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माैका-माैका करते रहे, पाक काे नहीं देगा माैका भारत

-अनुज कुमार सिन्हा- शनिवार (19 मार्च) को भारत और पाकिस्तान की टीमें टी-20 वर्ल्ड कप में आमने-सामने होंगी. टीम इंडिया महेंद्र सिंह धौनी की अगुवाई में पाकिस्तान को फिर से चारों खाने चित्त करने के मजबूत इरादे से उतरेगी. महेंद्र सिंह धौनी मानसिक तौर पर भी मजबूत कप्तान हैं और धौनी यह नहीं चाहेंगे कि […]

-अनुज कुमार सिन्हा-

शनिवार (19 मार्च) को भारत और पाकिस्तान की टीमें टी-20 वर्ल्ड कप में आमने-सामने होंगी. टीम इंडिया महेंद्र सिंह धौनी की अगुवाई में पाकिस्तान को फिर से चारों खाने चित्त करने के मजबूत इरादे से उतरेगी. महेंद्र सिंह धौनी मानसिक तौर पर भी मजबूत कप्तान हैं और धौनी यह नहीं चाहेंगे कि न्यूजीलैंड के खिलाफ मिली हार की याद के साथ टीम इंडिया मैदान में उतरे. मकसद एक होगा पाकिस्तान को फिर हराना है.

ठीक उसी तरह जैसे टी-20 वर्ल्ड कप या वन डे वर्ल्ड कप में अब तक पाकिस्तान को हराते आये हैं. यह भारत की परंपरा बन चुकी है. पाकिस्तान, भारत को वर्ल्ड कप (चाहे वह टी-20 हो या वन डे का ) में हराने का सपना देखता रहा है. कब मौका मिलेगा भारत को हराने का. अभी तक भारत ने यह मौका पाकिस्तान को नहीं दिया है. वर्ल्ड कप के हर मुकाबले के बाद पाकिस्तान का बम-पटाखा रखा का रखा रह जाता है. इस बार बांग्लादेश के खिलाफ पाकिस्तान को एक शानदार जीत क्या मिल गयी, पाकिस्तान उसे ही आधार बना कर भारत को मात देने के लिए जी-जान से जुट गया है. उसे लगता है कि मौका मिलनेवाला है.
मैच कोलकाता में होगा. भारत-पाकिस्तान का यह मैच भले ही ग्रुप मैच हो लेकिन किसी भी हाल में किसी फाइनल से कम नहीं होगा. पाकिस्तान को हराने का मजा ही कुछ और होता है. एक माहौल बनता है. खिलाड़ियों को नयी ऊर्जा मिलती है. भारत के लिए यह वही मुकाबला होगा, जिसमें पाकिस्तान को हरा कर भारत न्यूजीलैंड के खिलाफ मिली हार से उबर सकता है. आगे के लिए यह फायदेमंद होगा. टी-20 में सारे आंकड़े भारत के पक्ष में हैं.
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टी-20 के अब तक खेले गये सात मैचों में सिर्फ एक में भारत की हार (यह मैच वर्ल्ड कप का नहीं था) हुई है, एक टाई रहा है, जबकि पांच मैच भारत ने जीता है. इसमें पाकिस्तान कहीं नहीं टिकता. पाकिस्तान को यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि सिर्फ एक माह पहले उसी पाकिस्तान को भारत ने एशिया कप में सिर्फ 83 रन पर समेट दिया था. भले ही पाकिस्तान यह कहते रहे कि वह एक मैच जीत कर (बांग्लादेश के खिलाफ) मैदान में उतर रहा है और भारत एक मैच हार कर (न्यूजीलैंड के खिलाफ), इसलिए भारत दबाव में रहेगा, कोई मायने नहीं रखता. एशिया कप में भारत के खिलाफ पाकिस्तान के सारे दिग्गज बल्लेबाज फेल हो गये थे. टीम तो वही है. पाकिस्तानी खिलाड़ी बोले या नहीं बोले, यह डर उनके दिमाग में बैठा हुआ है कि भारत से वर्ल्ड कप में अब तक नहीं जीते हैं.

ऐसे दबाव तो भारत और पाकिस्तान दोनों पर होगा. भारत पर दबाव यह रहेगा कि एक मैच हारने के बाद आगे की यात्रा के लिए उसे आनेवाले सभी मैच जीतने हैं , जबकि पाकिस्तान पर भारत से मैच नहीं हारने का दबाव होगा. पाकिस्तान के लिए 2007 में एक बड़ा मौका आया था. मैच जोहांसबर्ग में हो रहा था. फाइनल था. अंतिम ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रन चाहिए थे. दूसरी गेंद पर मिसबाह-उल-हक ने छक्का लगा दिया था. जीत के लिए चार गेंदों पर छह रन चाहिए थे.

सामने थे मिसबाह, लेकिन कप्तान धौनी ने जोगिंदर शर्मा पर भरोसा किया था. गेंदबाज वही थे और तीसरी गेंद पर भारत के सामान्य गेंदबाज जोगिंदर शर्मा ने मिसबाह को आउट किया. टीम अॉल आउट हो चुकी थी. भारत टी-20 का चैंपियन हुआ था, वह भी पाकिस्तान को हरा कर. इससे बेहतर और क्या हो सकता था. पाकिस्तान इस घटना को आज भी याद करता है.
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हां, यह सही है कि पाकिस्तान के तेज गेंदबाज आमिर, इरफान और वहाब बेहतरीन तेज गेंदबाज हैं लेकिन तभी न, जब विकेट उनका साथ दे. भारत में ऐसी तेज विकेट मिलनेवाली नहीं है. इस वर्ल्ड कप के अधिकांश मैचों में स्पिनरों की चलती रही है. पाकिस्तान के तेज गेंदबाज बहुत कुछ कर पायेंगे, यह नहीं लगता. खिलाड़ियों का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर रहेगा कि कौन खिलाड़ी मानसिक तौर पर कितना मजबूत है.

कौन दबाव झेल सकता है और इसमें भारतीय खिलाड़ी अनुभवी हैं,माहिर हैं. धौनी, विराट कोहली, रैना, युवराज सिंह और अश्विन दबाव में बेहतर करनेवाले खिलाड़ी हैं. पाकिस्तान की टीम दबाव में बिखर जाती है. इसके बावजूद अति-आत्मविश्वास से टीम इंडिया को बचना होगा. भारत को हर हाल में बेहतर स्टार्ट करना होगा, ओपनिंग बल्लेबाजी अच्छी करनी होगी. यह आवश्यक है. रोहित और धवन अगर थोड़ा सब्र दिखायें तो इन खिलाड़ियों में बड़ा स्कोर खड़ा करने की क्षमता है. बाकी का काम तो कोहली, रैना, युवराज तो कर ही देंगे.

रैना, युवराज या धौनी जब खेलने आयें तो उसके पहले टीम के खाते में काम के रन हो जाने चाहिए ताकि ये खिलाड़ी बिना दबाव के अपना स्वाभाविक खेल दिखा सकें. यह सही है कि हफीज ने बांग्लादेश के खिलाफ अच्छा खेला है, अफरीदी फार्म में दिख रहे हैं लेकिन अफरीदी तभी बेहतर कर पाते हैं जब उन पर दबाव नहीं होता है.

स्ट्राइक रेट में वे मैक्सवेल, फिंच और समी के बाद दुनिया के चौथे बल्लेबाज हैं, इसलिए अफरीदी को हर हाल में दबाव में रखना होगा. अगर मैच के आरंभ में ही पाकिस्तान को दो-तीन विकेट गिर जायें तो फिर पाकिस्तान उस दबाव से निकल नहीं पायेगा. वैसे पाकिस्तान के विकेटकीपर बल्लेबाज अकमल को भी कम नहीं आंकना होगा.तेज रन बनाने में वे माहिर हैं.भारतीय टीम धैर्य से खेले, अपनी क्षमता के अनुसार खेले, बगैर दबाव के खेले तो जिस मौके की तलाश में पाकिस्तान घूम रहा है, वह कभी नहीं मिलेगा.

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