विराट कोहली शानदार, लेकिन धौनी का जवाब नहीं :रवि शास्त्री

अपने समय के शानदार ऑलराउंडर रवि शास्त्री टीम इंडिया के कप्तान एमएस धौनी के मुरीद हैं. उनका मानना है कि विराट कोहली शानदार कप्तान हैं, लेकिन धौनी का कोई जवाब नहीं है. पूर्व टेस्ट क्रिकेटर और प्रसिद्ध क्रिकेट कमेंटेटर रवि शास्त्री ने रविवार को भारत-श्रीलंका मैच से पहले विशेष बातचीत में अपने विचार व्यक्त किये. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2014 12:34 AM
अपने समय के शानदार ऑलराउंडर रवि शास्त्री टीम इंडिया के कप्तान एमएस धौनी के मुरीद हैं. उनका मानना है कि विराट कोहली शानदार कप्तान हैं, लेकिन धौनी का कोई जवाब नहीं है. पूर्व टेस्ट क्रिकेटर और प्रसिद्ध क्रिकेट कमेंटेटर रवि शास्त्री ने रविवार को भारत-श्रीलंका मैच से पहले विशेष बातचीत में अपने विचार व्यक्त किये. पहले कमेंटेटर और अब टीम डायरेक्टर के रूप में वह ऑन द फील्ड और ऑफ द फील्ड काफी व्यस्त रहे हैं. वनडे मैच और टी-20 मैचों के सिलसिले में वह कई बार रांची आ चुके हैं. रवि शास्त्री यहां के मौसम, क्रिकेट के प्रति यहां के दर्शकों का जुनून और जेएससीए स्टेडियम के दीवाने हैं. प्रस्तुत है हमारे खेल संवाददाता सुनील कुमार के साथ बातचीत के मुख्य अंश..
सबसे पहले टीम इंडिया के सीरीज जीतने पर बधाई..
धन्यवाद.. टीम ने शानदार खेला. टीम की जीत में सभी खिलाड़ियों का योगदान रहा. यह शानदार जीत है.
पिछले वनडे (कोलकाता) में रोहित शर्मा ने रिकॉर्ड 264 रन की पारी खेली. उनकी पारी के बारे में क्या कहेंगे? क्या अब 300 रन बनाना आसान है?
कोलकाता वनडे में रोहित ने शानदार बल्लेबाजी की. पूरे 50 ओवर तक उन्होंने अपना टेंप्रामेंट बनाये रखा. इस तरह की वल्र्ड क्लास की बल्लेबाजी बहुत कम देखने को मिलती है. मुङो नहीं लगता कि आनेवाले समय में रोहित का यह रिकॉर्ड कोई तोड़ पायेगा. लगातार 50 ओवर की बल्लेबाजी के बावजूद उनके चेहरे पर थकान या शिकन नहीं दिखी. जहां तक 300 रन की बात है , तो वह बहुत बड़ा स्कोर होता है. मुङो नहीं लगता कि कोई बल्लेबाज वहां तक पहुंच पायेगा.
विराट कोहली शानदार कप्तानी कर रहे हैं. उनकी कप्तानी में भारत ने श्रीलंका के खिलाफ सीरीज जीती. क्या धौनी को रिप्लेस करने का समय आ गया है?
विराट कोहली बेशक बेहतरीन कप्तानी कर रहे हैं, लेकिन धौनी का कोई जवाब नहीं है. उनका कोई विकल्प नहीं है. उनकी रणनीति जबरदस्त होती है. उनका फिटनेस लेवल टीम के अन्य खिलाडियों से काफी बेहतर है वह लाजवाब खिलाड़ी और कप्तान हैं.
विश्व कप से पहले भारतीय टीम का यह अंतिम एकदिवसीय सीरीज है. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में टीम को टेस्ट सीरीज खेलना है. उसके तुरंत बाद विश्व कप है, जो 50-50 ओवरों का होगा. ऐसे में टीम इंड़िया इतनी जल्दी एक फॉर्मेट से दूसरे में खुद को कैसे ढाल पायेगी?
सच बताऊं, तो द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज अधिक से अधिक तीन मैचों का होना चाहिए. चार या उससे अधिक मैचों की टेस्ट सीरीज खिलाड़ियों के लिए थोड़ा थकानेवाला होता है. ऑस्ट्रेलिया मे होनेवाली सीरीज में भी भारत को चार के बजाय तीन टेस्ट मैच ही खेलने चाहिए थे. इससे खिलाड़ियों को विश्व कप की तैयारी के लिए 10-12 दिन का अतिरिक्त समय मिल जाता. वैसे टीम अच्छा खेल रही है. सभी खिलाड़ी फिट और फॉर्म में हैं. ऐसे में खिलाड़ियों को एक फॉर्मेट से दूसरे में स्विचओवर करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तेजी से बदलाव आ रहे हैं. टीमों और खिलाड़ियों के लिए शेडय़ू काफी हेक्टिक होते जा रहे हैं. ऐसे में टीम इंडिया को तीनों फॉर्मेट के लिए अलग-अलग रणनीति बनाने की जरूरत है क्या?
मुङो नहीं लगता कि भारतीय टीम को अलग-अलग रणनीति बनाने की जरूरत है. टीम व टीम के खिलाड़ी पूरी तरह धौनी केकंट्रोल में हैं. यदि आप अच्छे खिलाड़ी हो, तो कोई भी फॉर्मेट आपके लिए मायने नहीं रखता. धौनी का सभी में अच्छा कमांड है.
विदेशों में टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया सफल नहीं हो पाती है, ऐसा क्यों?
(थोड़ा सोचते हुए..) गेंदबाजी. इसके लिए गेंदबाजी सबसे बड़ी समस्या है. भारतीय तेज गेंदबाजों में 20 विकेट लेने की क्षमता होनी चाहिए. इसके अलावा गेंदबाजों में फिटनेस की भी समस्या है. खास कर भारत के तेज गेंदबाजों को अपनी फिटनेस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
आप शानदार ऑलराउंडर रहे हैं. अब ऐसे ऑलराउंडर टीम में नहीं हैं. वर्तमान में ऐसे कौन से खिलाड़ी हैं, जो ऑलराउंडर की भूमिका निभा सकते हैं?
एक अच्छा ऑलराउंडर वह होता है , जो गेंद और बल्ले से किसी भी फॉर्मेट में खुद को फिट कर लेता है. वर्तमान में टीम इंड़िया में अच्छे ऑलराउंडरों की कमी है, लेकिन यदि भुवनेश्वर कुमार, रवींद्र जडेजा और अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ियों को मौका दिया गया, तो वे अच्छे अलराउंडर के रूप में उभर कर सामने आ सकते हैं. वास्तव में ऑलराउंडर के बगैर कोई भी टीम पंगु हो जाती है. जहां तक मेरा मानना है, तो चार वर्षो तक तो मैंने टीम के लिए ऑलराउंडर की भूमिका बखूबी निभायी, लेकिन उसके बाद मुङो भी गेंद व बल्ला, दोनों के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. खास कर जब मैंने टीम इंडिया के लिए सलामी बल्लेबाजी शुरू की, तक मेरे साथ ऐसा हुआ.
शुरू से आपके लाखों फैन रहे हैं. आपकी पर्सनालिटी भी काफी आकर्षक है. खास कर रिटायरमेंट के बाद आप अपनी फिटनेस कैसे बनाये रखते हैं?
(हंसते हुए..) अब तो थोड़ा मोटा हो गया हूं. खास कर जब से मैंने टीम इंडिया के डायरेक्टर का पद संभाला है, लेकिन जल्द ही फिर से अपनी फिटनेस वापस पा लूंगा. फिट रहने के लिए मैं प्रतिदिन करीब एक घंटे स्विमिंग करता हूं. युवा खिलाड़ियों को भी मैं यही सलाह दूंगा कि चाहे वह किसी भी खेल से संबंध रखते हों. एक घंटे रोज उन्हें जरूर खेलना चाहिए. खास कर बैडमिंटन, फुटबॉल, तैराकी तो प्रतिदिन करनी चाहिए.
आप रांची पहले भी कई बार आ चुके हैं. धौनी के शहर के बारे में कुछ कहें?
(हंसते हुए..) जिस टीम का कप्तान इतना शानदार हो, वहां के लोग भी अच्छे होंगे. मैंने मैचों के दौरान यहां के लोगों को देखा है. सभी टीमों के लिए चीयर करते हैं ये और स्टेडियम में मैच देखने जरूर आते हैं. इससे खिलाड़ियों का हौसला बढ़ता है. जेएससीए स्टेडियम की जितनी भी तारीफ करूं कम है. अमिताभ चौधरी ने शानदार काम किया है. आनेवाले समय में पीढ़ियों तक उनके इस कार्य को याद किया जायेगा.

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