रांची : जिस तरह पेड़ों के बगैर जंगल की कल्पना करना मुश्किल है, ठीक उसी तरह धौनी के बगैर आइपीएल के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता. यह बातें पूर्व भारतीय अंडर-25 खिलाड़ी प्रदीप खन्ना ने कही. उनका मानना है कि नयी फ्रेंचाइजी आयेगी और नये नामों से दोनों टीमों का पुनर्गठन होगा. इससे इन टीमों के खिलाड़ी रिटेन रहेंगे. इन्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. प्रारंभिक कोच चंचल भट्टाचार्य का मानना है कि बैन टीमों पर लगा है, खिलाड़ियों पर नहीं. इससे धौनी के करियर पर कोई असर नहीं होगा. वैसे भी अब गेंद बीसीसीआइ के पाले में है और अंतिम फैसला उसे ही लेना है. वैसे क्रिकेट को साफ-सुथरा करने के लिए लोढ़ा समिति का यह फैसला सही है.
धौनी के स्कूल के समय के कोच केशव रंजन बनर्जी के विचार भी कुछ ऐसे ही हैं. श्री बनर्जी कहते हैं कि अब फिर से खिलाड़ियों की नीलामी होनी चाहिए. वह कहते हैं कि धौनी चाहें, तो वह किसी दूसरी टीम से भी आइपीएल खेल सकते हैं. क्रिकेट कोच जय कुमार सिन्हा का कहना है कि लोढ़ा समिति के फैसले का असर छोटे क्रिकेटरों पर पड़ेगा. जहां तक धौनी, रैना, अश्विन, रहाणो जैसे बड़े खिलाड़ी हैं, उन्हें कोई भी टीम हाथों-हाथ लेगी. उन्होंने कहा कि टीमों पर दो साल का बैन बहुत होता है और दो साल खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ा समय होता है. इससे उनके (छोटे खिलाड़ियों) करियर पर असर पड़ेगा.
पूर्व रणजी क्रिकेटर आदिल हुसैन तो फिर से नीलामी के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि दो नयी फ्रेंचाइजी आयें और दो नयी टीमों का गठन हो. इसके बाद इन टीमों के लिए फिर से खिलाड़ियों की नीलामी की जाये. यदि बीसीसीआइ चाहेगी, तो चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स के बदले आइपीएल में दो नयी टीमें शामिल हो सकती हैं.