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शुक्ला ने क्रिकेट के सभी प्रारुपों से संन्यास लिया

कोलकाता : बंगाल टीम में चुने जाने के दो दिन बाद पूर्व कप्तान और अनुभवी ऑलराउंडर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने आज क्रिकेट के सभी प्रारुपों से संन्यास लेने की घोषणा की. बंगाल की तरफ से सर्वाधिक मैच खेलने वाले शुक्ला ने आज यहां मोहन बागान क्लब में अपने छह वर्षीय बेटे अगस्त्य के साथ संवाददाता […]

कोलकाता : बंगाल टीम में चुने जाने के दो दिन बाद पूर्व कप्तान और अनुभवी ऑलराउंडर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने आज क्रिकेट के सभी प्रारुपों से संन्यास लेने की घोषणा की. बंगाल की तरफ से सर्वाधिक मैच खेलने वाले शुक्ला ने आज यहां मोहन बागान क्लब में अपने छह वर्षीय बेटे अगस्त्य के साथ संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पिछले एक महीने से मैं सही प्रेरणा हासिल नहीं कर पा रहा था. मैं क्रिकेट के प्रति पहले जैसा महूसस नहीं कर रहा था. ” इस 34 वर्षीय क्रिकेटर ने अपने भावनात्मक भाषण में कहा, ‘‘मानसिक तौर पर मैं फिर से खेलने के लिये तैयार नहीं था.

एक महीने पहले से मुझे ऐसा अहसास हो रहा था और मैं सही तरह से सो नहीं पा रहा था. अब मैं शांति से सो सकता हूं. ” शुक्ला ने हालांकि कहा कि यदि उनके क्लब बागान को लगेगा कि उसे उनकी सेवाओं की जरुरत है तो वह उपलब्ध रहेंगे. शुक्ला ने कहा कि उन्होंने दो दिन पहले संन्यास का फैसला कर लिया था. उन्होंने बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सौरव गांगुली को लिखे पत्र की प्रति भी जारी किया जिस पर कल की तारीख पड़ी है.
भारत की तरफ से तीन एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 18 रन और एक विकेट लेने वाले इस आलराउंडर को आगामी सैयद मुश्ताक अली ट्राफी के लिये बंगाल की 16 सदस्यीय टीम में शामिल किया गया था. उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्राफी टी20 टूर्नरमेंट के लिये बंगाल की टीम के रवाना होने से एक दिन पहले घोषणा की है. पता चला है कि शुक्ला ने यह कड़ा फैसला गांगुली के साथ उनकी बैठक के बाद किया जो विजय हजारे एकदिवसीय टूर्नामेंट के ग्रुप चरण से बंगाल के बाहर होने से नाखुश थे. बंगाल के कप्तान मनोज तिवारी भी बैठक में उपस्थित थे.
अपने करियर में 137 प्रथम श्रेणी मैचों में 36.93 की औसत तथा नौ शतकों और 37 अर्धशतकों की मदद से 6127 रन बनाने वाले शुक्ला ने हालांकि यह बात नकार दी कि उन्हें संन्यास लेने के लिये मजबूर किया गया. उन्होंने इसके निजी फैसला बताया. गांगुली को सर्वश्रेष्ठ कप्तान करार देते हुए शुक्ला ने कहा, ‘‘वह केवल मेरे लिये ही नहीं बल्कि दुनिया भर के क्रिकेटरों के लिये प्रेरणास्रोत रहे हैं. वह चाहते थे कि मैं खेलना जारी रखूं लेकिन मैं उनसे कहा कि मैं अच्छा महसूस नहीं कर रहा हूं. ”
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने राज्य बंगाल के प्रति प्रतिबद्ध हूं जहां से मैंने सब कुछ हासिल किया है. हम सभी के लिये राज्य बहुत बड़ी प्रतिष्ठा है. बंगाल के लिये खेलना मेरे करियर का सबसे बड़ा पल था. निश्चित तौर पर संन्यास लेने से पीड़ा हो रही है लेकिन मुझे लगता है कि यह इसके लिये सही समय है. ”
शुक्ला से पूछा गया कि उन्होंने अपने क्लब के बजाय ईडन गार्डन्स में बंगाल के अपने साथियों के सामने संन्यास की घोषणा क्यों नहीं की, उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अकेले क्रिकेट की शुरुआत की थी और इसे छोड़ना भी अकेले चाहता हूं. मैं किसी को शामिल नहीं करना चाहता. मुझे किसी तरह का खेद नहीं है. ”
शुक्ला को 2011-12 सत्र में घरेलू सीमित ओवरों के प्रारुप में सर्वश्रेष्ठ आलराउंडर के लिये लाला अमरनाथ पुरस्कार मिला था. वह 2013-14 सत्र में बंगाल की तरफ से 100 रणजी ट्राफी मैच खेलने वाले पहले खिलाडी बने थे. मध्यम गति के उपयोगी गेंदबाज के रुप में शुक्ला ने प्रथम श्रेणी मैचों में 34.75 की औसत से 172 विकेट भी लिये.
बंगाल की तरफ से आखिरी बार 18 दिसंबर को सौराष्ट्र के खिलाफ एकदिवसीय मैच खेलने वाले शुक्ला ने लिस्ट ए में 141 मैच खेले. इनमें उन्होंने 30.27 की औसत से 2997 रन बनाये और 27.62 की औसत से 143 विकेट लिये. वह आईपीएल में कोलकाता नाइटराइडर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स और सनराइजर्स हैदराबाद का हिस्सा रह चुके हैं. उन्होंने 81 टी20 मैचों में 994 रन बनाये और 47 विकेट लिये.

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