रविचंद्रन अश्विन भारत के उन गेंदबाजों में शुमार हैं, जिनपर टीम की उम्मीदें टिकी रहती हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है
किअश्विन ने अकसर उन आशाओं को पूरा किया है. भारत अगर श्रीलंका में 22 साल बाद टेस्ट सीरीज जीत पायी है, तो उसमें अश्विन की महत्वपूर्ण भूमिका है. अश्विन ने तीन मैचों की इस श्रृंखला में 21 विकेट लिये और वह मैन आफ द सीरीज घोषित किये गये.
अश्विन की यह सफलता महत्वपूर्ण तो है, लेकिन यह इसलिए भी बहुत मायने रखती है, क्योंकि अश्विन को चौथी बार यह
सफलता हासिल हुई है. उनसे पहले भारत में सिर्फ दो खिलाड़ी हैं, जिन्हें पांच-पांच बार मैन आफ सीरीज घोषित किया गया है. वह दो खिलाड़ी हैं क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग . इन दोनों खिलाड़ियों को पांच-पांच बार मैन आफ द सीरीज चुना गया है.
अश्विन ने 28 मैच में ही चार बार मैन आफ द सीरीज का पुरस्कार जीता है. अभी उन्हें कैरियर के कई मैच खेलने हैं. उनकी गेंदबाजी के प्रदर्शन को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वे जल्दी ही सचिन और सहवाग की बराबरी कर लेंगे और बहुत संभव है कि वे उनके रिकॉर्ड को तोड़ भी दें.
टेस्ट कैरियर में श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन सबसे अधिक 11 बार मैन आफ द सीरीज चुने गये हैं. उन्हें यह सफलता 133 मैचों में मिली. उनके बाद दक्षिण अफ्रीका के जैक कैलिस का नाम आता है, जो नौ बार मैन आफ द सीरीज चुने गये. तीसरे नंबर पर पाकिस्तान के इमरान खान और आस्ट्रेलिया के शेन वार्न का नाम आता है, जिन्हें आठ-आठ बार मैन आफ द सीरीज चुना गया है.
भारत अक्तूबर महीने में दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर जा रही है, ऐसे में रविचंद्रन अश्विन के पास सुनहरा मौका है कि सचिन और सहवाग के रिकॉर्ड की बराबरी कर लें या फिर उससे आगे निकल जायें.