नयी दिल्ली : पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड का मानना है कि टी20 क्रिकेट पिछले एक दशक में बदलाव के दौर से गुजरा है और इस दौरान कौशल की दृष्टि से गेंदबाजों की तुलना में बल्लेबाजों में अधिक सुधार देखने को मिला. द्रविड ने ईएसपीएनक्रिकइन्फो के ‘टाकिंग क्रिकेट’ कार्यक्रम में खेल के इस छोटे प्रारुप से खिलाडियों पर पड़ने वाले प्रभाव पर बात की. उन्होंने कहा, ‘मैं अपने अनुभव से यह कह सकता हूं कि टी20 क्रिकेट में पिछले नौ, दस या 11 साल में कौशल की दृष्टि से गेंदबाजों की तुलना में बल्लेबाज थोडा आगे हैं लेकिन गेंदबाज भी धीरे धीरे उन तक पहुंच रहे हैं. द्रविड ने इस बारे में विस्तार से बताया कि खेल के विकास के साथ गेंदबाजों को किन बाधाओं का सामना करना पडा है.
उन्होंने कहा, ‘गेंदबाजी में आपकी कुछ शारीरिक सीमाएं होती है. आप लंबे समय तक गेंदबाजी नहीं कर सकते हैं. आप हर दिन दो घंटे, ढाई घंटे या तीन घंटे गेंदबाजी नहीं कर सकते हो. इससे आप चोटिल हो सकते हो या किसी भी समय परेशानी में पड़ सकते हो.’ द्रविड ने कहा, ‘इसलिए शारीरिक तौर पर देखा जाए तो गेंदबाजों के लिये अपने कौशल पर काम करने के अवसर सीमित है. दूसरी तरफ बल्लेबाज इस मामले में थोड़ा फायदे में रहते हैं क्योंकि वे गेंदबाजों की तुलना में अधिक समय तक अभ्यास कर सकते हैं.’
द्रविड ने कहा कि टी20 क्रिकेट में बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बनाना जरुरी है. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि टी20 क्रिकेट का महत्व बढता ही जाएगा. मुझे लगता है कि हमें बल्ले और गेंद के बीच संतुलन के बनाने के लिये थोड़ा सतर्क रहने की जरुरत है. मैं टी20 क्रिकेट के लिये इसे एक बड़ी चुनौती के रूप में देखता हूं.’