मेलबर्न : विश्व कप के दो खिताब, नंबर एक टेस्ट रैकिंग, सबसे अधिक जीत लेकिन इसके ठीक उलट विदेशी सरजमीं पर लगातार हार, महेंद्र सिंह धौनी की भारतीय कप्तान के रुप में यात्रा पूरी तरह से उतार चढाव वाली रही.
रांची के इस 33 वर्षीय क्रिकेटर ने, जिसने छोटे शहरों के लड़कों को बडे सपने देखने का मौका दिया, आज टेस्ट क्रिकेट से अचानक ही संन्यास लेने की घोषणा करके सबको चौंका दिया. इस तरह से उन्होंने विराट कोहली के लिये कप्तानी की जिम्मेदारी संभालने के लिये रास्ता साफ कर दिया.
इसकी शुरुआत विश्व टी20 में 2007 से हुई थी जिसके बाद वनडे और टेस्ट मैचों में भी उनकी कप्तानी में भारत ने विश्व क्रिकेट में झंडे गाडे. इस बीच टेस्ट क्रिकेट में 2009 से 2011 तक भारत लगातार आगे बढता रहा. पहली विश्व टी20 चैंपियनशिप में खिताबी जीत के अलावा भारत ने धौनी की कप्तानी में 2011 में 28 साल बाद वनडे का विश्व कप भी जीता. वह और राष्ट्रीय टीम मैदान पर बदलाव के दौर से गुजरी. इसके अलावा भारतीय क्रिकेट को झकझोरने वाले इंडियन प्रीमियर लीग छह के स्पाट फिक्सिंग विवाद में भी उनका नाम आया.
धौनी ने कुल मिलाकर 60 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की. इनमें से 27 में भारत जीता जबकि 18 में उसे हार मिली। उनकी सफलता का प्रतिशत 45.00 रहा. चौदह मैच ड्रा रहे. उनकी कप्तानी में हालांकि भारतीय टीम विदेशी सरजमीं पर केवल छह टेस्ट मैच जीती जबकि उसने 15 मैच गंवाये और नौ ड्रा रहे.
बल्लेबाजी की बात करें तो धौनी ने कप्तान के रुप में 40.63 की औसत से कुल 3454 रन बनाये और उनका सर्वोच्च स्कोर 224 रन रहा. उन्होंने कप्तान के तौर पर पांच शतक लगाये. महान सुनील गावस्कर ने कप्तान के रुप में 50.72 की औसत से रन बनाये थे.
धौनी का ओवरआल टेस्ट रिकार्ड देखें तो उन्होंने 90 मैचों में 4876 रन बनाये हैं जिसमें उनका सर्वोच्च स्कोर 224 रन रहा. उन्होंने अपने टेस्ट करियर में छह शतक और 33 अर्धशतक लगाये और उनका औसत 38.09 रहा. कैप्टेन कूल के नाम से मशहूर धौनी को प्रतिकूल परिस्थितियों का शांति चित बने रहकर सामना करने के लिये जाना जाता रहा है. उनके अचानक संन्यास लेने से क्रिकेट प्रेमियों को झटका लगा है. उन्होंने यहां तक कि भारत के टेस्ट कप्तान के रुप में अपने आखिरी संवाददाता सम्मेलन में इसके संकेत तक नहीं दिये.
सचिन तेंदुलकर को छोड दिया जाए तो धौनी भारत के सबसे लोकप्रिय क्रिकेटरों में शामिल हैं. भारतीय रेलवे में टिकट इंस्पेक्टर से लेकर क्रिकेट मैदान तक की उनकी यात्रा किसी परीकथा की तरह रही. उन्होंने सर्वाधिक कमाई करने वाले भारतीय खिलाडियों में तेंदुलकर को पीछे छोड दिया था लेकिन इसके अलावा वह अक्सर मीडिया से दूर रहते रहे.