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बीसीसीआई को कर छूट देने पर संसदीय समिति नाराज

नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) और अन्य आईपीएल फ्रेंचाइजियों की घोषित आय और आय कर विभाग द्वारा निर्धारित आय के बीच व्यापक अंतर होने पर संसद की एक समिति ने नाराजगी व्‍यक्‍त की है. बीसीसीआई द्वारा करोडों रुपये की कर छूट प्राप्त करने पर क्षोभ व्यक्त करते हुए संसद की एक समिति […]

नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) और अन्य आईपीएल फ्रेंचाइजियों की घोषित आय और आय कर विभाग द्वारा निर्धारित आय के बीच व्यापक अंतर होने पर संसद की एक समिति ने नाराजगी व्‍यक्‍त की है. बीसीसीआई द्वारा करोडों रुपये की कर छूट प्राप्त करने पर क्षोभ व्यक्त करते हुए संसद की एक समिति ने कहा कि बीसीसीआई एवं संबद्ध संस्थाओं को कर देयता से बचने नहीं देना चाहिए और अगर कानून में कोई कमी हो तो उसे दूर किया जाए.

2014-15 के लिए वित्त संबंधी स्थायी समिति की ताजा रिपोर्ट में समिति ने कहा कि बीसीसीआई को वित्त वर्ष 2004-05 से 2006-07 के संबंध में 225.28 करोड़ रुपये की आयकर छूट सीबीडीटी के 1984 के परिपत्र के आधार पर प्रदान की गई थी जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि खेलों का संबर्धन ‘धर्मार्थ’ गतिविधि की परिभाषा में शामिल है.
धर्मार्थ गतिविधियों के संबंध में यह पंजीकरण कर निर्धारण 2007-08 से पिछली तरीख के आधार पर 28 दिसंबर 2009 को वापस ले लिया गया था. समिति ने कहा कि इसके बाद आयकर विभाग ने कर निर्धारण वर्ष 2007-08 के लिए बीसीसीआई पर 274.86 करोड़ रुपये का कर निर्धारण किया.
रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई ने ‘धर्मार्थ’ गतिविधि के रुप में 2008..09 और 2009-10 के लिए क्रिकेट को बढावा देने के आधार पर क्रमश: 377.33 करोड़ रुपये और 216.64 करोड रुपये की कर छूट का दावा किया था. रिपोर्ट में कहा गया है, 2007-08 के लिए 118 करोड़ रुपये की कर की मांग की तुलना में बीसीसीआई से केवल 92 करोड़ रुपये की राशि वसूल की गई थी.
इसे देखते हुए समिति यह मानने को बाध्य थी कि आयकर विभाग बीसीसीआई के प्रति काफी उदार थी और सरकारी खजाने की कीमत पर उसे अपना खजाना समृद्ध करने की अनुमति दे रहा था. संसदीय समिति ने कहा कि कुछ फैंचाइजियों से कर राजस्व बकाया प्राप्त नहीं होने की स्थिति से समिति का यह विचार दृढ होता है कि संबद्ध संस्थाओं को कर देयता से बचने नहीं देना चाहिए और अगर कानून में कोई कमी हो तो उसे दूर किया जाए.
रिपोर्ट के अनुसार, समिति को यह पता चला है कि आईपीएल टूर्नामेंट के लिए बीसीसीआई ने आयकर विभाग को वर्ष 2008-09 के लिए शून्य आय और 2009-10 के लिए 14.86 करोड़ रुपये आय दर्शाते हुए विवरण दाखिल की. जबकि राजस्व विभाग द्वारा प्रस्तुत कर निर्धारण वर्ष 2009-10 के लिए आईपीएल से अर्जित उसका (बीसीसीआई) सकल राजस्व 661.78 करोड़ रुपये बनता है.
संसदीय समिति को 2010-11 के राजस्व के आंकडे उपलब्ध नहीं कराये गए. समिति के सदस्य रहे भाजपा सांसद एस एस आहलुवालिया ने कहा कि बीसीसीआई को कर छूट दी गई. इस बारे में सवाल उठे. कर छूट लेने के लिए कुछ बाते कहीं गई लेकिन बीच में ही इसे बदला गया. कर राजस्व नहीं दिया गया. गडबडियां हुई. खेलों में जुआ और सट्टेबाजी का प्रवेश कर गया है जिसका बुरा असर खेलों पर साफ दिख रहा है.
आहलुवालिया ने कहा कि अगर दुनिया में खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले, रिकार्ड बनाने वाले और पदक जीतने वाले देशों पर गौर करें तब इस तरह की स्थिति नहीं देखने को मिलेगी. सरकार ने समिति को बताया कि 2009-10 के लिये बीसीसीआई का निर्धारण पूरा किया जा चुका है. बीसीसीआई द्वारा दायर रिटर्न के अनुसार शून्य आय की तुलना में उसकी आय 964.18 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है.
2010-11 के लिए बीसीसीआई का निर्धारण पूरा किया जा चुका है. बीसीसीआई द्वारा दायर रिटर्न की अनुसार शून्य आय की तुलना में उसकी आय 874.18 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है. सरकार ने समिति को सूचित किया कि बीसीसीआई के संबंध में 2004-05 से 2008-09 और 2010-11 के लिए निर्धारण पूर्ण करके 930 रुपये के कर की मांग की गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई और आईपीएल फ्रेंचाइजियों के मामले में निर्धारण वर्ष 2011-12 और 2012-13 के लिए निर्धारण को वर्तमान वित्त वर्ष में पूरा करने के प्रयास किये जा रहे हैं.

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