विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच खेल रही है. टेस्ट मैच में कप्तानी के हिसाब से देखें, तो यह कोहली का डेब्यू मैच है और अपने डेब्यू मैच में कोहली ने शानदार प्रदर्शन किया है.
कोहली ने इस मैच में अपने टेस्ट कैरियर का सातवां शतक जड़ दिया है. कोहली को जब टेस्ट टीम की कप्तानी सौंपी गयी थी, तो आलोचक यह कह रहे थे कि अभी उनमें वह गहराई नहीं है कि वे टीम का नेतृत्व कर सकें, वह भी टेस्ट टीम की. लेकिन संभवत: इस मैच के बाद उनके आलोचक अपनी बात से असहमत दिखेंगे.
ऐसा नहीं है कि विराट कोहली ने कभी टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व नहीं किया है. इससे पहले भी कई बार कोहली, धौनी की अनुपस्थिति में टीम की कप्तानी कर चुके हैं और टीम को विजयश्री दिला चुके हैं.
भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे से पूर्व श्रीलंका के साथ भारत ने पांच एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला खेली थी, जिसे भारत ने 5-0 से जीता था. इस टीम की कप्तानी कोहली ने की थी क्योंकि धौनी चोटिल थे. कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने काफी आक्रामक खेल दिखाया और अपने प्रतिद्वंदी को कभी हावी नहीं होने दिया.
वैसे भी यह कहा जाता है कि बचाव का सबसे अच्छा तरीका आक्रमण है. ऐसे में अगर कोहली आक्रमक रुख के साथ टीम को लीड करते हैं, तो कहना ना होगा कि टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी. कोहली अभी युवा हैं, अनुभवी भी हैं. ऐसे में अगर वे अपनी पूरी ऊर्जा का इस्तेमाल खेल के लिए करेंगे, तो यह टीम के लिए अच्छा रहेगा.
भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी वर्ष 2007 से भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हैं और उन्होंने क्रिकेट के हर फॉरमेट में टीम को विजश्री दिलायी और उसे ऊंचाई पर पहुंचाया. धौनी की कप्तानी में भारत ने विश्वकप 2011 और वर्ष 2007 में टी-20 विश्वकप जीता. धौनी की कप्तानी में भारत आईसीसी रैंकिंग में टेस्ट और एकदिवसीय मैचों में शीर्ष पर पहुंचा.
लेकिन अब धौनी 33 वर्ष के हो चुके हैं और पिछले सात सालों से टीम की कप्तानी कर रहे हैं. ऐसे में अब टीम इंडिया उनके विकल्प की तलाश में थी. ऐसे में अगर यह कहा जाये कि कोहली धौनी का विकल्प बन सकते हैं, तो गलत नहीं होगा. इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक कप्तान में जो गुण होने चाहिए, उनकी कुछ कमी कोहली में है. लेकिन अपने अनुभव से सीखकर शायद वे उन आदतों को बदल दें. मसलन मैदान पर उग्र हो जाना उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है, जबकि इसके विपरीत धौनी हमेशा शांत रहते हैं.
परिस्थिति चाहे कितनी भी विकट क्यों न हो, धौनी अपना संतुलन नहीं खोते हैं. शायद इसी गुण के कारण उन्हें कैप्टन कूल की संज्ञा दी गयी है. धौनी अभी टीम इंडिया के साथ हैं और कोहली के लिए यह सुनहरा मौका है कि वे अपने सीनियर धौनी से काफी कुछ सीख सकते हैं. विपरीत परिस्थितियों में कठिन निर्णय लेना और ऐसी रणनीति बनाना की टीम को विजय मिले, यह धौनी की खासियत रही है. अब देखना यह है कि जिस कोहली को हम धौनी के विकल्प के रूप में देख रहे हैं, वे कितना हद तक इन गुणों को उनसे आत्मसात कर पाते हैं.