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ललित मोदी की किक्रेट में वापसी, फिर बने आरसीए अध्‍यक्ष

नयी दिल्‍ली :आईपीएल के विवादास्पद पूर्व प्रमुख ललित मोदी और उनकी टीम की राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) में वापसी तय है क्योंकि विरोधी गुट के अमीन पठान ने चार पदाधिकारियों को हटाने के लिये लाया गया ‘अविश्वास प्रस्ताव’ आज आधिकारिक तौर पर वापस ले लिया. न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा ने आज जिला क्रिकेट संघों के […]

नयी दिल्‍ली :आईपीएल के विवादास्पद पूर्व प्रमुख ललित मोदी और उनकी टीम की राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) में वापसी तय है क्योंकि विरोधी गुट के अमीन पठान ने चार पदाधिकारियों को हटाने के लिये लाया गया ‘अविश्वास प्रस्ताव’ आज आधिकारिक तौर पर वापस ले लिया.

न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा ने आज जिला क्रिकेट संघों के अधिकारियों से मुलाकात करके कहा, ‘‘जो 15 जिले ललित मोदी और तीन अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये थे उन्होंने खेल के हित में इसे वापस लेने का फैसला किया है. ” मिश्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इसलिए अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया से गुजरने की जरुरत नहीं है. ललित मोदी गुट उचित चुनाव प्रक्रिया से चुना गया है और अविश्वास प्रस्ताव वापस लिये जाने के बाद यथास्थिति बनी रहेगी. ”

बैठक में सभी जिला संघ मौजूद थे और उन्होंने अमीन पठान द्वारा प्रस्ताव को वापस लेने के फैसले का स्वागत किया. पता चला है कि पठान गुट ने आरसीए पर आधिपत्य जमाने के लिये कथित तौर पर ताकत का इस्तेमाल भी किया. रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने ललित मोदी के समर्थकों को ले जारी बस पर पत्थर फेंके लेकिन आखिर में वह ताजा प्रस्ताव लाने के लिये आरसीए की 33 मान्यता प्राप्त इकाईयों में जरुरी दो तिहाई बहुमत नहीं जुटा पाये. सूत्रों ने कहा कि यह पता चला है कि नाकामी के डर से पठान गुट ने खेल के हित का बहाना बनाकर प्रस्ताव वापस ले लिया.

– एक नजर में ललित मोदी पर अब तक लगे आरोप

* ललित मोदी पर आरोप टीवी राइट्स में धांधली

आइपीएल के ग्लोबल राइट्स का अधिकार वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को दिया गया, जबकि सिंगापुर स्थिति मल्टी स्क्रीन मीडिया (एमएसएम) भारत में मैच के प्रसारण का अधिकार दिया गया. लेकिन इसमें धांधली के कारण बीसीसीआइ ने एमएसएम के साथ हुए समझौते को रद्द कर दिया. इसके तत्काल बाद वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप मॉरीशस जिसका स्वामित्व भी भारत स्थित वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप की तरह था उसे भारत में प्रसारण का अधिकार दे दिया गया. इस कंपनी को साइनिंग अमाउंट के तौर पर बीसीसीआइ को 112 करोड़ रुपये देने थे. बीसीसीआइ को यह पैसा कभी नहीं मिला. मोदी की जानकारी में यह सब हुआ.

* 2010 आइपीएल के दौरान नीलामी प्रक्रिया में गड़बड़ी

बीसीसीआइ ने 2010 में दो और टीमों को आइपीएल में शामिल करने का फैसला लिया. ललित मोदी ने नीलामी प्रक्रिया में तत्काल कुछ शर्ते जोड़ दीं और कहा कि नीलामी प्रक्रिया में 1 बिलियन डॉलर की कंपनी ही हिस्सा ले सकती है और बैंक गारंटी के तौर पर उसे 100 मिलियन डॉलर देना होगा. बीसीसीआइ ने तर्क दिया है कि नीलामी प्रक्रिया में ये शर्ते शामिल नहीं थीं, कुछ प्रतियोगी कंपनियों को इससे बाहर करने के लिए ऐसा किया गया.

* फ्रेंचाइजी पर दबाव बनाना

2011 आइपीएल में शामिल होने के लिए पुणे वारियर्स और कोच्चि टस्कर नीलामी प्रक्रिया के तहत चुन ली गयीं. मोदी इससे खुश नहीं थे और उन्होंने दूसरी फ्रेंचाइजी का पक्ष लेना शुरू कर दिया. कोच्चि फ्रेंचाइजी के कुछ सदस्यों को उन्होंने दबाव डाल कर अपनी हिस्सेदारी वापस लेने को कहा. जब वे नहीं माने तो लेलित मोदी ने शेयरहोल्डिंग पैटर्न को सार्वजनिक करने और कुछ बीसीसीआइ अधिकारियों का खुलासा करने की धमकी दी. उनके खुलासे से केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को इस्तीफा देना पड़ा.

* फ्रेंचाइजी के शेयरहोल्डर से नजदीकी रिश्ता

राजस्थान रॉयल्स में हिस्सेदारी रखनेवाले सुरेश चेलारमन के साले हैं ललित मोदी. उन्होंने यह जानकारी क्रिकेट बोर्ड को नहीं दी. उन्होंने अपने करीबियों को नीलामी से जुड़ी जानकारी देकर फ्रेंचाइजी खरीदने में मदद पहुंचायी.

* ललित मोदी पर अन्य आरोप

– इंगलैंड में रहते हुए उन्होंने इंगलिश लीग के साथ मिलकर एक विरोधी लीग तैयार करने की कोशिश की. कई समझौते उन्होंने बोर्ड को बताये किये. बेव राइट देने के लिए उन्होंने ऐसी एजेंसी को चुना जिसका उनसे करीबी रिश्ता था.

– प्रवर्तन निदेशालय (इडी) फेसीलेशन फीस के तौर पर वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप को मल्टी स्क्रीन मीडिया द्वारा प्रसारण अधिकार के लिए 80 मिलियन डॉलर के भुगतान की जांच कर रहा है.

– इडी इसकी भी जांच कर रहा है कि इस 80 मिलियन डॉलर में से 25 मिलियन डॉलर ललित मोदी, उनके सहयोगी और राजनीतिक लोगों के अवैध खाते में तो नहीं पहुंचाये गये.

– इडी 2008 की आइपीएल की नीलामी प्रक्रिया में भाग लेनेवाले कुछ फ्रेंचाइजी को नीलामी की गोपनीय जानकारी देने के मामले की जांच कर रहा है. राजस्थान रॉयल्स की फ्रेंचाइजी लेनेवाले और दूसरे स्थान पर रहनेवाले के बीच नीलामी की राशि में 3 लाख डॉलर को अंतर पाया गया.

– इडी मोदी द्वारा केमन आइलैंड की कंपनी से काले धन का प्रयोग कर कॉरपोरेट जेट खरीदने के मामले की जांच भी कर रहा है.

– मुंबई के फोर सीजंस होटल के मालिक रमेश गोवानी की भी इडी जांच कर रहा है. ललित मोदी अकसर इस होटल में रुकते रहे हैं.

– ललित मोदी की पत्नी की कंपनी इंडियन हेरिटेल होटल में मॉरीशस की कंपनी द्वारा 10 करोड़ रुपये निवेश की जांच भी इडी कर रहा है.

– फेमा के तहत भी मामले दर्ज हैं, जिसमें फ्रेंचाइजी का स्वामित्व, विदेश निवेश का तरीका, शेयरों की कीमत और फिर उसका ट्रांसफर जांच के दायरे में हैं.

– वित्त मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष दिसंबर 2014 में पेश एक्शन टेकन रिपोर्ट में कहा गया है कि इडी ने ललित मोदी, बीसीसीआइ के कुछ अधिकारी और निजी कंपनियों को 2148.3 करोड़ की हेराफेरी के मामले में फेमा कानून का उल्लंघन करने के लिए नोटिस भेजा है.

– आयकर विभाग ने 16 सिंतबर, 2010 को बिना पैन नंबर दिये वित्तीय वर्ष 2008-09 के दौरान बड़े पैमाने पर लेन-देन करने के लिए नोटिस भेजा था. नियम के मुताबिक पैन नंबर देना अनिवार्य है.

– मुंबई जोन डायरेक्टोरेट ऑफ रिवेन्यू इंटेलीजेंस ने एयरक्राफ्ट का गोल्डन विंग्स कंपनी से आयात के संबंध में कागजात देने के लिए 4 नवंबर, 2011 को नोटिस भेजा.

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