जहीर खान ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा
मुंबई : भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में से एक जहीर खान ने आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया और चोटों से तंग आ चुके इस धुरंधर गेंदबाज ने स्वीकार किया कि अब उनका शरीर खेलने का बोझ और नहीं सह सकता. जहीर ने एक लंबे बयान में कहा ,‘‘ मैं आगामी सत्र की […]
मुंबई : भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में से एक जहीर खान ने आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया और चोटों से तंग आ चुके इस धुरंधर गेंदबाज ने स्वीकार किया कि अब उनका शरीर खेलने का बोझ और नहीं सह सकता.
जहीर ने एक लंबे बयान में कहा ,‘‘ मैं आगामी सत्र की तैयारी कर रहा था तो मुझे लगा कि मेरा कंधा रोज 18 ओवर फेंकने का बोझ नहीं सह सकता. मुझे तभी अहसास हो गया कि यह संन्यास लेने का सही समय है.’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैं तुरंत प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह रहा हूं. मैं आईपीएल नौ के साथ घरेलू क्रिकेट से भी विदा लेना चाहता हूं.’ भारत के लिये 92 टेस्ट, 200 वनडे और 17 टी20 मैच खेल चुके 37 बरस के इस तेज गेंदबाज का कैरियर चोटों से बाधित रहा है और टीम में उनके आने और जाने का सिलसिला पिछले तीन चार साल से बना रहा है.
आईपीएल में उनका करार दिल्ली डेयरडेविल्स से है और वह अगले साल नौवे सत्र के बाद घरेलू क्रिकेट को भी अलविदा कह देंगे. जहीर ने 92 टेस्ट में 311 विकेट लिये हैं और पांच दिनी क्रिकेट में वह अनिल कुंबले (619), कपिल देव (434), हरभजन सिंह (417) के बाद सर्वाधिक विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज हैं. उन्होंने 200 वनडे में 282 विकेट लिये हैं जबकि टी20 में 17 विकेट उनके नाम हैं.
विश्व कप 2011 में 21 विकेट लेकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले जहीर ने कहा ,‘‘ क्रिकेट कैरियर में सबसे कठिन फैसला खुद को खेल से अलग करने का होता है. आप अतिरिक्त प्रयास करके कैरियर को विस्तार देना चाहते हैं लेकिन दो दशक बाद शरीर जवाब देने लगा है.’ उन्होंने कहा कि 2011 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा होना उनके कैरियर का सबसे खुशनुमा पल था. उन्होंने कहा ,‘‘मेरा सबसे बड़ा पल टीम इंडिया के सदस्य के तौर पर विश्व कप जीतना था.
हम शीर्ष टीम की तरह खेले और यह सफर काफी संतोषजनक रहा.’ जहीर ने कहा कि वह खेल को वापिस कुछ देना चाहेंगे लेकन अभी इस बारे में फैसला नहीं किया है. उन्होंने कहा ,‘‘ ‘जाक इज बैक ‘ शीर्षक फिर आपको पढने को मिलेगा क्योंकि मैं इस खेल और अपने देश को कुछ वापिस देना चाहता हूं जिसने श्रीरामपूर के इस लडके को अपने सपने सच करने का मौका दिया.
‘ अपने सफर के बारे में जहीर ने कहा कि वह अपने तमाम कोचों और कप्तानों के शुक्रगुजार हैं जिन्होंने उनकी क्षमता पर भरोसा किया. उन्होंने कहा ,‘‘ 2000 में भारत के लिये पदार्पण करने के बाद से मुझे अहम मौके मिले और लोगों ने अलग अलग चरण में मेरी हौसलाअफजाई की. मैं इसके बूते भारतीय क्रिकेट में योगदान दे सका और बहुत कुछ सीखा.’
जहीर ने कहा ,‘‘बीसीसीआई, बडौदा क्रिकेट संघ और मुंबई क्रिकेट संघ में मेरा समर्थन करने वालों का मैं शुक्रगुजार हूं. भारतीय क्रिकेट टीम, बडौदा, मुंबई , वोर्सेस्टरशर, मुंबई इंडियंस, रायल चैलेंजर्स बेंगलूर और दिल्ली डेयरडेविल्स टीमों का हिस्सा रहना फख्र की बात रही.’ उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे कई लोगों को धन्यवाद देना है ..मेरे फिजियो, ट्रेनर, सहयोगी स्टाफ, साथी खिलाड़ी, कप्तान, कोच, चयनकर्ता, सीनियर अधिकारी, प्रशासक, मैदानकर्मी, टीम प्रबंधन और टीम मालिक.
मैं हर किसी का नाम नहीं ले सकता जिसके लिये क्षमाप्रार्थी हूं लेकिन मैं उनका शुक्रगुजार हूं क्योंकि उनके सहयोग से ही मैं अपना सपना सच कर सका.’ जहीर ने अपने परिवार, साथी खिलाडियों और प्रशंसकों को भी धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा ,‘‘ ड्रेसिंग रुम में अपने साथियों के साथ मैने शरारतें भी की जो मेरे सबसे करीबी दोस्त भी बने. मैं उनकी बातें चाव से सुनता था.
मैं अपने माता पिता को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मेरा सपना पूरा करने में मदद की. मेरे बडे भाई जीशान ने मुझे याद दिलाया कि भारतीय टीम में चुने जाने से मेरा काम पूरा नहीं हुआ बल्कि मुझे हर मैच में अच्छा प्रदर्शन करना है. मेरे छोटे भाई अनीस ने मुझ पर से काफी दबाव कम किया.’ उन्होंने कहा ,‘‘ भारतीय क्रिकेट के लाखों समर्थकों को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं.
क्रिकेट पिछले दो दशक में मेरी जिंदगी रहा है और मुझे बस यही आता है. क्रिकेट ने मुझे जीवन में सब कुछ दिया. मेरी सुनहरी यादें इससे जुडी हैं. मेरी मां ने संन्यास के मेरे फैसले का बेहतरीन लब्बोलुआब निकाला ‘ ठीक है , बहुत अच्छा सफर था हमारा.’