भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 21 जून 2015 का दिन हमेशा याद किया जायेगा, क्योंकि इस दिन भारत ने पहली बार बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम के साथ खेलते हुए श्रृंखला गंवा दी. भारतीय क्रिकेट के लिए यह बात शर्मनाक है कि बांग्लादेश ने उसे शिकस्त दी, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि जो टीम अच्छा खेली वह जीती. य ह कहने में हमें कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि कल टीम इंडिया अच्छा नहीं खेली और बांग्लादेश की टीम उसपर हावी रही. लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या टीम इंडिया की हार के लिए सिर्फ कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ही जिम्मेदार हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि कप्तान को हार का जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उससे यह पूछा जाना चाहिए कि आखिर क्यों उसकी टीम का प्रदर्शन ऐसा रहा. हालांकि कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने यह बात साफ कर दी है कि अगर बीसीसीआई उनसे कप्तानी वापस लेना चाहता है, तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि कप्तान का पद एक जिम्मेदारी है, जिसे वे उठा रहे हैं.
महेंद्र सिंह धौनी पर बनाया जा रहा है दबाव
पिछले कुछ समय से महेंद्र सिंह धौनी पर कप्तानी छोड़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. श्रृंखला गंवाने के बाद उनपर दबाव और बढ़ेगा. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अजहरुद्दीन ने भी बयान दिया है कि धौनी को कप्तानी छोड़ देनी चाहिए.
क्या धौनी के कप्तान नहीं रहने पर सुधर जायेगा टीम इंडिया का प्रदर्शन?
यह सवाल लाख टके का है,क्योंकि धौनी पर यह आरोप है कि उनकी खराब कप्तानी के कारण टीम हारी है. लेकिन अगर टीम इंडिया के प्रदर्शन पर गौर किया जाये, तो हम पायेंगे कि मध्यक्रम पिछले काफी समय से खराब प्रदर्शन कर रहा है, जिसके कारण भारत विश्वकप के सेमीफाइनल में भी हार गया था. पिछले काफी समय से शिखर धवन, विराट कोहली और रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी टीम के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं.
क्या टीम इंडिया बंट गयी है?
यह सवाल इसलिए लाजिमी है क्योंकि पिछले दिनों बीसीसीआई की चयन समिति के एक सदस्य ने यह खुलासा किया था कि वर्ष 2012 मेंही महेंद्र सिंह धौनी से कप्तानी वापस लेने की योजना थी, लेकिन एन श्रीनिवासन के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका था. उन्होंने यह भी कहा था कि उस वक्त टीम बंट चुकी थी.