सचिन को कॉपी करने के लिए बदली थी बैटिंग स्टाइल : सहवाग
नयी दिल्ली : उन्हें भले ही किसी भी परिस्थिति में ‘गेंद को देखो और उसे हिट करो’ के साहसिक रवैये के लिए जाना जाता हो लेकिन पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में सचिन तेंदुलकर का अनुकरण करने के लिए अपनी तकनीक में बदलाव किये थे. […]
नयी दिल्ली : उन्हें भले ही किसी भी परिस्थिति में ‘गेंद को देखो और उसे हिट करो’ के साहसिक रवैये के लिए जाना जाता हो लेकिन पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में सचिन तेंदुलकर का अनुकरण करने के लिए अपनी तकनीक में बदलाव किये थे.
सहवाग ने कहा, ‘‘जब मैं छोटा था तो मैंने दस और 12 ओवरों के कई मैच खेले थे. मैं मध्यक्रम में बल्लेबाजी करता था और मुझे केवल दस के आसपास गेंदें ही खेलने के लिए मिलती थी और मैं उनमें अधिक से अधिक स्कोर बनाने की कोशिश करता था. मैंने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी यही रवैया अपनाया और लोग मेरे स्ट्राइक रेट की तारीफ करते थे जो टेस्ट क्रिकेट में 80 या 90 से अधिक था.
‘ उन्होंने क्रिकइन्फो से कहा, ‘‘मैं केवल अपना खेल खेलता था और इस बारे में नहीं सोचता था कि मुझे तेजी से रन बनाने हैं या कुछ अलग करना है सिवाय इसके कि जब मैं टीम से जुड़ा तो तब तेंदुलकर की तरह बल्लेबाजी करना चाहता था. मुझे अहसास हुआ कि तेंदुलकर केवल एक हो सकता है और मैंने अपना स्टांस और बैकलिफ्ट बदली. मुझे अहसास हुआ कि मुझे अपना खेल बदलना चाहिए और मैंने ऐसा किया.
इसके बाद मैं अपनी तकनीक से खेलने लगा. ‘ अब 37 वर्ष के सहवाग भारत की तरफ से 2013 तक खेले. उन्होंने 104 टेस्ट मैचों में 8586 रन और 251 वनडे में 8273 रन बनाये. इस धाकड़ बल्लेबाज से पूछा गया कि क्या वहां सहवाग भी केवल एक ही था, उन्होंने कहा, ‘‘हां, क्योंकि मेरी मानसिकता और टीम पर मेरे प्रभाव के कारण लेकिन वहां केवल एक ही तेंदुलकर था.
घरेलू क्रिकेट में हाल में दिल्ली के बजाय हरियाणा की तरफ से खेलने वाले सहवाग ने स्वीकार किया कि कई राज्य संघों का संचालन दक्षतापूर्वक नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हां ऐसा केवल दिल्ली के साथ नहीं है. अन्य संघ भी हैं जिनके साथ समस्याएं जुडी हैं. आपको अंडर – 19 और अंडर – 16 स्तर पर बदलाव करने की जरूरत है क्योंकि असली समस्याएं यहां होती है. यदि आप अधिक उम्र के खिलाड़ी का चयन करते हो तो यह एक समस्या है और इसकी पहचान करने की जरुरत है. यदि आपके पास ऐसा खिलाडी है जिसका नाम बडा है और आपको ऐसी समस्या से नहीं जूझना पडेगा. ”
सहवाग से पूछा गया कि क्या वह राज्य संघों में कोई भूमिका निभाना चाहते है, उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, यह हितों का टकराव है. मेरा अपना सहवाग इंटरनेशनल स्कूल है. इसलिए मैं इसका हिस्सा नहीं हो सकता हूं. मैं चयनकर्ता नहीं बन सकता लेकिन यदि कोई संघ मुझे अपना हिस्सा बनाना चाहेगा तो मुझे ऐसा करना पसंद होगा. कई अन्य नामी क्रिकेटर हैं जिन्हें चयन पैनल का हिस्सा बनने का मौका नहीं मिला.” उन्होंने कहा, ‘‘क्या हो रहा है कि जो लोग सत्ता में हैं वे चयनकर्ताओं को नाम सुझाते हैं और चयनकर्ता तब उन लोगों के इशारों पर चलते हैं. ”
आईपीएल में स्पाट फिक्सिंग ने क्रिकेट जगत को झकझोर दिया लेकिन सहवाग अब भी इस टी20 टूर्नामेंट के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि यह युवाओं के लिए लोगों का ध्यान खींचने के लिए अच्छा मंच है. उन्होंने कहा, ‘‘यह युवा भारतीय खिलाडियों के लिए मंच है. यदि आप 2000 – 01 पर ध्यान दें जब मैं टीम से जुड़ा था, तब हमें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने से पहले 20 के करीब मैचों में खेलने का अनुभव होता था. अब शिखर धवन जैसे खिलाडी जो आईपीएल में खेलता है वह तेजी से खेलने का अभ्यस्त है और आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट पदार्पण पर 180 से अधिक रन बनाता है.