जयसिम्हा को पुण्यतिथि से पहले याद किया लक्ष्मण ने
नयी दिल्ली : देश के कलात्मक बल्लेबाजों में से एक एम एल जयसिम्हा को याद करते हुए पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने आज कहा कि वह हैदराबाद के पूर्व कप्तान था जिनकी सलाह ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में सफलता दिलायी. जयसिम्हा का सात जुलाई 1999 को कैंसर के कारण निधन हो गया था. लक्ष्मण […]
नयी दिल्ली : देश के कलात्मक बल्लेबाजों में से एक एम एल जयसिम्हा को याद करते हुए पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने आज कहा कि वह हैदराबाद के पूर्व कप्तान था जिनकी सलाह ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में सफलता दिलायी.
जयसिम्हा का सात जुलाई 1999 को कैंसर के कारण निधन हो गया था. लक्ष्मण ने उनके बारे में कहा, मैं हमेशा उनकी सादगी से प्रभावित रहा. उन्होंने न्यूटरीन अंडर-13 क्रिकेट कोचिंग कैंप का आयोजन किया था और मुझे याद है कि विजयवाडा के इंदिरा गांधी नगरनिगम स्टेडियम में वह साइकिल से आते थे.
एक महान क्रिकेटर, जिनके बारे में आपने इतना कुछ सुना हो, के लिये यह अविश्वसनीय था. लक्ष्मण का जयसिम्हा के प्रति लगाव मैदान से इतर भी रहा. उन्होंने टीवीएस मोटर कंपनी से अपील की जिसका नतीजा माइ वे, द बायोग्राफी ऑफ एम एल जयसिम्हा रही. इस किताब का विमोचन 2005 में सुनील गावस्कर ने किया जो जयसिम्हा को अपना आदर्श मानते थे. जयसिम्हा ने लगातार 14 रणजी सत्र में हैदराबाद की अगुवाई की थी.
लक्ष्मण ने कहा, जब खेल की बात आती है तो उनसे साफ सुथरा कोई नहीं था. उन्हें हमेशा चटक सफेद कपडों में देखा जाता था. जयसिम्हा के साथ अपनी तमाम बातचीतों में लक्ष्मण को याद है कि वह उनके खेल को अच्छी तरह से समझते थे.
लक्ष्मण को याद है कि हैदराबाद के कोच जयसिम्हा ने एक बार उनसे कहा था, भारत के लिये आप सलामी बल्लेबाज हो सकते हो लेकिन हैदराबाद की तरफ से आप तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिये आ सकते हो. जयसिम्हा की यह सलाह तब सही साबित हुई जब लक्ष्मण ने स्टीव वा की ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ ईडन गार्डन्स में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 281 रन बनाये. विजडन ने इसे सदी की सर्वश्रेष्ठ पारी करार दिया था.
लक्ष्मण ने कहा, वह कुशल रणनीतिकार और बेहतरीन मैन मैनेजर थे. वह जिस तरह से प्रत्येक हैदराबादी खिलाडी में आत्मविश्वास भरते थे वह देखना बहुत अच्छा अनुभव था. उन्होंने कहा, हालांकि जयसिम्हा सर हैदराबाद कोच के रुप में अपने आखिरी दिनों में कैंसर से पीडित थे लेकिन उन्होंने किसी को इसका पता नहीं लगने दिया. उन्होंने दर्द के बावजूद अपनी क्षमता दिखायी. मैं खेल के प्रति उनके जुनून और जानकारी से काफी प्रेरित था.
जयसिम्हा के शालीन व्यवहार से भारत के पूर्व स्पिनर वेंकटपति राजू भी प्रभावित थे. उन्होंने कहा, वह इसलिए भी महान थे क्योंकि कोई भी उन तक पहुंच सकता था. इसलिए यह हैरानी भरा नहीं है कि हैदराबाद के एमसीसी मराडपल्ली क्रिकेट क्लब, जिसकी वह स्थानीय लीग में अगुवाई करते थे, में अधिकतर स्कूल और कालेज के छात्र शामिल रहे हैं. इनमें मैं भी शामिल हूं.
राजू ने कहा, उनकी सलाह हमारे लिये अमूल्य थी. उनके छोटे छोटे बदलाव हमारे लिये आगे बहुत फायदेमंद साबित हुई. चैलेंजर ट्रॉफी के दौरान छह विकेट उनकी सलाह का परिणाम था जिससे मैंने 1991-92 ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिये भारतीय टीम में जगह बनायी. जयसिम्हा ने 1959 से 1971 तक 12 साल के करियर में 39 टेस्ट मैच खेले और 2056 रन बनाये जिसमें तीन शतक और 12 अर्धशतक शामिल हैं.