सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को फटकार लगायी

नयी दिल्ली : बीसीसीआई को यह कहने के लिए आज कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा कि उसके संचालन में किसी तरह के न्यायिक हस्तक्षेप से उसकी स्वायत्तता के साथ समझौता होगा. उच्चतम न्यायालय ने बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि यह अमीर खेल बोर्ड सुधार और उसकी कार्यप्रणाली को ‘पारदर्शी और प्रत्यक्ष’ बनाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 8:55 PM

नयी दिल्ली : बीसीसीआई को यह कहने के लिए आज कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा कि उसके संचालन में किसी तरह के न्यायिक हस्तक्षेप से उसकी स्वायत्तता के साथ समझौता होगा. उच्चतम न्यायालय ने बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि यह अमीर खेल बोर्ड सुधार और उसकी कार्यप्रणाली को ‘पारदर्शी और प्रत्यक्ष’ बनाने की सिफारिशों में रुकावट पैदा कर रहा है.

उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई के इस रुख पर भी नाखुशी जताई कि निजी और स्वायत्त संस्था होने के कारण वह कैग नामित व्यक्ति को जगह नहीं दे सकता जैसा कि न्यायमूर्ति आरएम लोढा पैनल ने सुझाव दिया है. इसके लिए आधार यह दिया गया है कि ऐसा करने पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) उसकी मान्यता रद्द कर देगा.
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफआईआई कलीफुल्ला की पीठ ने कहा, ‘‘आप सार्वजनिक कार्य कर रहे हैं. किस सर्वश्रेष्ठ तरीके से आपके संचालन में सुधार हो सकता है. यह पारदर्शी और प्रत्यक्ष होना चाहिए. जिस तरह आप काम कर रहे हैं और कैसे आप का कर रहे हैं.”
बीसीसीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर पीठ ने कहा, ‘‘हमें जो समझ आ रहा है वह यह है कि आप सुझाव दे रहे हैं कि मैं रजिस्ट्रार आफ सोसाइटीज के प्रति जवाबदेह हूं. मैं सिर्फ रजिस्ट्रार आफ सोसाइटीज के प्रति जवाबदेह हूं. मैं आपराधिक कानून के अंतर्गत आता हूं लेकिन मैं सुधार नहीं करुंगा.
मुझे सुधार के लिए मत कहिये. क्या यह संभव है.” पीठ ने कहा, ‘‘आपने क्या किया है. हमने मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी के आरोप देखे. इन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है. लेकिन आप करोड़ों रुपये देते हैं. लोढा समिति ने कुछ कहा है. कहा गया है कि संचालन को अधिक पारदर्शी और प्रत्यक्ष बनाया जाए और प्रयास है कि बीसीसीआई में सुधार किया जाए.”

Next Article

Exit mobile version