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सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को लगायी फटकार, कहा, ”रास्ते पर आ जाओ”

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को सख्त संदेश देते हुये आज उससे कहा कि देश में क्रिकेट के खेल की इस शीर्ष संस्था के व्यापक पुनर्गठन का सुझाव देने संबंधी न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मामले में रास्ते पर आ जाये. शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को सख्त संदेश देते हुये आज उससे कहा कि देश में क्रिकेट के खेल की इस शीर्ष संस्था के व्यापक पुनर्गठन का सुझाव देने संबंधी न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मामले में रास्ते पर आ जाये.

शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति की सिफारिशें ‘सीधी, तर्कसंगत और समझ में आने योग्य’ हैं और ‘सम्मान की हकदार हैं’ और समिति से अहसमत होने की कोई वजह नहीं है जिसमे विधिक समुदाय के सबसे प्रबुद्ध और सम्मानित सदस्य हैं.’ शीर्ष अदालत ने लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू करने के बारे में जवाब देने के लिये क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड को चार सप्ताह का समय दिया है लेकिन साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि इसके सभी दावेदारों को लंबे समय तक पर्याप्त समय दिया गया है और अंतिम रिपोर्ट तैयार करने से पहले उनके दृष्टिकोण पर भी विचार किया गया और ऐसी स्थिति में इन सिफारिशों को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीसीसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफडे के इस कथन के बाद ये टिप्पणियां की कि इन सिफारिशों पर बोर्ड के 30 सदस्यों में परामर्श की आवश्यकता है और चूंकि बोर्ड की कानूनी समिति की बैठक सात फरवरी को हो रही है, इसलिए जवाब देने के लिये चार सप्ताह का वक्त दे दिया जाये.

हालांकि, पीठ ने कहा, ‘‘आप सभी को सुना जा चुका है और आपने समिति को अपने दृष्टिकोण से अवगत भी करा दिया था. अपने मुवक्किल से कहिये कि सिफारिशों पर सख्त नजरिया अपनाये. आप बच नहीं सकते. आप सिफारिशें देखिये. इन सिफारिशों का सम्मान होना चाहिए. ये विधिक समुदाय के सबसे प्रबुद्ध और सम्मानित सदस्यों ने दी हैं. उन्होंने लोगों को आमंत्रित किया था और सभी पक्षों के साथ विस्तार से विचार विमर्श किया. सिफारिशें सीधी, समझ में आने योग्य और तर्कसंगत हैं.’

गौरतलब हो कि तीन सदस्यीय समिति ने विवादों से घिरे बीसीसीआई में विस्तृत सुधारों की सिफारिश करते हुए मंत्रियों के विभिन्न संघों के पदाधिकारी बनने पर रोक लगाए जाने, आयु सीमा और पदाधिकारियों का कार्यकाल तय करने तथा सट्टेबाजी को वैध बनाने की सलाह दी थी.

समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि संस्थागत और शहर आधारित इकाइयों का मताधिकार वापस लेते हुए बीसीसीआई में एक राज्य से केवल एक इकाई का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. समिति ने नौ सदस्यीय शीर्ष परिषद के प्रति जवाबदेह एक सीईओ पद का प्रस्ताव करते हुए बीसीसीआई के प्रशासनिक ढांचे के पुनर्गठन की सिफारिश की थी.

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