नयी दिल्ली : सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड और वीवीएस लक्ष्मण ने तब अपनी शर्ट उतारने से इन्कार कर दिया था जब कप्तान सौरव गांगुली ने लार्ड्स में 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट सीरीज में खिताबी जीत के बाद एंड्रयू फ्लिन्टाफ को जवाब देने के लिये उनसे ऐसा करने को कहा था.
यह खुलासा आज यहां राजीव शुक्ला ने किया जो उस त्रिकोणीय श्रृंखला के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर थे. शुक्ला तब लार्ड्स की बालकनी में गांगुली की बगल में बैठे थे. उन्होंने आज क्रिकेट कनक्लेव के दौरान उस घटना को याद किया.
उन्होंने कहा, मुझे याद है कि सौरव एंड्रयू फ्लिन्टाफ को उनकी भाषा में जवाब देना चाहते थे जब उसने मुंबई में दर्शकों के सामने अपनी जर्सी निकालकर लहरायी थी. असल में वह चाहते थे कि पूरी टीम अपनी जर्सी उतारकर लहराये. लेकिन सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड और वीवीएस लक्ष्मण सभी ने नम्रता से सौरव के आग्रह को ठुकरा दिया था.
भारत ने 13 जुलाई 2002 को लार्ड्स में खेले गये फाइनल में इंग्लैंड के 326 रन के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया था जिसके बाद गांगुली ने अपनी शर्ट निकालकर खुशी जाहिर की थी. कई लोगों को उनकी यह हरकत नागवार गुजरी थी. शुक्ला ने ‘क्या अब क्रिकेट भद्रजनों का खेल रहा या नहीं’ इस पर विषय पर चर्चा के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि क्रिकेटरों के व्यवहार में हो रहे बदलाव से घबराने की जरुरत नहीं है.
शुक्ला ने कहा, जिस तरह से आईपीसी की धारा 302 के तहत कत्ल नहीं रुके उसी तरह से कानून बनाने के बाद भी क्रिकेटरों के व्यवहार पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता है. क्रिकेट इसी तरह से आगे चलेगा और इसके लिये घबराने की जरुरत नहीं है. पूर्व भारतीय क्रिकेटर अरुणलाल ने कहा कि खिलाड़ी को मैदान पर कोई भी हरकत करने से पहले यह सोचना चाहिए कि इससे देश का नाम भी बदनाम हो सकता है.
उन्होंने कहा, जब मैदान पर कोई खिलाड़ी ऐसा व्यवहार करता है जो स्वीकार्य नहीं हो तो मुझे काफी गुस्सा आता है. क्रिकेटरों को यह समझना चाहिए कि इससे उनका ही नहीं बल्कि देश का नाम भी बदनाम होता है. आईपीएल में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग की जांच करने वाले न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल ने कहा कि क्रिकेट अब भी भद्रजनों का खेल है.
उन्होंने कहा, हर खेल में जुनून होता है और क्रिकेटर भी कभी कभी उत्तेजित हो जाते हैं. किसी खिलाड़ी के गुस्से को देखकर यह नहीं कहना चाहिए कि यह अब भद्रजनों का खेल नहीं रहा. क्रिकेटर जज्बात में गलती कर जाते हैं. यदि कोई खिलाड़ी पैसों के लिये खेल को बेचता है तो यह वाकई में बुरी बात है.