नयी दिल्ली : भारत के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने कहा है कि अपरिहार्य विफलता से निपटने की उनकी क्षमता से उन्हें पांच साल के अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान काफी मदद मिली. धवन ने यहां एक कार्यक्रम के इतर कहा, अब मुझे सफल क्रिकेटर के तौर पर देखा जाता है लेकिन तथ्य यह है कि मैंने सफलता की तुलना में विफलता अधिक देखी.
आपको मुश्किल समय से गुजरना पडता है और मेरे लिए भी इससे कुछ अलग नहीं था. मैं लगभग 60 (वनडे) मैच खेले और सिर्फ आठ शतक लगाए. काफी खिलाड़ी अपनी फार्म को लेकर चिंतित होते हैं लेकिन मेरे लिए यह धैर्य रखना और अपना काम करते रहना है. पिछले साल ऑस्ट्रेलिया दौरे से लगातार क्रिकेट खेल रही भारतीय क्रिकेट टीम का कार्यक्रम काफी व्यस्त रहा. आईपीएल खत्म होने के बाद अब टीम को अगले महीने बांग्लादेश दौरे पर जाना है.
वर्ष 2013 में मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट पदार्पण के दौरान 187 रन की पारी खेलने के बाद से धवन भारतीय टीम का नियमित हिस्सा रहे. दो साल पहले भारतीय टीम में वापसी के बाद धवन को मुश्किल समय का भी सामना करना पडा लेकिन वह इससे उबरने में सफल रहे. ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट और वनडे श्रृंखला में जूझने के बाद उन्हें विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया.
अपनी पत्नी और बेटे के साथ यहां स्माइल फाउंडेशन में बच्चों के साथ समय बिताने वाले धवन से जब बांग्लादेश के खिलाफ आगामी श्रृंखला के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, मैं एक बार में सिर्फ एक दौरे पर ध्यान देना चाहता हूं और अच्छी तैयारी करना चाहता हूं. फिटनेस भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम पूरे साल खेलते हैं. यह आसान नहीं है. आपको आपनी फिटनेस पर काम करना होता है और इसे बरकरार रखना होता है. खाली समय में मैं हमेशा ऐसा करने का प्रयास करता हूं.
धवन से जब उनकी प्रेरणा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, जब युवी (युवराज सिंह) पाजी गेंद को हिट करते हैं तो वह काफी अच्छा हिट करते हैं, कोई ऐसा नहीं कर सकता. मैं इससे प्रेरित हूं. मैंने महसूस किया कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सफल होने के लिए मुझे उनकी तरह खेलना होगा. प्रदर्शन में निरंतरता के लिहाज से मैंने चेतेश्वर पुजारा से काफी कुछ सीखा. उन्होंने कहा, गेंदबाज उसे आउट करने की कोशिश में थक जाते हैं लेकिन वह अपना विकेट नहीं गंवाता. अंत में गेंदबाज परेशान हो जाते हैं. इसलिए आपके टीम के साथियों से काफी कुछ सीखा जा सकता है.