नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय से ढर्रे पर आने के निर्देश मिलने के बाद बीसीसीआई लोढ़ा समिति के सुझावों को लेकर बचाव का रास्ता नहीं तलाश रही और इसके सचिव अनुराग ठाकुर ने आज कहा कि बोर्ड को रिपोर्ट पर विचार विमर्श का पूरा अधिकार है.
ठाकुर ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा ,‘‘ बीसीसीआई बचाव का रास्ता नहीं तलाश रही. हमारा पारदर्शिता और जवाबदेही में विश्वास है. पिछले नौ महीने में हमने जो काम किये हैं, उससे साफ है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं. लोढ़ा समिति ने कई बातों की सिफारिश की है लेकिन हर सदस्य को उन पर विचार विमर्श करने का हक है.” कुछ सुझावों की तार्किकता के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ मैं इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करुंगा.”
यह हालांकि स्पष्ट है कि बीसीसीआई के आला अधिकारी सुझावों से खुश नहीं हैं. ठाकुर ने कहा ,‘‘ भारत ने 1983 में विश्व कप जीता लेकिन हमारे पास चैम्पियन टीम को देने के लिये पैसे नहीं थे. आज हालात अलग हैं. ऐसा नहीं है कि पिछले 30-40 साल में बीसीसीआई में सब कुछ गलत ही हुआ. हमें इसे भी ध्यान में रखना चाहिये.” उन्होंने कहा कि बीसीसीआई की कानूनी टीम इस मसले पर गौर कर रही है. फरवरी के तीसरे सप्ताह में राज्य संघों की विशेष आम बैठक भी बुलाई गई है ताकि उनका पक्ष भी सुना जा सके.
अमल करने में धीमे रहने के आरोपों पर ठाकुर ने कहा ,‘‘ आपको समझना होगा कि लोढ़ा समिति के सुझाव एक पन्ने की रिपोर्ट नहीं है. यह विस्तृत रिपोर्ट है. लोढ़ा समिति को 12 महीने लगे और हमने तो अभी दो ही महीने लिये हैं. अभी कई राज्य संघों की एजीएम नहीं हुई है जो अपना नजरिया पेश करेंगे.” पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के धुर प्रतिद्वंद्वी रहे ठाकुर ने उन पर कटाक्ष करने का मौका नहीं छोड़ा.
उन्होंने कहा ,‘‘ हमें पिछले पदाधिकारियों की गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. इससे विश्वसनीयता को ठेस पहुंची है. उस दौर में निर्णय लेने की क्षमता के अभाव के कारण बोर्ड की छवि खराब हुई है लेकिन पिछले नौ महीने में हमने विश्वसनीयता बहाल करने की पूरी कोशिश की है.” हितों के टकराव के मसले पर उन्होंने कहा ,‘‘ केविन पीटरसन टी20 लीग खेल रहा है और उसी में कमेंटरी भी कर रहा है. कई और खिलाड़ी भी ऐसा कर रहे हैं. यहां कुछ लोगों को निहित स्वार्थों के चलते हितों के टकराव की शिकायत करने की आदत हो गई है. हर संगठन में ढांचागत सुधार का दौर आता है और बीसीसीआई अपवाद नहीं है.”