आज आईसीसी अध्यक्ष मुस्तफा कमाल ने अपने पद से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उनके अधिकारों का हनन हुआ है. उन्हें विश्वकप विजेता को ट्रॉफी प्रदान नहीं करने दिया गया, जबकि यह उनका हक था. इस बात से मुस्तफा इतने नाराज हुए कि विश्वकप का फाइनल मुकाबला समाप्त होने से पहले ही वे ग्राउंड से बाहर चले गये और पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान अनुपस्थित रहे. कल 31 मार्च को जब मुस्तफा ने यह बयान दिया था कि वे आईसीसी से जुड़े कई बड़े खुलासे कर देंगे, उसी वक्त इस बात का अंदाजा लगाया जाने लगा था कि वे पद छोड़ सकते हैं. ढाका पहुंचने के साथ ही उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी.
क्या है विवाद
विश्वकप विजेता को आईसीसी का प्रमुख ही ट्रॉफी प्रदान करता है.आईसीसी के संविधान में यह बात वर्णित है, हालांकि 1996 से पहले यह स्थिति नहीं थी. इसलिए मुस्तफा ने विश्वकप विजेता को ट्रॉफी प्रदान करने की बात कही थी, लेकिन उनपर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच खेले गये क्वार्टर फाइनल के दौरान एक अंपायर के फैसले पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके कारण उन्हें ट्रॉफी देने से रोक दिया गया. साथ ही एक पक्ष यह भी है कि जब चेयरमैन से पास सारे कार्यकारी अधिकार हैं, तो आईसीसी का प्रमुख अध्यक्ष को कैसे माना जाये. इन परिस्थितियों में चैंपियन को ट्रॉफी एन श्रीनिवासन ने सौंपी और मुस्तफा अनुपस्थित रहे.
क्या आईसीसी भी बीसीसीआई बन जायेगा
26 जून 2014 को एन श्रीनिवासन इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल के चेयरमैन नियुक्त हुए थे. उन्हें चेयरमैन बनाये जाने से पहले आईसीसी के संविधान में संशोधन किया गया था. एन श्रीनिवासन आईसीसी के पहले चेयरमैन बने थे. उनकी नियुक्ति से पहले आईसीसी का अध्यक्ष अधिकार संपन्न था और सारे कार्यकारी अधिकार उसके पास थे, लेकिन चेयरमैन का पद सृजित किये जाने के बाद सारे कार्यकारी अधिकार चेयरमैन के पास हस्तानांतरित हो गये और अध्यक्ष औपचारिक प्रमुख हो गया.
अपने इस्तीफे की घोषणा के वक्त मुस्तफा कमाल ने श्रीनिवासन का नाम लिये बिना कहा कि ऐसे लोगों को क्रिकेट से दूर रहना चाहिए, ऐसे लोग क्रिकेट को बर्बाद कर देंगे. आईसीसी को इस बात पर ध्यान देना चाहिए.
गौरतलब है कि श्रीनिवासन के आईसीसी चेयरमैन बनते ही संविधान का उल्लंघन होने लगा है. बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर रहते हुए भी श्रीनिवासन ने कुछ ऐसा ही रवैया अपनाया हुआ था. बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने आईपीएल टीम का स्वामित्व खरीदा और इसके लिए उन्होंने बीसीसीआई के संविधान में संशोधन करवाया था. मुस्तफा ने जब अंपायर के फैसले को गलत ठहराया था और भारत विरोधी टिप्पणी की थी, तो आईसीसी को सफाई देनी पड़ी थी. ऐसे में यह स्पष्ट दिखता है कि आईसीसी पर एन श्रीनिवासन की छाप पड़ चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बीसीसीआई को मिली है श्रीनिवासन से मुक्ति
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में नाम आने के बाद एन श्रीनिवासन ने बीसीसीआई अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था, लेकिन वे इस पद पर दुबारा आसीन होने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे थे, लेकिन जब कोर्ट ने उन्हें हितों के टकराव के मामले में यह निर्देश दिया कि वे अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ सकते, तब जाकर बीसीसीआई में श्रीनिवासन युग का अंत हुआ.