कप के तीन फाइनल के दूसरे मैच के दौरान घटी थी. तेंदुलकर ने लिखा है, साइटस्क्रीन के आसपास काफी हलचल हो रही थी और मेरी लगातार शिकायतों के बावजूद इसमें सुधार नहीं हुआ. मेरी एकाग्रता भंग हो गयी और मैंने अपना विकेट गंवा दिया.
पवेलियन लौटते समय मैं गुस्से में था और जब कोई मुझसे माफी मांगने आया तो उस पर चिल्ला पड़ा. मैंने कहा कि यदि बुनियादी बातों का ध्यान नहीं रखा जाता है तो बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की मेजबानी का हक नहीं रखता. उन्होंने कहा, मुझे बाद में पता चला कि वह व्यक्ति बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष और वर्तमान में एशियाई क्रिकेट परिषद के मुख्य कार्यकारी अशरफुल हक थे. इसके बाद हम जब भी मिलते हैं तो जो कुछ हुआ उसके लिये सॉरी कहते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें