जब यशपाल शर्मा की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत, अजेय वेस्टइंडीज को भारत ने दी थी शिकस्त

किक्रेट जगत के इतिहास पर अगर हम गौर करें, तो पायेंगे कि वेस्टइंडीज की टीम 1983 के दौर में एक अजेय टीम मानी जाती थी और भारत जैसी टीम के लिए उसे हरा पाना नामुमकिन ही माना जाता था. लेकिन उस वर्ष भारतीय टीम के धुरंधरों ने ऐसा प्रदर्शन किया, जिसके बाद यह धारणा बनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2014 1:27 PM

किक्रेट जगत के इतिहास पर अगर हम गौर करें, तो पायेंगे कि वेस्टइंडीज की टीम 1983 के दौर में एक अजेय टीम मानी जाती थी और भारत जैसी टीम के लिए उसे हरा पाना नामुमकिन ही माना जाता था. लेकिन उस वर्ष भारतीय टीम के धुरंधरों ने ऐसा प्रदर्शन किया, जिसके बाद यह धारणा बनी की वेस्टइंडीज की टीम को भी हराया जा सकता है. यह यादगार मैच मैनचेस्टर में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था और ग्रुप बी का चौथा मैच था.

1983 के वर्ल्ड कप से पहले दो और विश्वकप का आयोजन किया गया था, दोनों बार चैंपियन वेस्टइंडीज की टीम ही बनी थी. ऐसे में भारत की क्रिकेट टीम से किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं थी.जब मैच शुरू हुआ तो माइकल होल्डिंग, एनडी रॉबर्ट्स, जोएल गारनर और मैलकम मार्शल जैसे बॉलर्स ने कृष्णमाचारी श्रीकांत, सुनील गावस्कर और मोहिंदर अमरनाथ को स्कोर बोर्ड पर ज्यादा कुछ किये बिना ही पेवेलियन वापस भेज दिया.

यशपाल शर्मा भारतीय टीम के भरोसेमंद खिलाड़ी थे और इस मैच में उन्होंने इस बात को साबित किया कि आखिर क्यों टीम उनपर भरोसा करे. यशपाल शर्मा ने 89 रन बनाये थे, जिसमें नौ चौके शामिल थे. यशपाल शर्मा की बदौलत भारत ने वेस्टइंडीज के सामने 262 रन का स्कोर खड़ा किया. भारतीय टीम के दृष्टिकोण से यह अच्छा लक्ष्य था, लेकिन सभी को जीतने वाली टीम वेस्टइंडीज के लिए यह टारगेट कोई खास मायने नहीं रखता था.

जब वेस्टइंडीज की टीम बैटिंग के लिए उतरी तो डेसमंड हेंस को बलविंदर संधू ने रन आउट कर दिया. भारत की शुरुआत शानदार थी. गॉडर्न ग्रीनिज भी जल्दी ही आउट हो गये. रोजर बिन्नी उस मैच के सबसे सफल बॉलर थे. उन्होंने रिचर्ड्स, क्लाइव लायड और जैफ डूजॉन को आउट किया. रवि शास्त्री ने अपने स्पेल में निचले क्रम के तीन बैर्ट्समैन को आउट किया.

परिणामस्वरूप वेस्टइंडीज भारत के स्कोर से 34 रन पीछे ही ऑल आउट हो गया. यशपाल शर्मा को मैन ऑफ द मैच चुना गया. मैनचेस्टर में भारत की इस जादुई जीत ने यह साबित किया कि खेल के मैदान में कोई भी टीम अजेय नहीं हो सकती. इस मैच ने भारतीय क्रिकेट को एक नयी परिभाषा दी और वह मार्ग भी प्रशस्त कर दिया, जिसपर चलकर भारत फाइनल तक पहुंचा और वेस्टइंडीज को रौंदकर विश्वकप का विजेता बना.

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