नियम 6.2.4 के निरस्त होने के बाद चेन्नई सुपर किंग्स की फ्रेंचाइजी रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसा हुआ, तो सीएसके के कप्तान धौनी वर्ष 2015 में किसी भी टीम की ओर से आइपीएल में नहीं खेल पायेंगे.
तीन जज के हाथ में कुंद्रा, मयप्पन का भाग्य
पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक भान और जस्टिस आरवी रवींद्रन समिति राज कुंद्रा, मयप्पन और उनकी टीमों के भाग्य का फैसला करेगी. कोर्ट ने समिति को छह महीने में अपना काम पूरा कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है. समिति बीसीसीआइ में सुधार लाने के बारे में भी सिफारिशें देगी.
सुरक्षित रखा था आदेश
जस्टिस टीएस ठाकुर और एफएमआइ कलीफुल्ला की खंडपीठ ने पिछले साल 17 दिसंबर को इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखा था. इस मामले में अगस्त, 2013 से कई अंतरिम आदेश पारित किये जा चुके थे, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मुकुल मुदगल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन भी शामिल है.
क्या है 6.2.4 : आइपीएल के नियमों में खिलाड़ियों, टीम के मालिकों और अधिकारियों के कदाचार की स्थिति में फ्रेंचाइजी रद्द करने का प्रावधान है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआइ के नियम 6.2.4 में फरवरी, 2008 में किये गये संशोधन कानून की नजर में टिकाऊ नहीं हैं. इन्हें निरस्त करना ही होगा. इसी संशोधन के जरिये क्रिकेट प्रशासकों को आइपीएल और चैंपियंस लीग में टीम खरीद कर इसमें व्यावसायिक हित बनाने की अनुमति प्रदान की गयी थी.
किसी भी प्रशासक को खेल में व्यावसायिक हित रखने की अनुमति देने के लिए बीसीसीआइ के नियमों में संशोधन ‘कर्तव्य भंग’ है और खेल की शुद्धता में बाधक है. 6.2.4 संशोधन ही असली खलनायक है. कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआइ ने आइपीएल प्रकरण की जांच के लिए समिति गठित करते समय निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया.