मुंबई : दुनिया के महान क्रिकेटरों में शामिल भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने आज एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने 2007 में विश्व कप के लिग मैच में भारत का बाहर होने को अपने सुनहरे कैरियर पर दाग मानते हैं. उन्होंने 2015 विश्व कप के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के लिए लिखे गये कॉलम में लिखा कि मेरे लिए 2007 का विश्व कप कैरियर के लिए सबसे बदतर लम्हों में से एक है. उसे वह कभी भी याद नहीं करना चाहेंगे.
सचिन ने अपने कॉलम में लिखा कि उनके कैरियर में सबसे सुखद क्षण रहा जब टीम इंडिया ने 22 साल के सपने को साकार करते हुए 2011 में विश्व कप का खिताब जीत. ज्ञात हो 2011 में भारतीय टीम ने श्रीलंका को हराकर विश्व कप पर कब्जा किया था.
विश्व कप के बाल ब्वाय से विश्व कप विजेता का सफर तय करने वाले तेंदुलकर ने पिछले साल ढेरों रन और रिकार्ड के साथ क्रिकेट को अलविदा कहा. विश्व कप के 45 मैचों में 2278 रन बनाने वाले तेंदुलकर ने कहा, 25 जून 1983 को भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप 1983 जीता और ट्रॉफी हाथ में लिए टीम की तस्वीरें पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बनी. मैं तब सिर्फ 10 साल का था और इस जीत की मेरी अच्छी यादे हैं.
मेरे माता पिता ने मुझे देर रात तक जश्न मनाने की इजाजत दी थी. विश्व कप जीत के बाद मुझे भी हार्ड गेंद के साथ खेलने की प्रेरणा मिली. उन्होंने कहा, विश्व कप को करीब से देखने का पहला मौका मुझे भारत और पाकिस्तान की सह मेजबानी में हुए 1987 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के दौरान मिला.
मैं भाग्यशाली रहा कि मुझे मुंबई में होने वाले मैचों के लिए बाल ब्वाय चुना गया. मैंने वहां भारत के महान खिलाडियों को खेलते देखा. मैं स्वयं से कहता रहा कि मुझे मैदान पर खेल का हिस्सा बनने की जरुरत है. विश्व कप की एक और घटना जो तेंदुलकर को सालती है वह 1996 के सेमीफाइनल में श्रीलंका के खिलाफ उनका आउट होना है क्योंकि उनके आउट होने के बाद पूरी पारी ढह गई थी और टीम मैच हार गई.
तेंदुलकर ने कहा कि इंग्लैंड में हुए 1999 का टूर्नामेंट उनके लिए निजी तौर पर काफी मुश्किल था क्योंकि उन्हें टूर्नामेंट के बीच में अपने पिता के निधन की दुखद घटना का सामना करना पडा. उन्होंने कहा, यह काफी मुश्किल था क्योंकि मैं अपने शोक के बावजूद खेल पर ध्यान लगाने का प्रयास कर रहा था.
तेंदुलकर ने कहा कि वह दक्षिण अफ्रीका में हुए 2003 विश्व कप में जीत के काफी करीब पहुंचे लेकिन फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों बडी हार का सामना करना पडा. इस स्टार बल्लेबाज के लिए निजी तौर पर हालांकि यह टूर्नामेंट काफी सफल रहा और उन्होंने 11 मैचों 673 रन बनाए.