खिलाडियों पर अपना नजरिया थोपना मेरी शैली नहीं, पर्दे के पीछे से करुंगा काम : कुंबले

नयी दिल्ली : भारत के नये मुख्य कोच अनिल कुंबले ने स्वीकार किया है कि उनके काम करने की शैली में ‘जान राइट का काफी प्रभाव’ है और वह युवा टीम पर अपने विचार थोपने की जगह उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे. कुंबले ने आज ‘बीसीसीआई.टीवी’ से कहा, ‘‘खिलाडियों का समूह मौजूद है और सबसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 24, 2016 8:40 PM

नयी दिल्ली : भारत के नये मुख्य कोच अनिल कुंबले ने स्वीकार किया है कि उनके काम करने की शैली में ‘जान राइट का काफी प्रभाव’ है और वह युवा टीम पर अपने विचार थोपने की जगह उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे.

कुंबले ने आज ‘बीसीसीआई.टीवी’ से कहा, ‘‘खिलाडियों का समूह मौजूद है और सबसे पहले मैं चीजों को समझने की कोशिश करुंगा. उम्मीद करता हूं कि इसके बाद मैं उन्हें समझा पाउंगा. अगर वे इसे प्रभावी नहीं समझते, वे इसे नहीं अपनाएंगे और प्रक्रिया काम नहीं कर पाएगी. मैं चीजों को लागू करने में मदद करने वाले के रूप में काम करने की कोशिश करुंगा.”
इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘मैं जान राइट (पूर्व भारतीय कोच) के मार्गदर्शन में काफी खेला हूं. उनका काफी प्रभाव है और संभवत: मैं भी अपना काम इसी तरह करुंगा.” उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई इंडियन्स के मेंटर के तौर पर मैं जान को लेकर आया क्योंकि वह भारतीय संस्कृति और यहां कोच कैसे काम करते हैं उसके बारे में काफी कुछ जानते हैं. मैं उन्हीं की तरह काम करने की कोशिश करुंगा. मैं कुछ समय के लिए गैरी कर्स्टन के साथ भी जुड़ा रहा. वह भी पीछे से काम करता है और खुद को सामने नहीं आने देता. मैं भी पर्दे के पीछे से काम करने का प्रयास करुंगा.” कुंबले की नजर में क्रिकेट टीम की कोचिंग का मतलब कप्तान के बोझ को कम करना है.
कुंबले ने कहा, ‘‘कोच के रूप में मेरा काम कप्तान के कंधे से बोझ को कम करना होगा. क्रिकेट के अलावा क्रिकेट के इतर के फैसले करने होते हैं और यहीं मैं कप्तान के कंधे से काफी बोझ कम कर सकता हूं. जब मैं कप्तान था तो मैंने महसूस किया कि मैदान पर ही नहीं बल्कि बाहर भी फैसले करने होते हैं. मैं इन पर काम करने की कोशिश करुंगा जिससे कि कप्तान का बोझ कम हो.” कुंबले का मानना है कि कोच का काम मैदान के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर भी होता है.
उन्होंने कहा, ‘‘आप सिर्फ क्रिकेट के मैदान पर ही कोच नहीं होते बल्कि मेरा मानना है कि आप मैदान के बाहर भी कोच होते हो. मेरा काम व्यक्तियों के अलावा नेतृत्वकर्ताओं को तैयार करना भी होगा. बेहतरीन प्रतिभा मौजूद है और हम इनमें से नेतृत्वकर्ता तैयार कर सकते हैं. यह तुरंत नहीं होगा. हमें चढ़ाव ही नहीं बल्कि उतार भी देखने को मिलेंगे. आप सिर्फ सफल समय में ही कोच नहीं हो सकते बल्कि कडे समय में भी आपको कोच रहना होगा.” कोच के रूप में कुंबले की पहली जिम्मेदारी वेस्टइंडीज का दौरा होगा जिसके लिए रवाना होने से पहले भारतीय टीम बेंगलुरु में संक्षिप्त शिविर में हिस्सा लेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘छोटे समय में लक्ष्य वेस्टइंडीज का दौरा है. मैंने विराट से बात की है और एमएस (धौनी) संभवत: जिंबाब्वे से वापस लौट रहा है. बेंगलुरु में शिविर होना अच्छा है. 20 विकेट चटकाने पर ध्यान होगा. विराट, पुजारा, रहाणे, रोहित, राहुल और साथ ही शिखर के रूप में बल्लेबाजी शानदार है. इशांत टीम में सबसे सीनियर टेस्ट क्रिकेटर है. इस टीम में प्रतिभा है जिसकी अगुआई युवा कप्तान कर रहा है.”

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