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धौनी का टेस्‍ट क्रिकेट से संन्‍यास, एक शर्मीले खिलाड़ी का बोल्ड फैसला

रांची : नब्बे के दशक में जब धौनी अपने क्रिकेट करियर के शुरुआती दिनों में थे, तब वह काफी शाइ नेचर (शर्मीले स्वभाव) के थे. अपने सीनियरों की काफी इज्जत करते थे (अब भी करते हैं). तब मैच के दौरान वह एक कोने में चुपचाप खड़े रहते थे, मानो किसी उधेड़बुन में लगे हों. मंगलवार […]

रांची : नब्बे के दशक में जब धौनी अपने क्रिकेट करियर के शुरुआती दिनों में थे, तब वह काफी शाइ नेचर (शर्मीले स्वभाव) के थे. अपने सीनियरों की काफी इज्जत करते थे (अब भी करते हैं). तब मैच के दौरान वह एक कोने में चुपचाप खड़े रहते थे, मानो किसी उधेड़बुन में लगे हों.

मंगलवार को जब धौनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, तो उन्होंने सभी को चौंका दिया. एक शाइ नेचरवाले खिलाड़ी का यह काफी बोल्ड (साहसिक) फैसला रहा. पूर्व रणजी खिलाड़ी अनवर मुस्तफा ने कुछ इस तरह धौनी के संन्यास पर अपने विचार व्यक्त किये. अनवर मुस्तफा ने कहा कि हालांकि धौनी ने संन्यास का फैसला कर थोड़ी जल्दबाजी की है. यदि वह विश्व कप के बाद इस पर विचार करते, तो बढ़िया होता. हालांकि इस फैसले के पीछे क्या कारण है या ड्रेसिंग रुम में इसे लेकर कोई बात हुई है, तो यह खुद धौनी बता सकते हैं.

पूर्व रणजी क्रिकेटर प्रदीप खन्ना के विचार थोड़े अलग हैं. प्रदीप खन्ना का मानना है कि अगले वर्ष फरवरी-मार्च में होनेवाले विश्व कप पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ही धौनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया है. उन्होंने कहा कि हमें उनके फैसले पर बहस करने के बजाय इसकी सराहना करनी चाहिए. उनके निर्णय को सलूट (सलामी) करनी चाहिए. प्रदीप खन्ना ने कहा कि धौनी ने देश को टी-20 विश्व कप, एकदिवसीय क्रिकेट का खिताब दिलाया. उनकी कप्तानी में भारत टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन बना. अब 2015 में उनकी कप्तानी में विश्व कप फिर भारत जीते, यही मेरी तमन्ना है.

टेस्ट क्रिकेट से धौनी का संन्यास लेना उनका निजी फैसला है. वैसे सीरीज के आखिरी टेस्ट में खेलने के बाद वह संन्यास लेते, तो बेहतर होता. पूर्व रणजी क्रिकेटर सुभाष चटर्जी कहते हैं कि यह धौनी का अपना निर्णय है. क्रिकेट में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. पुराने दिनों की बातें याद करते हुए सुभाष चटर्जी ने कहा कि वर्ष 2007 में वेस्टइंडीज में संपन्न विश्व कप खेलने के बाद धौनी जब रांची आये, तब उन्होंने अपनी फिटनेस बनाये रखने के लिए मेकन की टीम के साथ कई दिनों तक अभ्यास किया था. इससे पता चलता है कि वह कितने डाउन टू अर्थ हैं. एक अन्य पूर्व रणजी क्रिकेटर प्रणव जायसवाल ने कहा कि धौनी का टेंप्रामेंट 50-50 ओवर और टी-20 फॉर्मेट के लिए बेस्ट है. टेस्ट क्रिकेट का उनका नेचर कभी रहा ही नहीं है.

आरडीसीए के पूर्व सचिव सुनील सिंह भी धौनी के संन्यास से अचंभित हैं. सुनील सिंह ने कहा कि सुबह तक सब ठीक था. दोपहर में अचानक धौनी के संन्यास की खबर ने हैरान कर दिया. उन्होंने कहा कि उम्र बढ़ने के कारण अब धौनी पर भी फिटनेस की समस्या हावी होने लगी है. अपने करियर (वनडे और टी-20) को लंबा बढ़ाने के इरादे से ही उन्होंने टेस्ट क्रिकेट छोड़ा होगा.

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