धौनी का कर्मसंकट, नये नियम और गेंदबाज बढ़ा रहे हैं मुश्किलें

।। बिक्रम प्रताप सिंह ।। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हर कप्तान का अपना अंदाज और फलसफा होता है. भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह की थ्योरी रही है, रन रोको, विकेट लो. इसी थ्योरी पर अमल करते हुए उन्होंने भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाया. चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब भी दिलवाया. हाल के समय में आइसीसी ने वनडे क्रिकेट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2013 7:53 AM

।। बिक्रम प्रताप सिंह ।।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हर कप्तान का अपना अंदाज और फलसफा होता है. भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह की थ्योरी रही है, रन रोको, विकेट लो. इसी थ्योरी पर अमल करते हुए उन्होंने भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाया. चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब भी दिलवाया. हाल के समय में आइसीसी ने वनडे क्रिकेट में कई बदलाव किये. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित धौनी और उनकी शैली हुई है.

विशेषकर भारतीय परिस्थितियों में. नहीं तो, ऐसा कम ही होता है कि घरेलू सीरीज के पहले तीन मैच के बाद टीम इंडिया पीछे चल रही हो. फील्ड में आमतौर पर हर समस्या का समाधान रखने वाले धौनी प्रतिद्वंद्वी बल्लेबाजों को रोकने में संघर्ष करते दिख रहे हैं. आइए जानते हैं पिछले कुछ समय में वनडे क्रिकेट में ऐसा क्या कुछ बदला है जिससे भारतीय मैदानों पर धौनी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है. इन बदलावों की धौनी खुलकर आलोचना भी कर चुके हैं. साथ ही कमजोर गेंदबाजी भी धौनी का सिरदर्द बढ़ा रही है.

* नियम और परिस्थिति की मार दो नयी गेंद

आइसीसी के नये वनडे नियमों के मुताबिक अब एक पारी में दो नयी गेंदों का इस्तेमाल होता है. इससे गेंद कम पुरानी होती है और भारत के स्पिनर ज्यादा असरदार नहीं हो पाते हैं. इसके अलावा तेज गेंदबाजों को पहले की तरह रिवर्स स्विंग भी नहीं मिल रही है.

* फील्डिंग पाबंदी

पावर प्ले के बाद भी 30 गज के दायरे के बाहर सिर्फ चार फील्डर ही रखे जा सकते हैं. इस वजह से बाउंड्री ज्यादा लीक हो रही है और टीमें बड़ा स्कोर खड़ा करने में सफल हो रही हैं.

* एक ओवर में दो बाउंसर

एक ओवर में दो बाउंसर यूं तो गेंदबाजों को राहत दिलानेवाला नियम है, लेकिन इससे भारत को ज्यादा फायदा मिलता नहीं दिख रहा है. असरदार बाउंसर के लिए तेज और सटीकता भी जरूरी है, जो अधिकांश भारतीय गेंदबाजों के पास नहीं है.

* 06 मैच हार चुकी है भारतीय टीम नये नियमों के बाद से घरेलू मैदान पर हुए पिछले 11 मुकाबलों में.

* 09 मैच जीती थी भारतीय क्रिकेट टीम 2011-12 में घरेलू मैदान पर हुए 10 मुकाबलों में

* कमजोर गेंदबाजी की मार

– स्पिनर नहीं दिखा रहे हैं जलवा

दो नयी गेंदों के इस्तेमाल से स्पिनरों का असर वैसे ही कम हो गया है. साथ ही धौनी की मुश्किल यह भी है कि अभी कोई भी भारतीय स्पिनर अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं है. आर अश्विन को कैरम बॉल से इतना प्यार हो गया है कि वह ऑफ स्पिन पर पकड़ खोते जा रहे हैं. जडेजा भी कंसिसटेंट नहीं हैं.

– वेरिएशन की कमी

वनडे में अच्छा गेंदबाज वही है, जिसके पास पर्याप्त वेरिएशन हो. लेकिन, इशांत और विनय जैसे गेंदबाज एक ही गति और लेंथ की गेंदें फेंकते रहते हैं. भुवनेश्वर के अलावा कोई नयी गेंद का अच्छा गेंदबाज नहीं है.

– तूफानी तेज गेंदबाज की कमी

ऑस्ट्रेलियाई टीम में मिचेल जॉनसन जैसे गेंदबाज हैं जो पिच से मदद न मिल पाने के बावजूद 150 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से बल्लेबाजों को चौंका सकते हैं. लेकिन, भारत के अधिकांश गेंदबाज 130-135 किमी/घंटा रफ्तार वाले ही हैं.

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