भारतीय क्रिकेट के कैप्टन कूल माने जाने वाले महेंद्र सिंह धौनी ने आज टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी. महेंद्र सिंह धौनी का यह निर्णय जहां क्रिकेट जगत को चौंकाने वाला है, वहीं निश्चित तौर पर यह निर्णय उसी स्वभाव का है, जिसके लिए महेंद्र सिंह धौनी जाने जाते हैं.
धौनी ने अपने टेस्ट कैरियर की शुरुआत दो दिसंबर 2005 को श्रीलंका के खिलाफ की थी. धौनी ने टेस्ट कैरियर में 90 मैच खेले, जिनमें से 60 मैच में धौनी ने कप्तानी की, 27 में उन्होंने जीत दर्ज की और 18 मैच हारे. पिछले कुछ समय से उनपर यह आरोप लगाया जा रहा था कि वे टेस्ट टीम की कप्तानी के योग्य नहीं हैं.
यहां तक कि जब इसी वर्ष इंग्लैंड दौरे पर भारत श्रृंखला बुरी तरह हार कर लौटा, तो धौनी की उनके आलोचकों ने जमकर आलोचना की थी और वर्तमान ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भी उनकी कप्तानी की आलोचना हो रही थी. ऐसे समय में धौनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. लेकिन यहां सवाल यह है कि आखिर साफगोई से अपनी बात रखने वाले महेंद्र सिंह धौनी ने संन्यास की घोषणा क्यों की? यहां कुछ ऐसे प्वाइंट्स नजर आते हैं,जिनके मद्देनजर धौनी ने संन्यास की घोषणा की.
फिटनेस : इंग्लैंड दौरे में चोटिल होने के बाद महेंद्र सिंह अनफिट चल रहे थे, जिसके कारण उन्होंने श्रीलंका और वेस्टइंडीज के साथ मैच नहीं खेला था. भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भी धौनी पहले मैच में नहीं खेले थे. इन परिस्थितियों में ऐसा प्रतीत होता है कि संभवत: संन्यास के पीछे फिटनेस भी एक कारण हो.
अति व्यस्तता: पिछले कुछ समय से टीम इंडिया बहुत व्यस्त है. चूंकि धौनी भारतीय टीम के तीनों फॉरमेट के कप्तान है, इसलिए उनकी व्यस्तता बहुत ज्यादा हो जाती है. संभवत: संन्यास के लिए अति व्यस्तता भी जिम्मेदार हो.
आलोचनाओं से त्रस्त : महेंद्र सिंह धौनी के आलोचक उनकी टेस्ट टीम की कप्तानी की जमकर आलोचना करते थे. यहां तक की उन्हें सिर्फ घर का शेर कहा जाता था. मनोज प्रभाकर जैसे पूर्व खिलाड़ी तो उनकी आलोचना का कोई मौका नहीं छोड़ते थे और उन्हें बेकार कप्तान की संज्ञा तक देते थे. ऐसे लोगों की आलोचनाओं का जवाब देने के लिए धौनी ने संन्यास की घोषणा कर दी.
सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता : महेंद्र सिंह धौनी का व्यक्तित्व ऐसा है कि वे अपनी रणनीतियों से सबको चौंका देते हैं. मैदान पर उनकी रणनीति हमेशा कारगर रही. जब सीनियर खिलाड़ियों को उन्होंने टीम से आराम दिया था, तो उनकी बहुत आलोचना हुई थी. लेकिन टीम की बेहतरी के लिए उन्होंने ऐसा किया और आज जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, तो उनके आलोचक बौखला गये हैं, क्योंकि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे अब कैसे उनकी आलोचना करें.
टीम में उभरे मतभेद : ब्रिसबेन टेस्ट में हार के बाद धौनी ने स्वीकारा था कि ड्रेसिंग रूम में सबकुछ सामान्य नहीं था, हालांकि बाद में उन्होंने मतभेद की खबरों को दरकिनार कर दिया. लेकिन हो सकता है कि टीम में उभरा मतभेद भी कहीं न कहीं उनके संन्यास के लिए जिम्मेदार हो.
यह तो कुछ कारण हैं, जिनके कारण धौनी ने संभवत: टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया. लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि धौनी का संन्यास एक बार फिर उन्हें भीड़ से अलग करता है. एक ओर जहां संन्यास लेने के लिए खिलाड़ी को बाध्य किया जाता है, वहां धौनी ने कप्तान रहते हुए संन्यास की घोषणा कर दी. धौनी ने अपने इस निर्णय से जहां अपने प्रशंसकों को आहत किया है, वहीं अपने आलोचकों के मुंह पर तमाचा जड़ दिया है.
महेंद्र सिंह धौनी का व्यक्तित्व ऐसा है कि वे सहजता से अपनी बातों को रख देते हैं. अगर टीम हारती थी, तो धौनी उसे आसानी से स्वीकार करते थे और जीत को भी स्वीकार करते थे. क्रिकेट जगत का एक ऐसा योद्धा, जिसने जीत का श्रेय अपने नेतृत्व को नहीं बल्कि टीम को दिया वह आज टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह गया.