मेलबर्न टेस्ट कल : ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत दर्ज करने के इरादे से उतरेगा भारत
मेलबर्न : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यहां खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट मैच को लेकर टीम इंडिया काफी गंभीर है. इस मैच में जीत दर्ज करना टीम के लिए बहुत जरूरी है, अन्यथा टीम यह सीरिज हार जायेगी. फिलहाल ऑस्ट्रेलिया अभी चार मैचों की श्रृंखला में 2-0 से आगे है और केवल ड्रा कराने […]
मेलबर्न : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यहां खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट मैच को लेकर टीम इंडिया काफी गंभीर है. इस मैच में जीत दर्ज करना टीम के लिए बहुत जरूरी है, अन्यथा टीम यह सीरिज हार जायेगी.
फिलहाल ऑस्ट्रेलिया अभी चार मैचों की श्रृंखला में 2-0 से आगे है और केवल ड्रा कराने से वह बोर्डर गावस्कर ट्रॉफी हासिल कर लेगा जबकि भारत को ट्रॉफी अपने पास बनाये रखने के लिए बाकी बचे दोनों मैच जीतने होंगे.
ट्रॉफी के अलावा भारत विदेशी सरजमीं पर एक और श्रृंखला में हार से बचने की कोशिश करेगा.ऑस्ट्रेलिया ने एडीलेड में पहला टेस्ट मैच में 48 रन और ब्रिस्बेन में दूसरा मैच चार विकेट से जीता और वह मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में बोर्डर गावस्कर ट्रॉफी अपने नाम कर सकता है.
भारत ने 2011 -12 में इंग्लैंड दौरे से लेकर अब तक विदेशों में पिछली पांच टेस्ट श्रृंखलाएं गंवायी हैं. इससे पहले ऐसा तब हुआ था जबकि भारतीय टीम कमजोर मानी जाती थी और उसने टेस्ट क्रिकेट में खेलना ही शुरू किया था.
भारत ने इंग्लैंड में 1932 में अपने पहले विदेशी दौरे से लेकर विदेशी धरती पर लगातार छह टेस्ट श्रृंखलाएं गंवायी थी. इस बीच टीम ने 21 मैचों में 12 में हार झेली थी. लेकिन तब से भारतीय क्रिकेट में काफी बदलाव आ गया है और अब वह किसी भी तरह से कमजोर टीम नहीं रही. भारत ने सीमा रेखा से बाहर क्रिकेट पर पूरी तरह से दबदबा बना रखा है.
भारत को अब हर तरह की परिस्थिति में मैदान के अंदर भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए. पिछले चार सत्रों में हालांकि परिणाम अपेक्षानुरुप नहीं रहे.
इस दौरान पिछले दो दशकों की स्वर्णिम पीढ़ी के खिलाड़ियों ने या तो संन्यास ले लिया या फिर उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. जिससे बदलाव का दौर शुरू हुआ जो कि अब समाप्त हो जाना चाहिए था लेकिन लगता है कि अब तक ऐसा नहीं हुआ.
दक्षिण अफ्रीका से लेकर न्यूजीलैंड और इंग्लैंड में प्रत्येक चरण भारतीय खिलाड़ियों के लिए सीखने के लिहाज से महत्वपूर्ण रहे. टीम प्रबंधन कई बार दावा करता रहा है कि वे अब टीमों को विदेशों में चुनौती देने के लिए तैयार हैं लेकिन लॉर्ड्स की जीत को छोड़ दिया जाये तो फिर किसी तरह का बदलाव देखने को नहीं मिला.
आस्ट्रेलिया पहुंचने पर भारतीय टीम ने कुछ अलग हटकर करने की कोशिश की. उसने मैदान पर अपने आक्रामक तेवर दिखाये. श्रृंखला के पहले दिन स्वर्गीय फिलिप ह्यूज को समर्पित रहे और खेल पर भावनाएं हावी रहीं लेकिन इसके बाद परिस्थितियां बदल गयी.
विराट कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन, मुरली विजय और इशांत शर्मा ने एडीलेड और ब्रिसबेन में अलग- अलग समय पर अपना आपा खोया. ऑस्ट्रेलियाई टीम की तरफ से डेविड वार्नर और मिशेल जानसन ने तीखी टिप्पणियां की. इस जंग में हालांकि उनका पलड़ा भारी रहा क्योंकि उन्होंने अपनी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभायी.
भारत जब बॉक्सिंग डे पर मैदान पर उतरेगा तो खिलाड़ी अपने आक्रामक इरादों का खुलकर प्रदर्शन करने से बचना चाहेंगे. इसके बजाय वे अपने काम पर ध्यान देने की कोशिश करेंगे. टेस्ट मैच के पहले दिन यहां दर्शकों के काफी संख्या में पहुंचने की संभावना है और यह भी भारतीयों के लिये एक परीक्षा होगी.
कुछ भी अनहोनी लोगों को ध्यान खींच सकती है और घरेलू टीम को उनका भारी समर्थन मिल सकता है. ब्रिसबेन में बेकार अभ्यास पिचों और खाने की उचित व्यवस्था की शिकायत करने के बाद भारतीय टीम का मजाक भी उड़ाया जा रहा है. उन्हें खुद को इससे उबारने के लिए मैदान पर अच्छा प्रदर्शन करना होगा.