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दक्षिण अफ्रीका ने वेस्टइंडीज को नौ विकेट से हराया, श्रृंखला पर 3-0 से कब्‍जा

ईस्ट लंदन : गेंदबाजों के उम्दा प्रदर्शन के बाद हाशिम अमला और फाफ डु प्लेसिस के नाबाद अर्धशतकों की मदद से दक्षिण अफ्रीका ने तीसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में यहां वेस्टइंडीज को नौ विकेट से हराकर पांच मैचों की श्रृंखला में 3-0 की विजयी बढ़त बना ली. लेग स्पिनर इमरान ताहिर ने कल यहां […]

ईस्ट लंदन : गेंदबाजों के उम्दा प्रदर्शन के बाद हाशिम अमला और फाफ डु प्लेसिस के नाबाद अर्धशतकों की मदद से दक्षिण अफ्रीका ने तीसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में यहां वेस्टइंडीज को नौ विकेट से हराकर पांच मैचों की श्रृंखला में 3-0 की विजयी बढ़त बना ली.

लेग स्पिनर इमरान ताहिर ने कल यहां अपने कैरियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी करते हुए 28 रन देकर चार विकेट चटकाए जिससे वेस्टइंडीज की टीम 33 . 4 ओवर में 122 रन पर ही ढेर हो गयी. ताहिर के अलावा वर्नन फिलेंडर ने 27 रन देकर तीन जबकि डेल स्टेन ने 21 रन देकर दो विकेट चटकाए.
इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीका ने अमला (63 गेंद में नाबाद 61, नौ चौके) और डु प्लेसिस (71 गेंद में नाबाद 51, पांच चौके) के अर्धशतकों और दोनों के बीच दूसरे विकेट के लिए 97 रन की अटूट साझेदारी की मदद से 24 . 4 ओवर में ही एक विकेट पर 124 रन बनाकर मैच जीत लिया.
दक्षिण अफ्रीका ने एकमात्र विकेट सलामी बल्लेबाज रिली रोसेयु का गंवाया जो जेसन होल्डर का शिकार बने. उन्होंने सात रन बनाये.इससे पहले वेस्टइंडीज के कप्तान जेसन होल्डर ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और फिलेंडर ने उनके फैसले को गलत साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. फिलेंडर ने अपने पहले दो ओवरों में सलामी बल्लेबाजों ड्वेन स्मिथ (05) और क्रिस गेल (01) को पवेलियन भेजकर चौथे ओवर में ही वेस्टइंडीज का स्कोर दो विकेट पर छह रन कर दिया.
वेस्टइंडीज की टीम इन शुरुआती झटकों से नहीं उबर पायी और उसने नियमित अंतराल पर विकेट गंवाये.टीम की ओर से मार्लन सैमुअल्स ने सर्वाधिक 26 रन बनाये. उनके अलावा पांच और बल्लेबाज दोहरे अंक में पहुंचे लेकिन कोई बड़ी पारी नहीं खेल पाया.
ग्यारहवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे सुलेमान बेन (18) और होल्डर (नाबाद 17) ने अंतिम विकेट के लिए 26 रन जोड़कर टीम का स्कोर 100 रन के पार पहुंचाया.
शरीर के निचले हिस्से को लकवा मारा,जिंदगी के लिए जूझ रही हैं पूर्व जिम्नास्ट
कोलकाता : पूर्व जिम्नास्ट और 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में जज रह चुकी सौमिता डे शहर के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रही है.
2012 से न्यूरोसार्कोइडोसिस से जूझ रही 27 बरस की डे अपने पैर उठा भी नहीं सकती है. उसके शरीर के निचले हिस्से को लकवा मार चुका है.
करीब एक दशक (1998 से 2008) तक राष्ट्रीय स्तर पर बंगाल का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही सौमिता ने 2005 से कोचिंग में कैरियर शुरू किया. उसने पटियाला के नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान से 2008 में कोचिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा किया. उसे अस्पताल में अपने बिस्तर से बातचीत में कहा , मेरी जिंदगी अच्छी चल रही थी लेकिन अचानक सब कुछ थम गया. उसकी बहन सोमा डे ने कहा कि शुरुआत में उसे मूत्राशय संबंधी परेशानियां आयी जिसका इलाज स्थानीय अस्पताल में कराया गया. उसके दो दिन के भीतर उसकी हालत बिगड़ गयी और वह चल भी नहीं पा रही थी.
उसने कहा , उसके बाद हम उसे एसएसकेएम ले गये जहां डाक्टरों ने कहा कि उसकी हड्डियों में टीबी हो गया है. उन्होंने उपचार शुरू किया लेकिन कोई फायदा नहीं होते देख हम उसे घर ले आये और न्यूरोलॉजिस्ट से उपचार शुरू कराया. उसमें भी फायदा नहीं होने पर उसे बेंगलूर स्थित निमहैंस में दिखाया गया.
उसने कहा , मुझे हड्डियों का टीबी नहीं हुआ था. मेरा गलत उपचार हुआ. निम्हैंस में उपचार के बाद मेरी स्थिति सुधरी लेकिन उसके बाद हालत खराब हो गयी और दोनों पैरों में लकवा मार गया. मेरे बाल भी उड़ गये और शरीर में सूजन आ गयी.

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