नयी दिल्ली : आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में आज मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से आईपीएल और चैंपियंस लीग मेंव्यावसायिक हित रखने वाले प्रशासकों और खिलाड़ियों की सूची मांगी है.
न्यायालय ने यह जानकारी उस समय मांगी जब बोर्ड ने बीसीसीआई के नियम में विवादास्पद संशोधन का बचाव शुरू किया. इस नियम के माध्यम से ही खेल के प्रशासकों के हितों के टकराव के प्रावधान से छूट देने के साथ ही आईपीएल और चैंपियंस लीग में टीम खरीदने की अनुमति प्रदान की गयी थी.
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति एफ एम आई कलीफुल्ला की खंडपीठ ने इस सूची का अवलोकन करने का निश्चय करने से पहले कुछ तल्ख टिप्पणियां कीं और कहा, आसमान नहीं गिर पड़ेगा यदि बीसीसीआई के अधिकारी टीम के मालिक नहीं होंगे. न्यायाधीशों ने कहा, यदि बीसीसीआई के अध्यक्ष टीम के मालिक नहीं होंगे तो इससे समूची आईपीएल परियोजना ध्वस्त नहीं हो जायेगी और क्या व्यावसायिक हितों के बगैर आईपीएल का आयोजन संभव नहीं है.
आईपीएल इस स्वरूप पर निर्भर नहीं है कि व्यावासायिक हित के साथ प्रशासक टीम का मालिक हो सकता है. न्यायाधीशों ने कहा, हमें उन सारे करार की सूची दीजिये जो आपने (बीसीसीआई) प्रशासक और अन्य उन व्यक्तियों से किये हैं जिनके दूसरे व्यावसायिक हित हैं. आपने किस तरह के और किनके साथ करार किये हैं. न्यायाधीशों ने हितों के टकराव के संबंध में कई सवाल किये और जानना चाहा, कौन से प्रशासक प्रभावित होंगे यदि व्यावसायिक हितों संबंधी करार पर विचार किया जाता है.