मेलबर्न: क्रिकेट की दुनिया के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने विश्व कप से पहले अपनी टीम के बल्लेबाजों को सफलता का मूलमंत्र बताते हुए कुछ टिप्स दिये हैं.क्रिकेट के इतिहास में सबसे अधिक छह विश्वकप सचिन तेंदुलकर ने खेला है. उन्होंने आईसीसी के लिये विश्व कप के अपने कॉलम में लिखा , पर्थ और ब्रिसबेन में तेज और उछालभरी पिचें हैं जिन पर अनुभवहीनता की कलई खुल जायेगी.
गेंदबाजों और बल्लेबाजों के लिए गलती की कोई गुंजाइश नहीं होगी. बल्लेबाज अगर तेजी और उछाल को समझते हैं तो गेंदबाजों पर हावी हो सकते हैं. उन्होंने कहा , गेंदबाजों को इन पिचों पर अच्छी लैंग्थ की गेंद डालनी होगी क्योंकि उसमें चूक होने पर बल्लेबाज फायदा उठा सकते हैं. यदि आप अच्छी लैंग्थ की गेंद डालकर उछाल का फायदा उठाते हैं तो बल्लेबाजों के लिए संकट पैदा हो जायेगा. नवंबर 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले तेंदुलकर ने कहा कि बल्लेबाजों को न्यूजीलैंड में चलने वाली तेज हवाओं से सावधान रहना होगा.
उन्होंने कहा , न्यूजीलैंड में बल्लेबाज को तेज हवाओं से सावधान रहना होगा. हवाएं इतनी तेज होती है कि बल्लेबाज की टाइमिंग पर असर पड़ सकता है. विश्व कप में 45 मैचों में सर्वाधिक 2278 रन बना चुके तेंदुलकर ने 2011 में नौ मैचों में 482 रन बनाये थे.तेंदुलकर ने कहा ,न्यूजीलैंड के मैदान पारंपरिक रूप से गोल नहीं हैं. ऑस्ट्रेलिया में एडीलेड ओवल की बाउंड्री प्वाइंट और स्क्वेयर लेग पर छोटी है लेकिन स्ट्रेट बाउंड्री काफी लंबी है. मेहमान टीम के लिए यह बड़ा फर्क होगा क्योंकि इससे फील्ड पोजिशंस और गेंदबाजी की रणनीतियों पर असर पड़ेगा.
उन्होंने कहा ,ऑस्ट्रेलिया के बड़े मैदानों पर बाउंड्री भी बड़ी है. मुझे याद है कि 1999 की श्रृंखला में फुल बाउंड्री हुआ करती थी. मैंने बाउंड्री से रिकी पोंटिंग के थ्रो पर चौथा रन दौड़ा था. रिकी की मजबूत भुजाओं से फेंके गए थ्रो के बावजूद हम चार रन दौड़ गये क्योंकि हमें पता था कि गेंद को विकेटकीपर तक पहुंचने में समय लगेगा. उन्होंने कहा , खराब फार्म से जूझ रहे खिलाड़ियों के लिए सर्कल में अतिरिक्त फील्डर चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि स्ट्राइक रोटेट करना कठिन होगा. वहीं अगर फार्म में चल रहे दो बल्लेबाज क्रीज पर हैं तो गेंदबाज के लिए संकट होगा.