मुंबई : विश्वकप क्रिकेट 2015 का फाइनल मुकाबला भले ही 29 मार्च को सेमीफाइनल की विजेता टीम खेलेगी, लेकिन भारत और पाकिस्तान के दर्शक की नजर में विश्वकप का फाइनल 15 फरवरी को ही खेला जायेगा. यह मुकाबला जो टीम जीतेगी, उस देश के दर्शक यह महसूस करेंगे कि उनकी टीम विश्वकप जीत चुकी है.
मौजूदा चैंपियन भारतीय टीम पाकिस्तान के खिलाफ 15 फरवरी को एडीलेड ओवल पर जब विश्व कप में अपने अभियान का आगाज करेगी तो सचिन तेंदुलकर की कमी सभी को खलेगी क्योंकि विश्व कप में पहली बार चिर प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले में वह नहीं होंगे.
चौबीस साल के शानदार कैरियर के बाद खेल को अलविदा कह चुके तेंदुलकर विश्व कप में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए पांचों मैचों में खेले थे. उन्हें तीन बार मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार भी मिला.
तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हुए 1992 विश्व कप में पदार्पण किया और पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद 54 रन बनाये. इसके अलावा उन्होंने आमिर सोहेल का विकेट भी लिया. चार साल पहले मोहाली में पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में 85 रन बनाकर उन्होंने चिर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ विश्व कप में तीसरी बार मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार जीता. भारत ने श्रीलंका को फाइनल में हराकर खिताब अपने नाम किया था.
तेंदुलकर ने 1996 विश्व कप में बेंगलूर में पाकिस्तान के खिलाफ 31, ओल्ड टैफर्ड में 45 और दक्षिण अफ्रीका के सेंचुरियन पार्क में 2003 में 98 रन बनाये थे. इस बीच सिर्फ एक बार 2007 में वेस्टइंडीज में हुए विश्व कप में भारत और पाकिस्तान जल्दी बाहर हो गये थे जिससे उनका सामना नहीं हो सका.
विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ पांच मैचों में 78 . 05 की औसत से 313 रन बना चुके तेंदुलकर के कंधों पर भारत की अपेक्षाओं का बोझ हमेशा रहा. पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में भारत के सिर्फ दो और बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन ( तीन मैचों में 118 ) और राहुल द्रविड ( दो मैचों में 105 ) 100 से अधिक रन बना सके हैं. दक्षिण अफ्रीका में 12 साल पहले तेंदुलकर ने वसीम अकरम, वकार युनूस और शोएब अख्तर जैसे गेंदबाजों के सामने 75 गेंद में 98 रन बनाये थे.
अपनी आत्मकथा प्लेइंग इट माय वे में उन्होंने कहा , यह मेरी सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक थी क्योंकि काफी दबाव में मैंने इसे खेला था. उन्होंने कहा , दोनों टीमों के लिए यह बड़ा मैच था. मैं मैच से पहले तीन रात तक सो नहीं सका. यदि मैं कभी कोई मैच जीतना चाहता था तो यही था. हमारे कई प्रशंसकों के लिए यही असली फाइनल था. तेंदुलकर ने लिखा , मैच से घंटों पहले मैदान गूंज रहा था. खेल अपने चरम पर था.
इसी के लिए मैने क्रिकेट खेला , अपनी टीम के लिए क्रिकेट के सबसे बड़े मुकाम पर चिर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ. राष्ट्रगीत सुनकर और साथ गाकर मेरे रोंगटे खड़े हो गये. उस मैच में पाकिस्तान ने सईद अनवर के 101 रन की मदद से सात विकेट पर 273 रन बनाये. तेंदुलकर ने अपने सलामी जोड़ीदार वीरेंद्र सहवाग से कहा कि वह पहले स्ट्राइक ले और आक्रमण से पहले उन्हें शुरुआती ओवर संभलकर खेलने होंगे. तेंदुलकर ने हालांकि पहले ही ओवर में अकरम को चौका लगाया और सहवाग ने भी ऐसा ही किया.
शोएब ने दूसरा ओवर फेंका और तेंदुलकर ने लिखा है कि यह मैच का निर्णायक ओवर साबित हुआ. पहले थर्डमैन पर उसे छक्का मारने के बाद स्क्वेयर लेग पर चौका और फिर स्ट्रेट चौका लगाया. उस ओवर में 18 रन बने. उसके बाद दोनों ने वकार को निशाना बनाया. तेंदुलकर ने लिखा , हमारी बॉडी लैंग्वेज आक्रामक हो गयी थी. मैंने वकार को दूसरा चौका जड़ा तब मैच हमारी गिरफ्त में था. हमने गेंदबाजों को दबाव में रखा. सिडनी में विश्व कप मैच के बारे में तेंदुलकर ने लिखा , यह संतोषजनक जीत थी और मैच के बाद शोर के कारण मेरी आवाज नहीं निकल रही थी.
विश्व कप में पाकिस्तान और भारत का यह पहला मुकाबला था और हम जीते. 1992 की जीत इसलिए भी खास थी क्योंकि मुझे मैन ऑफ द मैच चुना गया था. मोहाली में 30 मार्च 2011 को हुए सेमीफाइनल के बारे में उन्होंने लिखा , वह मेरे कैरियर के सबसे दबाव के मुकाबलों में से एक था. भारतीय सरजमीं पर पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप सेमीफाइनल खेलने से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता था. भारत ने पाकिस्तान को 29 रन से हराकर फाइनल में जगह बनायी थी.