महेंद्र सिंह धौनी और विराट कोहली के बीच कोई मतभेद नहीं, दोनों एक दूसरे का सम्मान करते हैं : रवि शास्त्री

नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम के निदेशक रवि शास्त्री ने महेंद्र सिंह धौनी और विराट कोहली के बीच मतभेदों की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे ‘सबसे बड़ी बकवास’ करार दिया. शास्त्री ने कहा कि ये दोनों खिलाड़ी एक दूसरे का सम्मान करते हैं और भारतीय टीम ‘ईमानदार खिलाडियों का जमावडा’ है जो एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2015 5:58 PM

नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम के निदेशक रवि शास्त्री ने महेंद्र सिंह धौनी और विराट कोहली के बीच मतभेदों की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे ‘सबसे बड़ी बकवास’ करार दिया. शास्त्री ने कहा कि ये दोनों खिलाड़ी एक दूसरे का सम्मान करते हैं और भारतीय टीम ‘ईमानदार खिलाडियों का जमावडा’ है जो एक दूसरे के लिये खेलने पर विश्वास करते हैं.

शास्त्री ने एक साक्षात्कार में कहा, यह (धौनी और कोहली के बीच मतभेद) सबसे बड़ी बकवास है जो मैंने सुनी. यह ईमानदार खिलाडियों का जमावडा है जो एक दूसरे के लिये खेलने पर विश्वास करते हैं. यही वजह है कि पिछले साल हमने 70 प्रतिशत मैच जीते. उन्होंने कहा, आपको देखना चाहिए कि वे एक दूसरे का सम्मान करते हैं. कोहली युवा है, उत्साही है. वह समय के साथ सीख लेगा. वह अभी केवल 26 साल का है. उसे एक दो साल तक कप्तानी करने दो. शास्त्री ने वनडे के वर्तमान कप्तान धौनी की जमकर तारीफ की. उन्होंने धौनी को लीजेंड करार दिया जो अपनी शर्तों पर खेलते हैं.

उन्होंने कहा, धौनी सर्वकालिक महान खिलाड़ी है. वह ऐसा खिलाड़ी है जो अपनी शर्तों पर खेलता है. जिस तरह से उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया वह इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कई ऐसे हैं जो 100 टेस्ट मैचों की उपलब्धि हासिल करना पसंद करते हैं. शास्त्री से पूछा गया कि क्या अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा और शिखर धवन जैसे युवा खिलाड़ी टीम में जम चुके हैं, उन्होंने कहा कि उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देखना अभी बाकी है.
उन्होंने कहा, उनसे बहुत अधिक उम्मीद है. सभी युवा है. उनकी उम्र 26 से 28 साल के बीच है. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देखना अभी बाकी है. आंकडे नहीं बल्कि क्रिकेट की उनकी शैली ने मुझे खुश किया. उन्होंने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा. वे प्रतिद्वंद्वी का डटकर सामना करते हैं.
शास्त्री ने कहा, कोहली बेहतरीन है. हम ऑस्ट्रेलिया में दो टेस्ट मैच हार गये और उन दोनों में हमने जीत को लक्ष्य बनाया था. इसके बाद हमने विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया. एक अच्छी टीम बड़े टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन करती है. भारत जब भी इस प्रतियोगिता में खेला तब उसने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया. शास्त्री ने युवा टीम के साथ अपने अनुभव, उनका करियर बनाने में उनकी खुद की भूमिका, अलग अलग परिस्थितियों के लिये तेज गेंदबाजों की पहचान और भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर भी बात की.
साक्षात्कार के अंश
सवाल : आप इग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और अब बांग्लादेश में टीम के साथ रहे हो. पिछले आठ महीनों में टीम में अहम भूमिका में होने पर आपने इन खिलाडियों को पांच टेस्ट और लगभग 25 वनडे में खेलते हुए देखा है. यह टीम अब कैसे जम गयी है?
शास्त्री : यहां संदर्भ आवश्यक है. इंग्लैंड में लार्ड्स में जीत मिली. इसके बाद अगले तीन टेस्ट मैचों में करारी हार का सामना करना पड़ा. खिलाडियों ने वास्तव में खुद को आगे बढाया. उन्होंने पिछले आठ महीनों में आक्रामक क्रिकेट का नजारा पेश किया जिसमें ऑस्ट्रेलिया में चार टेस्ट और विश्व कप भी शामिल हैं. बांग्लादेश में हालांकि हम पहले दो वनडे में हार गये लेकिन मैंने उनसे आखिरी मैच का पूरा मजा लेने के लिये कहा. मैं चाहता था कि वे याद रखें कि उनके लिये यह शानदार साल रहा. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर प्रत्येक देश के खिलाफ जीत दर्ज की है.
* सवाल : आप गेंदबाजी के बारे में क्या कहोगे? धौनी ने तेज गेंदबाजों को लेकर सार्वजनिक तौर पर निराशा व्यक्त की थी?
शास्त्री : यदि हमें आगे बढना है तो यह ऐसा विभाग है जिस पर हमें ध्यान देने की जरुरत है. बिना 20 विकेट हासिल किये आप टेस्ट नहीं जीत सकते. लेकिन यह घबराने का समय नहीं है. हमें भिन्न परिस्थितियों के लिये गेंदबाजों की पहचान करने की जरुरत है. यह परिस्थितियों के हिसाब से चयन का मामला है. उपमहाद्वीप की पिचों पर आप सभी तेज गेंदबाजों को नहीं उतार सकते. सटीकता और कौशल अहम होने चाहिए. जो गेंदबाज इनमें फिट बैठता है उसे बढावा दिया जाना चाहिए.
* सवाल : कई भारतीय बल्लेबाजों ने अपनी तकनीक को सही करने के लिये आपको श्रेय दिया. क्या आपको लगता है कि भारत को अब भी मुख्य कोच की जरुरत है?
शास्त्री : केवल मुझे नहीं इसका श्रेय पूरे सहयोगी स्टाफ को जाता है. खिलाड़ी सुनना चाहते हैं और छोटे छोटे बदलाव करते हैं. यह भरोसे और सम्मान से ही होता है. वे जानते हैं कि ड्रेसिंग रुम में जो कुछ होता है वह वहीं रहना चाहिए. सहयोगी स्टाफ में शामिल संजय, अरुण और श्रीधर आसमान से नहीं टपके हैं. वे बड़े समय से व्यवस्था का हिस्सा हैं.
उन्होंने इन लड़कों को तब से देखा है जब उन्हें क्रिकेटर के रुप में निखारा जा रहा था. खिलाडियों और सहयोगी स्टाफ के बीच सहजता का स्तर बहुत अच्छा है. मुख्य कोच के बारे में मेरा यही कहना है इस पर बीसीसीआई को फैसला करना है. हमारे पास पहले ही तीन कोच हैं और इसके अलावा मैं हूं. मुख्य कोच केवल पद भरने के लिये नहीं होना चाहिए. भारत का प्रतिनिधित्व करना आसान नहीं होना चाहिए.
* सवाल : और आप टीम में अपनी भूमिका को कैसे देखते हो?
शास्त्री : यह जिम्मेदारी भरा चुनौतीपूर्ण काम है. जिसकी तारीफ भी नहीं होती. हमारे जैसे संवेदनशील देश में हम हमेशा जीत की उम्मीद करते हैं. यदि ऐसा नहीं होता तो फिर आलोचना सहने के लिये तैयार रहिये. पिछले 35 वर्षों में खेल में क्रिकेटर, प्रशासक और मीडिया पेशेवर के रुप में अलग अलग तरह की भूमिकाएं निभाने के कारण मैं किसी भी परिस्थिति में अच्छी तरह से रच बस जाता हूं.
अभी मैं मीडिया का काम नहीं करता. मैं एक साथ दो काम नहीं कर सकता हूं. लेकिन मैं इस बलिदान के लिये तैयार था. मैं 20 साल से अधिक समय तक प्रसारण बाक्स में रहा. भविष्य में इस तरह के कई अन्य सत्र हो सकते हैं. लेकिन अभी इंतजार कर सकता हूं. आईपीएल को छोड़कर मुझे इसमें (हितों का) टकराव नजर नहीं आता.
* सवाल : आप आगामी सत्र को कैसे देखते हैं?
शास्त्री : हमारा कार्यक्रम काफी व्यस्त है और कुछ अच्छी क्रिकेट खेली जाएगी. श्रीलंका से उसकी सरजमीं पर और दक्षिण अफ्रीका से किसी भी परिस्थिति में खेलना कड़ा होता है. खिलाडियों को पिछले सत्र जैसी ही क्रिकेट खेलनी होगी. इसमें ऑस्ट्रेलिया का दौरा महत्वपूर्ण था जहां वे हर बार जीत की कोशिश कर रहे थे. यहां तक कि बांग्लादेश में भी हमने परिणाम के लिये कोशिश की लेकिन हमने केवल दो दिन ही मैदान पर बिताये. आगामी महीनों में भी हमारा एकमात्र लक्ष्य रहेगा जीत और केवल जीत.

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