डालमिया ने क्रिकेट की ताकत को लार्ड्स से कोलकाता के ईडन गार्डन्स तक पहुंचाया

कोलकाता : बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया को हमेशा ऐसे व्यक्ति के रुप में याद किया जाएगा जिसने भारतीय क्रिकेट को आत्मनिर्भर संस्था बनाया और क्रिकेट की ताकत को लार्ड्स से कोलकाता के ईडन गार्डन्स तक पहुंचाया. डालमिया का आज यहां 75 बरस की उम्र में निधन हो गया. डालमिया ने अपने लंबे प्रशासनिक करियर के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2015 10:49 PM

कोलकाता : बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया को हमेशा ऐसे व्यक्ति के रुप में याद किया जाएगा जिसने भारतीय क्रिकेट को आत्मनिर्भर संस्था बनाया और क्रिकेट की ताकत को लार्ड्स से कोलकाता के ईडन गार्डन्स तक पहुंचाया. डालमिया का आज यहां 75 बरस की उम्र में निधन हो गया.

डालमिया ने अपने लंबे प्रशासनिक करियर के दौरान अच्छा, बुरा और बदतर हर तरह का दौर देखा. कैरी पैकर के विश्व सीरीज क्रिकेट ने अगर ऑस्ट्रेलिया के पारंपरिक क्रिकेट जगत को झटका दिया तो ये कोलकाता के चतुर व्यवसायी डालमिया थे जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने भारत के वैश्विक क्रिकेट में व्यावसायिक दबदबा बनाने की क्षमता को समझा.
भारतीय क्रिकेट को उनका सबसे बडा तोहफा 1990 के दशक की शुरुआत में वर्ल्ड टेल के साथ लाखों डालर का टेलीविजन करार था जिसने बीसीसीआई को दुनिया में सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. कुशल रणनीतिकार डालमिया ने 1987 में भारत की सहमेजबानी में रिलायंस विश्व कप और 1996 में विल्स विश्व कप में आयोजन में अहम भूमिका निभाई.
डालमिया ने 35 साल के अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआत राजस्थान क्लब से बंगाल क्रिकेट संघ की कार्यकारी समिति का सदस्य बनकर की जबकि इसके बाद वह कैब के कोषाध्यक्ष और सचिव भी बने.
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष बीएन दत्त के शागिर्द डालमिया 1980 के दशक में कोषाध्यक्ष बने और उन्हें ऐसे व्यक्ति के रुप में जाना जाता है जिन्होंने एनकेपी साल्वे को मनाया कि रिलायंस कप के फाइनल का आयोजन वानखेडे स्टेडियम की जगह कोलकाता के ईडन गार्डन्स में कराया जाए. उन्होंने एक समय अपने मित्र रहे इंदरजीत सिंह बिंद्रा के साथ मिलकर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को पछाड़कर भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका को 1996 विश्व कप की सह मेजबानी दिलाई.
वर्ष 1997 में उन्हें सर्वसम्मति से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद का अध्यक्ष चुना गया. वर्ष 2001 में वह एसी मुथैया को हराकर बीसीसीआई अध्यक्ष बने. इसके बाद उन्होंने अपने उम्मीदवार रणबीर सिंह महेंद्रा को अपना निर्णायक मत देकर सिर्फ एक मत से बीसीसीआई अध्यक्ष पद चुनाव में एनसीपी के दिग्गज नेता शरद पवार की हार सुनिश्चित की.
हालांकि पवार, एन श्रीनिवासन, शशांक मनोहर और ललित मोदी की चौकडी ने बिंद्रा के समर्थन से अगले साल ना सिर्फ महेंद्रा को हराया बल्कि उनके खिलाफ मामले भी खोल दिए. उन्‍हें 2006 में बीसीसीआई से निलंबित किया गया और उनके घरेलू संघ से भी बाहर कर दिया गया. डालमिया ने इसके बाद लंबी कानूनी लडाई लड़कर राज्य संघ मेंअपना स्थान वापस हासिल किया.
आईपीएल स्‍पॉट फिक्सिंग प्रकरण सामने आने के बाद वह अंतरिम अध्यक्ष के रुप में पहले सर्वसम्मत उम्मीदवार थे और इस साल की शुरुआत में वह एक बार फिर सर्वसम्मति से बीसीसीआई अध्यक्ष बने.

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