सिडनी : टेस्ट क्रिकेट से महेंद्र सिंह धौनी के अचानक संन्यास के फैसले को लेकर अटकलों का दौर अभी भी जारी है लेकिन भारतीय टीम के निदेशक रवि शास्त्री ने आज कहा कि यह सोचा समझा फैसला था. उन्होंने आलोचकों को भी करारा जवाब दिया जो धौनी पर डूबते जहाज से किनारा करने का आरोप लगा रहे हैं.
शास्त्री ने एक इंटरव्यू में कहा ,मेरा मानना है कि यह सोचा समझा फैसला था. पिछले एक साल में इस टीम पर काफी मेहनत की गई है और उसे लगा कि यह समय एक युवा कप्तान को कमान सौंपने का है. उसने यह सुनिश्चित किया कि उसके जाने के बाद कप्तानी को लेकर अटकलबाजी ना हो. उन्होंने कहा , वह बिना कारण नहीं जा रहा है और ना ही टाइमिंग खराब है. यह धौनी का निस्वार्थ फैसला है.
शास्त्री ने कहा , धौनी के फैसले से सभी हैरान थे. उसे पता था कि क्या कहना है और वह इसके प्रति ईमानदार था. धौनी भारत के महानतम क्रिकेटरों में से है. उसने कभी आंकडों का पीछा नहीं किया. वह खुद के साथ ईमानदार रहा और टीम इसके लिये उसका सम्मान करती है. उसने इस युवा टीम के सामने मिसाल कायम की है.
उन्होंने कहा , धौनी ने अपना सब कुछ भारतीय क्रिकेट को दिया, हर प्रारुप में. मुझे यकीन है कि वह कुछ साल और राजा की तरह वनडे क्रिकेट खेलेगा और विरोधी टीमों को नाकों चने चबवा देगा. शास्त्री ने कहा कि धोनी के आलोचकों को इसका इल्म ही नहीं है कि उसने भारतीय क्रिकेट को क्या दिया है.
उन्होंने कहा, देश के लिये 25 साल खेलने के बाद सचिन तेंदुलकर अपवाद थे और सही भी है लेकिन अतीत में कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जो आंकडों के लिये खेले या भव्य विदाई समारोह की ख्वाहिश में खेलते रहे. लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिन्हें इसकी चाह नहीं थी और धौनी उन्हीं में से एक है.
उन्होंने कहा , लोग उसके इरादों को लेकर अटकलें लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि उसने डूबते जहाज को छोड दिया. खेलने की बात तो छोड दीजिये, क्या इन लोगों ने उसका पांच प्रतिशत क्रिकेट देखा भी है जितना धोनी ने खेला है.