पाकिस्तान के क्रिकेट जगत का सुखाड़ पूरे छह साल बाद समाप्त होने वाला है. आज शाम पाकिस्तान के लाहौर में पाकिस्तान और जिंबाब्वे के बीच मैच खेला जायेगा. यह मैच खेल के दृष्टिकोण से तो महत्वपूर्ण है ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह मैच मायने रखता है. जिंबाब्वे की टीम ने पाकिस्तान आकर क्रिकेट खेलने का जो फैसला किया है, उसमें काफी रिस्क है, क्योंकि यहां आतंवकवादी हमले का खतरा है. अब देखना यह है कि इतने वर्षों बाद जो टीम पाकिस्तान आकर क्रिकेट खेलने की पहल कर चुकी है, उसे वहां कितना सम्मान और सुरक्षा पाकिस्तान की सरकार दे पाती है.
इस परिस्थिति में जिंबाब्वे का निर्णय दिलेरी भरा तो है ही, उनकी जरूरत को भी दर्शाता है. इंटरनेशनल प्लेयर एसोसिएशन नेजिंबाब्वे की टीम को आगाह भी किया था कि उनके लिए पाकिस्तान में जाकर खेलना खतरों से खेलनेके बराबर है. बावजूद इसके जिंबाब्वे की टीम वहां गयी है, तो इसका कारण यह है कि वहां का क्रिकेट बोर्ड अपने खिलाड़ियों को अधिक से अधिक क्रिकेट खेलाना चाहता है, ताकि वहां क्रिकेट की मौत ना हो. जिंबाब्वे जैसी टीम को क्रिकेट खेलने का मौका कम मिलता है, जिसके कारण वे बस विश्वकप में ही अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं.
अगर यह श्रृंखला, जिसमें दो टी-20 और तीन एकदिवसीय मैच खेले जाने हैं, सफल रही, तो अन्य देश भी पाकिस्तान आकर खेलने को राजी हो जायेगी और एक बार फिर पाकिस्तान में क्रिकेट जीवित होगा. पाकिस्तान के कप्तान शाहिद अफरीदी ने यह बयान भी दिया है कि जिंबाब्वे का अनुकरण अन्य देश भी करेंगे. इस मैच का आनंद उठाने के लिए पीसीबी ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी निमंत्रण भेजा है.