बीसीसीआई अध्यक्ष बने शशांक मनोहर, सफाई अभियान शुरु

मुंबई : वकील से प्रशासक बने शशांक मनोहर को चार साल बाद आज दूसरी बार निर्विरोध बीसीसीआई अध्यक्ष चुना गया और उन्होंने कई सुधारवादी कदमों की घोषणा करके क्रिकेट बोर्ड को पाक साफ करके खेल की विश्वसनीयता को दोबारा बरकरार करने का भरोसा दिलाया. आम सभा की विशेष बैठक में दूसरे कार्यकाल के लिए अध्यक्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2015 12:47 PM

मुंबई : वकील से प्रशासक बने शशांक मनोहर को चार साल बाद आज दूसरी बार निर्विरोध बीसीसीआई अध्यक्ष चुना गया और उन्होंने कई सुधारवादी कदमों की घोषणा करके क्रिकेट बोर्ड को पाक साफ करके खेल की विश्वसनीयता को दोबारा बरकरार करने का भरोसा दिलाया.

आम सभा की विशेष बैठक में दूसरे कार्यकाल के लिए अध्यक्ष चुने जाने के बाद 58 साल के मनोहर ने कहा कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता बोर्ड की छवि को दोबारा ठीक करना है और उन्होंने बोर्ड में चीजों को सही करने के लिए दो महीने का समय मांगा.

मनोहर ने जिन सुधारवादी कदमों की घोषणा की उनमें हितों का टकराव जैसे विवादास्पद मुद्दों से निपटने के लिए लोकपाल की नियुक्ति भी शामिल है. बोर्ड के लिए खाका तैयार करते हुए मनोहर ने कई अन्य महत्वपूर्ण फैसलों की भी घोषणा की जिसमें महिला क्रिकेटरों को केंद्रीय अनुबंध देना, सभी राज्य इकाइयों के खर्चे की निगरानी के लिए समान आडिटर और पारदर्शिता को बढावा देने के लिए बीसीसीआई की बैलेंसशीट बोर्ड की वेबसाइट पर डालना शामिल है. आज यहां बोर्ड की विशेष आम बैठक में निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए मनोहर ने कहा कि वह केंद्र सरकार के अधिकारियों से चर्चा करना चाहते हैं कि क्या किसी जांच एजेंसी को बीसीसीआई के साथ जोड़ा जा सकता है.

ऐसी योजना इसलिए बनाई जा रही है क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में बीसीसीआई के पास जांच करने का अधिकार नहीं है. मनोहर ने अध्यक्ष बनने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘बीसीसीआई प्रशंसकों के प्यार और देश की क्रिकेट प्रेमी जनता के कारण बडा ब्रांड बना है. कुछ अप्रिय घटनाओं के कारण प्रशंसकों का भरोसा डिगा है. यह बोर्ड के सभी प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे बोर्ड की प्रतिष्ठा को वापस लाएं.’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि आप मुझे दो महीने का समय दें, मैं अभी दो साल के लिए अध्यक्ष हूं।’ बोर्ड के निर्बाध संचालन के लिए मनोहर की सुधारवादी कदमों की योजना में नैतिक अधिकारी की नियुक्ति सर्वोच्च प्राथमिकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘बीसीसीआई ने खिलाडियों, कोचों और स्टाफ के लिए नियम बनाए हैं. हम लोकपाल या नैतिक अधिकारी की नियुक्ति की योजना बना रहे हैं जो बोर्ड से स्वतंत्र रहकर हितों के टकराव संबंधी शिकायतों पर गौर कर सके.’ मनोहर ने कहा, ‘‘साथ ही हमें खेल को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए नियम तैयार करने होंगे. हमें खिलाडियों को शिक्षित करने के लिए अधिक कार्यक्रम करेंगे.

‘ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पर अपने सचिव (अनुराग ठाकुर) के साथ चर्चा करुंगा कि क्या हम केंद्र सरकार से बात करके यह पता लगा सकते हैं कि क्या हम जांच एजेंसियों के साथ समझौता कर सकते हैं क्योंकि बीसीसीआई के पास जांच का अधिकार नहीं है. इससे प्रशंसकों का भरोसा दोबारा खेल पर स्थापित करने में मदद मिलेगी.’ विदर्भ के 58 वर्षीय वकील मनोहर ने साथ ही राज्य इकाइयों में अधिक पारदर्शिता लाने पर भी बात की. राज्य इकाइयों में स्वतंत्र आडिटर उनके खर्चे पर नजर रखेगा और देखेगा कि वे बीसीसीआई से मिले अनुदान को किस तरह खर्च कर रहे हैं.

राज्यों संघों के खर्चों की निगरानी पर मनोहर ने कहा, ‘‘बीसीसीआई क्रिकेट और अन्य गतिविधियों पर खर्चे के लिए संघों को बड़ी राशि देता है. उनके खातों का आडिट वे आडिटर करते हैं जिन्हें राज्य संघ नियुक्त करता है. लेकिन मैं ऐसी प्रणाली चाहता हूं जहां बोर्ड आडिटर की नियुक्ति करे जो राज्य संघों से स्वतंत्र हो. खातों के आडिट के बाद उन्हें पूरा पैसा दे दिया जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘‘बीसीसीआई को अधिकार है कि वह देखे कि पैसे का उचित इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं.’ मनोहर के मुताबिक बीसीसीआई पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड के संविधान और खर्चों की जानकारी को अपनी आधिकारिक वेबसाइट ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.बीसीसीआई.टीवी’ पर डालेगा.

उन्होंने कहा, ‘‘हम बोर्ड के संविधान और नियमों को वेबसाइट पर डाल सकते हैं. 25 लाख या इससे अधिक का कोई भी खर्चा वेबसाइट पर डाला जाना चाहिए. हम साल के अंत में बोर्ड की बैलेंसशीट भी डाल सकते हैं जिससे कि यह जनता के लिए उपलब्ध हो सके. लोगों के मन में यह धारणा है कि सूचना नहीं मिल रही इसका मतलब है कि बोर्ड में कुछ गलत है.’ मनोहर ने वकालत की कि राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी को एक बार फिर रिहैबिलिटेशन केंद्र की जगह सेंटर आफ एक्सीलेंस के रुप में काम करना शुरु करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि एनसीए पूरे साल काम करे. देश में अच्छे स्पिनर उपलब्ध नहीं हैं. हम चाहते हैं कि एनसीए ऐसा केंद्र बने जो जरुरत होने पर उपलब्ध खिलाडियों का विकल्प मुहैया कराए.’ बीसीसीआई की वित्त समिति पहले ही महिला क्रिकेटरों को केंद्रीय अनुबंध प्रणाली के तहत लाने का प्रस्ताव पारित कर चुकी है और इस मुद्दे पर मनोहर ने बीसीसीआई का रुख दोहराया.

मनोहर ने कहा, ‘‘बीसीसीआई महिला क्रिकेटरों को केंद्रीय अनुबंध देगा. इससे भविष्य में अधिक से अधिक महिलाएं खेल से जुडने के लिए प्रेरित होंगी.’ मनोहर ने कहा कि बीसीसीआई के सभी पुराने रिकार्ड उसके मुख्यालय पर उपलब्ध रहेंगे और राज्य इकाई का कोई भी सदस्य रिपोर्ट देख सकता है. बीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि बोर्ड का ध्यान भारत में आईसीसी विश्व ट्वेंटी20 चैम्पियनशिप का आयोजन सर्वश्रेष्ठ संभावित तरीके से करना है.

उन्होंने कहा कि वह चुनाव की स्थिति में अपना अध्यक्ष पद का वोट तब तक नहीं देना चाहते जब तक कि संविधान में संशोधन नहीं हो. चुनाव की स्थिति में बोर्ड अध्यक्ष के पास तीन वोट होते हैं- उसके राज्य संघ का वोट, अध्यक्ष का वोट और निर्णायक वोट. डालमिया ने 2004 के चुनावों में इन तीनों मत का इस्तेमाल करके रणबीर सिंह महेंद्रा को शरद पवार के खिलाफ जीत दिलाई थी. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे निर्णायक वोट से कोई परेशानी नहीं है लेकिन मैं संविधान में संशोधन तक अध्यक्ष के वोट के इस्तेमाल के पक्ष में नहीं हूं.’

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