पूर्व कप्तान वेंकटराघवन को धौनी पर भरोसा, लेकिन गेंदबाजी को टीम इंडिया की मजबूरी बताया

चेन्नई : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान श्रीनिवासन वेंकटराघवन ने टीम इंडिया के प्रदर्शन पर चिंता जतायी है. उनका मानना है कि विश्व कप से पहले महेंद्र सिंह धौनी की टीम निरंतर एक जैसा प्रदर्शन नहीं कर पायी है साथ ही टीम की सलामी जोड़ियां भी अस्थिर हैं. उनके प्रदर्शन में अस्थिरता चिंता का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 5, 2015 12:35 PM

चेन्नई : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान श्रीनिवासन वेंकटराघवन ने टीम इंडिया के प्रदर्शन पर चिंता जतायी है. उनका मानना है कि विश्व कप से पहले महेंद्र सिंह धौनी की टीम निरंतर एक जैसा प्रदर्शन नहीं कर पायी है साथ ही टीम की सलामी जोड़ियां भी अस्थिर हैं. उनके प्रदर्शन में अस्थिरता चिंता का विषय है. विश्व कप 1975 और 1979 में भारतीय टीम के कप्तान रहे वेंकटराघवन ने कहा, भारत की वर्तमान टीम में निरंतरता का अभाव है. सबसे महत्वपूर्ण कारक शीर्ष या मध्यक्रम की बल्लेबाजी या गेंदबाजी है.

निरंतर अच्छा प्रदर्शन करना सफलता की कुंजी होता है. भारतीय टीम में इसका अभाव है. उन्होंने कहा, यह भी अफसोस की बात है कि शीर्ष क्रम में हमारे पास स्थिर संयोजन नहीं है. वनडे क्रिकेट में यह जरूरी है. कुल मिलाकर आपको अच्छी ठोस शुरुआत चाहिए. निरंतरता के अभाव के बारे में वेंकटराघवन ने कहा, वे खुद को पूरी तरह से खेल में नहीं झोंक पा रहे हैं. उनकी मानसिकता में इसका अभाव दिखता है. उनमें प्रेरणा हो सकती है. वे सभी महत्वाकांक्षी हैं और खेलने के लिए उत्साहित हैं लेकिन उन्हें मैदान पर प्रदर्शन करके दिखाना होगा. आईसीसी एलीट पैनल के अंपायर रह चुके तथा एशेज और विश्व कप सेमीफाइनल में अंपायरिंग करने वाले वेंकटराघवन का मानना है कि भारत चौथी टीम के रूप में अंतिम चार में जगह बना सकता है.

वेंकटराघवन ने कहा, सेमीफाइनल की चार टीमों के बारे में भविष्यवाणी करना बहुत आसान है. टूर्नामेंट में भाग ले रही दो सर्वश्रेष्ठ टीमें दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया हैं. ऑस्ट्रेलियाई टीम को भी न्यूजीलैंड की तरह अपनी सरजमीं पर खेलने का फायदा मिलेगा. ऐसे में चौथा स्थान भारत के लिए बचता है. उन्होंने कहा, आप इंग्लैंड को दौड़ से बाहर नहीं मान सकते. वे भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि वे भी भारत की तरह मैच का सकारात्मक अंत नहीं कर पा रहे हैं. दक्षिण अफ्रीकी भी चोकर्स हैं. वेंकटराघवन की अगुवाई में भारत 1975 और 1979 में लीग चरण से आगे नहीं बढ़ पाया था. उसे यहां तक कि श्रीलंका से भी हार का सामना करना पड़ा था.
टीम के संतुलन के बारे में उन्होंने कहा कि भारत को विश्व कप से पहले ऑस्ट्रेलिया के लंबे दौरे का फायदा मिल सकता है.
वेंकटराघवन ने कहा, यह काफी अनुभवहीन टीम है. अच्छी बात यह है कि उन्हें आस्ट्रेलिया में खेलने का अनुभव मिल गया है. उन्होंने वहां अलग-अलग स्थानों पर लगभग सभी पिचों पर खेल लिया है. लेकिन न्यूजीलैंड में खेलना पूरी तरह से अलग बात होगी जहां के विकेट आस्ट्रेलिया से पूरी तरह भिन्न हैं. उन्होंने कहा, इसलिए उन्हें इन दो देशों में परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाना होगा. मैं अजिंक्य रहाणे से काफी प्रभावित हूं. लेकिन अफसोस है कि शिखर धवन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रहा है. हमारे पास सुरेश रैना, रोहित शर्मा और विराट कोहली है. विराट परिपक्व खिलाड़ी है और वह दबदबा बना सकता है. इसलिए मध्यक्रम मजबूत दिखता है.
वेंकटराघवन ने धौनी की बल्लेबाजी और कप्तानी को लेकर सकारात्मक रवैया अपनाया. उन्होंने कहा, हमारा कप्तान जोशीला और अनुभवी है. उन्होंने हर समय खुद को साबित किया है. इस पूर्व ऑफ स्पिनर के अनुसार भारत की सबसे बड़ी चिंता गेंदबाजी है. उन्होंने कहा, गेंदबाजी चिंता का विषय है. हमारे मध्यम गति के गेंदबाज निरंतर अच्छी लाइन व लेंथ से गेंदबाजी नहीं कर पा रहे हैं. वे उछाल और शार्ट पिच गेंदों पर निर्भर हैं. आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों या किसी को भी ऐसी गेंदों से परेशानी नहीं होती. वेंकटराघवन ने कहा, हमें क्षेत्ररक्षण के जरिये अपने गेंदबाजों की मदद करनी होगी. वेंकटराघवन ने कहा, मुझे लगता है कि इस टीम में क्षमता है. भारत की सेमीफाइनल में पहुंचने की अच्छी संभावना है. रोहित शर्मा और विराट कोहली को निरंतर बड़े स्कोर बनाने होंगे.

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