नयी दिल्ली : शुरुआती उतार चढ़ाव के बाद अब इंडियन प्रीमियर लीग की अन्य टीमों की तुलना में बेहद संतुलित दिख रही दिल्ली डेयरडेविल्स अपनी युवा शक्ति के उत्साही प्रदर्शन के दम पर कल यहां अपने घरेलू मैदान फिरोजशाह कोटला में चोटिल खिलाड़ियों की समस्या से जूझ रहे राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स के खिलाफ अपना विजय अभियान जारी रखने के लिए उतरेगी. डेयरडेविल्स ने जहीर खान की अगुवाई में अब तक लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार किया है.
पिछले कुछ वर्षों में इस टीम के साथ सबसे बड़ी दिक्कत एकजुटता की दिख रही थी लेकिन जहीर ने बड़ी कुशलता से अपनी युवा टीम को एकसूत्र में पिरोया है जिसका असर टीम के प्रदर्शन पर साफ दिख रहा है. जहीर ने स्वयं अपनी कप्तानी से प्रभावित किया है. एक बार महेंद्र सिंह धौनी ने उन्हें गेंदबाजी विभाग का सचिन तेंदुलकर कहा था और अब उन्होंने साबित कर दिया कि मौका मिलने पर वह टीम की अच्छी तरह से अगुवाई कर सकते हैं. अपने अपार अनुभव के दम पर वह बड़ी कुशलता से गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में बदलाव करते है.
यह साफ नजर आता है कि वह विरोधी खेमे के प्रत्येक बल्लेबाज के लिए रणनीति तैयार करके मैदान पर उतरते हैं. यही नहीं उन्होंने अपने युवा खिलाड़ियों को उन्होंने अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया और अब आलम यह है कि क्विंटन डिकाक, रिषभ पंत, संजू सैमसन, कार्लोस ब्रेथवेट, शाहबाज नदीम, क्रिस मौरिस जैसे कम अनुभवी खिलाडी दूसरी टीमों के मंझे हुए खिलाडियों पर भारी पड रहे हैं.
इससे पहले उसने सैम बिलिंग और करुण नायर जैसे युवा खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से कोलकाता नाइटराइडर्स को हराया था. डेयरडेविल्स ने अब तक सात मैचों में से पांच में जीत दर्ज कर ली है और वह दस अंक लेकर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. अब डेयरडेविल्स का मुकाबला ऐसी टीम है जो कई नामी खिलाडियों के चोटिल होने से महेंद्र सिंह धौनी जैसा कप्तान होने के बावजूद एक संतुलित टीम तैयार करने के लिए जूझ रही है. पुणे सुपरजाइंट्स को केविन पीटरसन, फाफ डु प्लेसिस, मिशेल मार्श और बेहतरीन फार्म में चल रहे स्टीवन स्मिथ को गंवाना पडा है. ये सभी खिलाडी चोटिल होने के कारण स्वदेश लौट गये हैं. चार प्रमुख खिलाडियों के चोटिल होने से टीम का संतुलन बुरी तरह चरमरा गया है और धोनी जैसे धाकड कप्तान को भी नहीं सूझ रहा है कि वह किस संयोजन के साथ मैदान पर उतरें। आलम यह है कि टीम को लगातार हार का सामना भी करना पडा है और उसके लिए आगे की राह कांटों भरी बन गयी है. पुणे ने अब तक आठ मैच खेल लिए हैं जिसमें से छह में उसे हार मिली है. उसके दो जीत से केवल चार अंक हैं और यदि उसे चोटी की चार टीमों में जगह बनानी है तो आगे सभी मैच जीतने होंगे जो कि वर्तमान परिस्थितियों में आसान नहीं दिख रहा है.
सुपरजाइंट्स के बल्लेबाजों को हालांकि बेहतरीन फार्म में चल रहे लेग स्पिनर अमित मिश्रा, अपने पुराने रंग दिखा रहे जहीर खान, चोट से उबरकर वापसी करने वाले मोहम्मद शमी, नदीम, मौरिस और ब्रेथवेट जैसे गेंदबाजों के सामने संभलकर बल्लेबाजी करनी होगी. धोनी के तुरुप के इक्के रहे रविचंद्रन अश्विन का गेंदबाजी में नहीं चल पाना सुपरजाइंट्स के लिये सबसे बडी चिंता है. अश्विन ने अब तक आठ मैचों में केवल तीन विकेट लिये हैं और उन्होंने सात रन प्रति ओवर की दर से रन दिये हैं. धोनी ने ऐसे हालात में एक अन्य स्पिनर मुरुगन अश्विन पर भरोसा जताया लेकिन वह निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं.
इशांत शर्मा और तिसारा परेरा से टीम को काफी उम्मीद थी लेकिन ये दोनों काफी महंगे साबित हुए हैं. ऐसे स्थिति में पुणे के आक्रमण के लिये दिल्ली के युवा बल्लेबाजों पर अंकुश लगाना सबसे बडी चुनौती होगी क्योंकि डिकाक, पंत, नायर, सैमसन, जेपी डुमिनी, बिलिंग्स, बे्रथवेट, मौरिस कोई भी मौका मिलने पर बडी पारी खेलने के लिए तैयार दिखता है. मौरिस ने कोटला में लायन्स के खिलाफ पिछले मैच में नाबाद 82 रन की धमाकेदार पारी खेली थी.उन्होंने दिल्ली के अपने प्रशसंकों की उम्मीदें बढा दी हैं जिस पर वह खरा उतरना चाहेंगे.