सिडनी : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विश्वकप क्रिकेट का दूसरा सेमीफाइनल 26 मार्च को खेला जायेगा. इस मैच को भारत के लिए विश्वकप का सबसे कड़ा मुकाबला बताया जा रहा है. इस मैच के लिए टीम इंडिया कड़ा अभ्यास कर रही है. सुरेश रैना अपनी कमजोरियों को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास करते हुए नेट पर लंबा समय बिता रहे हैं और उछाल लेती गेंदों से निपटने के लिए टेनिस सर्विस का सामना कर रहे हैं.
तेज गेंदों से निपटने के लिए गीली टेनिस गेंद के साथ अभ्यास करना पुरानी बात है लेकिन भारतीय टीम ने रैना की ट्रेनिंग के लिए नया तरीका खोजा है और उन्होंने लगभग 45 मिनट तक टेनिस सर्विस का सामना किया.पाकिस्तान के खिलाफ एडिलेड में होने वाले मैच से पूर्व उछाल से निपटने के लिए टीम के सहायक स्टाफ राघवेंद्र ने दो स्टूल की थ्योरी पेश की थी तो मौजूदा तरीका कोच डंकन फ्लेचर ने सामने रखा है जिससे कि रैना को मिशेल जानसन और मिशेल स्टार्क जैसे ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जा सके.
सिडनी क्रिकेट ग्राउंड के बाहर समीप के क्षेत्र में रैना के अभ्यास ने सबका ध्यान खींचा. एक बल्लेबाज जहां तेज गेंदबाजों के नेट और दूसरा स्पिनरों के नेट पर अभ्यास कर रहा था वहीं रैना सबसे बायीं तरफ के नेट पर कोच फ्लेचर के साथ थे जो हाथ में टेनिस रैकेट और गेंद लेकर खड़े थे.
रैना ने इसके बाद फ्लेचर की सर्विस के खिलाफ बल्लेबाजी की. टेनिस सर्विस से गेंद जमीन पर लगने के बाद तेजी से उछलती है जिससे बल्लेबाज को शार्ट पिच गेंदों के खिलाफ अभ्यास का अच्छा मौका मिलता है. फ्लेचर को रैना के शरीर को निशाना बनाकर गेंद फेंकते हुए देखा गया जबकि बायें हाथ का यह बल्लेबाज हुक शाट खेलने की कोशिश कर रहा था.
फ्लेचर रैना को 15 मिनट तक अभ्यास कराने के बाद चले गये. उन्हें किसी युवा की तलाश थी जो और अधिक तेजी के साथ सर्विस कर सके और ऐसे में सामने आये कप्तान महेंद्र सिंह धौनी जिनकी तूफानी सर्विस के सामने रैना बिलकुल भी सहज नहीं लगे.सत्र के बीच में धौनी ने सर्विस रोकर रैना को बीच के बीच में चर्चा के लिए भी बुलाया.
धौनी की सर्विस में अधिक ताकत थी और उन्होंने बाहर की ओवर जाते कुछ बाउंसर भी फेंके जो स्टार्क आम तौर पर डेथ ओवरों में फेंकते हैं. कुल मिलाकर रैना ने 45 मिनट तक अभ्यास किया. शिखर धवन ने भी इसके बाद लगभग 10 मिनट तक टेनिस सर्विस का सामना किया.